बदायूं जिले का यह दुर्भाग्य रहा कि यहाँ लंबे समय से प्रांतीय और राष्ट्रीय स्तर का नेता नहीं बन सका, इसीलिए बदायूं जिला पिछड़ता चला गया। हालांकि बदायूं लोकसभा क्षेत्र से चुने जाने वाले सांसद प्रांतीय ही नहीं, बल्कि राष्ट्रीय स्तर के नेता रहे हैं, पर उन्होंने कभी बदायूं को अपनाया नहीं। चौंकाने वाली बात ही है कि 27 वर्ष प्रतिनिधित्व करने वाले सांसद सलीम इकबाल शेरवानी ने जिले में कहीं भी अपने नाम की एक ऐसी झोपड़ी तक नहीं बनाई, जहां उनसे मिलने कोई आ सके। उन्होंने हमेशा बदायूं की जनता के भोलेपन का खुला दुरूपयोग किया। चुनाव जीत कर भाग जाते थे। अंत में मैनपुरी छोड़ कर धर्मेन्द्र यादव बदायूं लोकसभा क्षेत्र से चुनाव लड़ने आये, तो उनके संबंध में भी ऐसी अफवाह फैलाई गई कि यह भी शेरवानी की तरह ही साबित होंगे, लेकिन धर्मेन्द्र यादव को जिस तरह बदायूं की जनता ने अपनाया, उससे कहीं आगे बढ़ कर धर्मेन्द्र यादव ने बदायूं को अपनाया है।
मूल निवासी की अनुभूति लाने के लिए धर्मेन्द्र यादव ने सर्व प्रथम यहाँ अपना घर बनाया, जहां उनके दो प्रतिनिधि हर समय तैनात रहते हैं और जनता के दुःख में बराबर सम्मलित होते हैं, वे स्वयं बीस दिन से ज्यादा बड़ा अंतराल नहीं होने देते। सत्र वगैरह न हो, तो महीने में दो चक्कर बदायूं के लगाते ही हैं और रात-दिन जनता की समस्या न सिर्फ सुनते हैं, बल्कि उनका निराकरण भी कराते हैं। बदायूं में रहने से बड़ी बात है बदायूं के संबंध में सोचना, तो धर्मेन्द्र यादव को बदायूं से पीछे का और बदायूं से आगे का कुछ भी याद नहीं है अब। हर समय बदायूं का ही पहाड़ा पढ़ते हैं और इतना ज्यादा पढ़ते हैं कि उनके अपने परिवार में लोग उन्हें ताने देने लगे हैं कि सब कुछ बदायूं को ही ले जाओ। वे लखनऊ, दिल्ली और सैफई में रहते हुए भी सिर्फ बदायूं जिले के विकास को लेकर ही योजना बनाने में जुटे रहते हैं।
सलीम इकबाल शेरवानी केंद्र सरकार में स्वास्थ्य और विदेश राज्यमंत्री का दायित्व संभाल चुके हैं, लेकिन मेडिकल कॉलेज बनाने में रूचि धर्मेन्द्र यादव ने दिखाई, जबकि बदायूं की जनता ऐसी कल्पना भी नहीं कर सकती थी, यहाँ की जनता को ऐसे सपने भी नहीं आते थे, पर कल्पना से परे मेडिकल कॉलेज आसमान की ओर बढ़ता जा रहा है। बदायूं की जनता मेट्रो शहर में ओवरब्रिज देख चुकी थी, यहाँ कभी बन सकेगा, ऐसी बड़ी मांग करने तक की सोच नहीं थी, लेकिन बदायूं की जनता आज ओवरब्रिज के सीने को अपने पैरों से रौंद रही है। बदायूं शहर में सार्वजनिक स्थान पर कहीं ऐसा पत्थर भी नहीं रखा है, जहां आराम से बैठ कर दो लोग आपस में बातें कर सकें, इस व्यक्तिगत समस्या को भी धर्मेन्द्र यादव ने समझा और ऐसा पार्क बनाने का प्रस्ताव तैयार कराया कि आसपास के जिलों में कहीं नहीं है, इस पर बड़ी तेजी से कार्य