देश और समाज का सहयोग किसी भी तरह किया जा सकता है, लेकिन भारत का यह दुर्भाग्य ही कहा जायेगा कि यहाँ जाति, धर्म, वर्ग, क्षेत्र और राजनैतिक दलों के साथ बंटा समाज सरकार के निर्णयों की आलोचना करने में ही व्यस्त रहता है, जिससे परिणाम सकारात्मक नहीं आ पा रहे। अकारण संचय करने की नीयत के चलते नोट बंद करने का निर्णय आम आदमी को परेशान किये हुए है। अधिकाँश लोग छोटे नोटों के पीछे भागते नजर आ रहे हैं, ऐसी आपाधापी में एक युवा ने मिसाल कायम की है, उसने अपने सभी छोटे नोट बैंक में जाकर जमा करा दिए।
जी हाँ, एलएलबी की पढ़ाई पूरी कर चुके बदायूं के एक युवा अभिषेक उपाध्याय ने अपने पास रखे दस, बीस, पचास और सौ के नोट आज बैंक में जा कर जमा करा दिए। भीड़ के चलते बैंक वाले मार्गों पर भी लोग जाने से बच रहे हैं, ऐसे में अभिषेक कश्मीरी चौक के निकट स्थित भारतीय स्टेट बैंक की कृषि शाखा की लाइन में जाकर लगे, उनका नंबर आया, तो ज्ञात हुआ कि अभिषेक छोटे नोट जमा करने आये हैं, यह जान कर न सिर्फ बैंक कर्मी, बल्कि लाइन में लगे सैकड़ों लोग नतमस्तक हो गये और अभिषेक की सराहना करने लगे।
निंदा और आलोचना करने के साथ पीड़ित वर्ग पर चुटकी लेने वाले सभी लोग अभिषेक की तरह ही सोचने लगें, तो नोट बंद होने की समस्या का लोगों को अहसास तक नहीं होगा, लेकिन अधिकांश लोग अकारण ही छोटे नोटों का संचय किये हुए हैं, साथ ही बड़े नोट जमा करने की जगह अधिकांश लोग बदले में छोटे नोट लेने को ही आतुर हैं, इसीलिए हालात भयावह हो चले हैं। नकारात्मक सोच रखने वालों को अभिषेक से सबक लेना चाहिए।