शासन स्तर पर फजीहत होने के बावजूद परिवहन निगम बरेली के प्रबंधक के विरुद्ध कार्रवाई नहीं की जा रही। चकित कर देने वाली बात यह है कि पहले 55 संविदा कर्मी भर्ती होने थे और भ्रष्टाचार का खुलासा होने के बाद 304 कर्मी भर्ती किये जा रहे हैं, जिनमें तमाम ऐसे भी हैं, जिन्होंने आवेदन ही नहीं किया था।
उल्लेखनीय है कि परिवहन निगम के बरेली परिक्षेत्र में 55 संविदा परिचालकों की नियुक्ति होनी थी, जिसके लिए ऑन लाइन आवेदन मांगे गये। कुल 677 आवेदन आए थे। अधिकारियों ने मेरिट को दरकिनार कर रिश्वत देने वालों को भर्ती कर लिया। सूची सार्वजनिक होते ही हंगामा हो गया। यूपीएसआरटी के मैनेजिंग डायरेक्टर आशीष गोयल के संज्ञान में प्रकरण पहुंचा, तो उन्होंने पूरी भर्ती प्रक्रिया पर रोक लगा दी, पर दोषियों के विरुद्ध कोई कार्रवाई नहीं की गई।
बरेली रोडवेज के आरएम प्रभाकर मिश्र का कहना था कि ओबीसी संवर्ग को कोई स्थान आरक्षित नहीं था, इसलिए ओबीसी संवर्ग पर विचार नहीं किया गया, जबकि सूत्रों का कहना है कि पूरी नियुक्ति प्रक्रिया में आरएम ने ही भ्रष्टाचार किया है।
सूत्रों का कहना है कि पुनः हुई नियुक्ति में भी आरएम ने मनमानी की है और ऐसे लोगों को भी नियुक्त कर लिया है, जिन्होंने आवेदन ही नहीं किया था। पूरा प्रकरण शासन के संज्ञान में है, इसके बावजूद दोषी आरएम के विरुद्ध कार्रवाई नहीं की जा रही है।