चल रहा है। बाईपास का यहाँ की जनता ने नाम ही सुना था, पर धर्मेन्द्र यादव के प्रयासों से बाईपास भी तेजी से बन रहा है। रामगंगा और गंगा के बीच में बसे बदायूं में नहर भी निकाली जा सकती है, ऐसा कभी किसी जनप्रतिनिधि ने प्रयास तक नहीं किया और न ही जनता ने मांग की, लेकिन धर्मेन्द्र यादव नहर निकालने के लिए दीवानों की तरह भटक रहे हैं। राष्ट्रीय स्तर की सड़कें, कॉलेज, बिजली घर सहित हजारों ऐसे काम हैं, जो जनता ने नहीं मांगे, पर धर्मेन्द्र यादव ने स्वयं सोचा, प्रस्ताव तैयार कराया, शासन से संस्तुति ली, धन आवंटित कराया और निर्माण होते समय स्वयं गुणवत्ता तक देखने गये, यह सब कोई किसी दबाव में नहीं कर सकता। भाषणों में जनता के सामने गिनाने के लिए एक-दो छोटे-बड़े काम करा कर बैठ सकते थे, पर उन्होंने ऐसे कार्य किया, जैसे पूरा बदायूं उनका अपना घर हो और प्रत्येक व्यक्ति उनके परिवार का सदस्य।
विकास से हट कर अपनत्व की बात करें, तो धर्मेन्द्र यादव के प्रयास से ही बदायूं लोकसभा क्षेत्र के प्रत्येक विधायक के परिवार में लालबत्ती है। सपा जिलाध्यक्ष व एमएलसी बनवारी सिंह यादव दर्जा राज्यमंत्री हैं, सदर क्षेत्र के विधायक आबिद रजा दर्जा राज्यमंत्री बने, सहसवान क्षेत्र के विधायक ओमकार सिंह यादव को मंत्रिमंडल में राज्यमंत्री बनवाया, गुन्नौर विधान सभा क्षेत्र का जिला संभल है, लेकिन लोकसभा क्षेत्र बदायूं ही आता है, वहां विधायक रामखिलाड़ी सिंह यादव की सेवक को जिला पंचायत अध्यक्ष बनवाने में सहयोग किया, वहां के पूर्व विधायक प्रदीप यादव को दर्जा राज्यमंत्री दिलाया, इसी तरह बिसौली क्षेत्र के विधायक आशुतोष मौर्य की बहन मधु चन्द्रा को बदायूं की जिला पंचायत अध्यक्ष बनवाने में सहयोग किया, इस तरह उनके प्रत्येक सैनिक के घर में लालबत्ती आ गई।
विकास और प्यार के मामले में धर्मेन्द्र यादव ने किसी से भेदभाव नहीं किया, सबको आगे बढ़ कर उसकी हैसियत से अधिक सम्मान दिया, ऐसे सांसद को बाहरी बता देना माँ, बहन… सरीखी गाली ही कही जायेगी। जिस धर्मेन्द्र यादव की आलोचना विरोधी दलों के नेता नहीं कर सकते, उसकी आलोचना उनका अपना सबसे चहेता माना जाने वाला विधायक ही कर रहा है। सदर क्षेत्र के मतदाता पहले से ही कह रहे थे कि इस बार चुनाव में धर्मेन्द्र यादव की बात भी नहीं मानेंगे, ऐसे राजनैतिक वातावरण में सांसद की आलोचना करने से जनता उनके बारे में क्या सोच रही होगी, इसका विद्रोही विधायक को अहसास तक नहीं है। गुजरे चार वर्षों में उन्होंने मंच से बताने लायक भी कोई सद्कर्म नहीं किया है, ऐसे में सांसद की आलोचना कर उन्होंने अपने ताबूत में अपने हाथों से ही कील ठोंक ली है, जो उन्हें अब चुनाव बाद ही दिखाई देगी।
4 Responses to "धर्मेन्द्र यादव को दी गई गाली का बदला लेने को जनता आतुर"