रोहिथ वेमुला, संभावनाओं का ऐसा बीज था, जो न सिर्फ परिवार, न सिर्फ दलितों, बल्कि सर्व समाज और देश के लिए वट वृक्ष बन कर बहुत कुछ देता। आंध्र प्रदेश के गुंटूर से जब वह आया, तो उसकी माँ को उससे ऐसी ही अपेक्षायें रही होंगी और रोहिथ स्वयं भी ऐसा ही कुछ करने एवं बनने के ठोस इरादे लेकर हैदराबाद आया होगा। रोहिथ आज नहीं है, लेकिन उसका लिखा एक पत्र है, जिसके शब्दों से प्रतीत होता है कि यह पत्र, उसी रोहिथ ने लिखा है, जो कभी गुंटूर से आया था, मतलब गुंटूर से आने वाला और अंतिम पत्र लिखने वाले रोहिथ की विचारधारा लगभग एक समान प्रतीत होती है, पर गुंटूर से आने के बाद और अंतिम पत्र लिखने से पहले रोहिथ की विचारधारा में बड़ा परिवर्तन आया, यही परिवर्तन उसकी मौत का कारण कहा जा सकता है और यह परिवर्तन लाने वाले उसके अपरोक्ष हत्यारे माने जा सकते हैं।
रोहिथ के संबंध में कल्पना करना निरर्थक है। विचारधारा और जाति को लेकर गुटों में बंटा समाज आरोप-प्रत्यारोप लगा रहा है, वह भी निरर्थक ही है, क्योंकि सत्यता दोनों ही गुटों के बयानों में नहीं है। एक गुट उसे नायक बना रहा है, तो दूसरा गुट खलनायक सिद्ध करने में जुटा नजर आ रहा है। नायक बनाने वालों का हित यह है कि वे रोहिथ के माध्यम से अम्बेडकर स्टूडेंट्स एसोसिएशन को शक्तिशाली बनाना चाहते हैं, जिनके साथ सरकार को घेरने के उद्देश्य से विपक्ष भी खड़ा हो गया है और खलनायक बनाने वाले अपने बचाव में कई तरह के कुतर्क गढ़ते नजर आ रहे हैं, इसलिए दोनों ही गुटों की बातों को अनसुना करना ठीक रहेगा।
रोहिथ को समझने के लिए आज सबसे सरल तरीका उसकी फेसबुक वॉल ही है। उसके द्वारा शेयर की गई पोस्ट और फोटो से रोहिथ को कुछ हद तक समझा जा सकता है। शुरुआत में वह भोला सा पढ़ने-लिखने वाला आम छात्र ही नजर आता है, सस्ते कपड़े पहने ग्रामीण और गरीब परिवेश की उसमें झलक स्पष्ट नजर आती है। आम भारतीय की तरह ही वह राष्ट्रवादी सोच रखने वाला नजर आता है, उसके आदर्श भी आम भारतीय जैसे ही नजर आते हैं, तभी विवेकानंद की फोटो उसके कमरे में स्थान बनाये हुए है। धीरे-धीरे उसके विचार बदलने शुरू हो जाते हैं, वह एक लड़की की अश्लील फोटो शेयर करता है, जिसके साथ आँख मारने वाला आईकन बनाता है, मतलब वह यहाँ से एडवांस होता नजर आता है, जबकि वह अहंकार रहित आम व्यक्ति था, तभी वह अपने घर की फोटो शेयर कर पाया, जिनसे प्रतीत होता है कि उसके घर में हैंडपंप तक नहीं है। एक फोटो में कई सारे खाली बर्तन नजर आ रहे हैं। एक फोटो में सिलाई मशीन नजर आ रही है, जिसे चला कर माँ परिवार चलाती है। एक फोटो में उसके घर के बाहर सरकारी हैंडपंप लगा नजर आ रहा है एवं घर के बाहर का आम रास्ता कच्चा दिख रहा है, ऐसे परिवार का बेटा फिर अचानक महंगी सिगरेट में कश लगाते हुए नजर आने लगता है। बीयर की बोतल भी दिखाई देने लगती है। ब्रांडेड जींस और शर्ट नजर आने लगती हैं, इससे पहले वह हर राजनैतिक दल और उनके नेताओं की कड़ी आलोचना करने लगा है। शुरुआती पोस्ट में फांसी की वकालत करने वाला रोहिथ अचानक याकूब की फांसी को लेकर आंदोलन करने लगता है।
रोहिथ छात्र राजनीति नहीं कर रहा था, वह दलित उत्थान की भी राजनीति नहीं कर रहा था, अचानक से वह कुछ और ही करता हुआ नजर आने लगता है। एक आम छात्र शहरी परिवेश में आकर इतना नहीं बदल सकता, वह जरुर किसी बड़े षड्यंत्र का हिस्सा बन गया था, जहाँ से उसे महंगी सिगरेट, बीयर और ब्रांडेड कपड़े मिलने लगे थे। हो सकता है कि षड्यंत्रकारी उससे किनारा कर गये हों, यह भी हो सकता है कि षड्यंत्रकारी उससे कुछ बड़ा काम करने का दबाव बना रहे हों, जो भी हो, यह सब जांच का विषय हो सकता है, लेकिन हाल-फिलहाल उसकी मौत के जिम्मेदार यही षड्यंत्रकारी नजर आते हैं, क्योंकि संभावना का जो बीज पौधा बन गया था, उसमें विचारों का तेज़ाब षड्यंत्रकारियों ने ही डाला है, जिससे उसकी अकाल मृत्यु हुई है। हालांकि रोहिथ ने अपने अंतिम पत्र में ऐसा कुछ नहीं लिखा है, तभी लगता है कि अंतिम दिन उसी रोहिथ ने पत्र लिखा था, जो कभी गुंटूर से आया था। बाद वाला रोहिथ पत्र लिखता, तो कई सारे आरोप और तमाम सवाल छोड़ कर जाता।