पत्रकारिता के मानकों और गुणवत्ता को लेकर सोशल मीडिया में बहस शुरू हो चुकी है। अधिकाँश लोगों का मानना है कि सभ्य, शालीन, निष्पक्ष और ईमानदार लोग ही मीडिया में होने चाहिए। अधिकांश लोग चाहते हैं कि मीडिया माफियाओं, धनाढ्यों, नेताओं और बड़े उद्योगपतियों से मुक्त रहना चाहिए, लेकिन सवाल यह है कि सुधार कहां-कहां किया जा सकता है?, क्योंकि गंदगी समाज में ही घुल-मिल गई है, ऐसे में जो लोग मीडिया में आयेंगे, वे समाज का ही अंग होंगे, तो निष्पक्ष, ईमानदार, सभ्य और शालीन लोग कहां से लाये जायें?
लोगों का मानना है कि सुधार ऊपर से होगा, लेकिन गंदगी नीचे भी बराबर मात्रा में है। नीचे के लोग अगर, सही होते, तो ऊपर बैठे लोग गलत कैसे कर पाते। जाहिर है कि माफिया, घोटालेबाज, रिश्वतखोर और लापरवाह सिस्टम में रहेंगे, तो वे हर तंत्र में अपनी मदद के लिए अपने वफादार बनाते रहेंगे। उपचार यही है कि माफियाराज, घोटालों, रिश्वतखोरी और लापरवाही पर लगाम लगाई जाये, क्योंकि खबर के नाम पर आम आदमी को कोई नहीं धमका सकता।
संभल जिले के चन्दौसी स्थित दैनिक जागरण कार्यालय में तैनात अंशुल नाम का रिपोर्टर एक सटोरिये को हड़का रहा है, जिसका ऑडियो वायरल हो गया है। इस रिपोर्टर के बात करने का अंदाज़ सुन कर आप भी दंग रह जायेंगे, साथ ही इस व्यवस्था को भी लानत दीजिये कि सट्टा हो रहा है, पर पुलिस कार्रवाई नहीं कर रही। यह रिपोर्टर संबंधित व्यक्ति को इसीलिए हड़का पा रहा है कि वो सट्टा कराता है। पुलिस सतर्क होती, तो रिपोर्टर इसे नहीं हड़का पाता। रिपोर्टर के विरुद्ध कार्रवाई होगी, अथवा नहीं, यह दैनिक जागरण तय करेगा, लेकिन मुख्यमंत्री को चंदौसी और संभल जिले के पुलिस अफसरों के विरुद्ध कार्रवाई जरूर करनी चाहिए।
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चंदौसी के सटोरिये को हड़काता दैनिक जागरण का रिपोर्टर
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