अच्छे कार्यों का यश और बुरे कार्यों का अपयश सरकार, अथवा मुख्यमंत्री को ही जाता है, लेकिन हर कार्य मुख्यमंत्री के दिमाग की उपज नहीं होता। उत्तर प्रदेश के सूचना विभाग में हाल-फिलहाल अप्रत्याशित कार्य हो रहे हैं। विभाग की चारों ओर प्रशंसा हो रही है, लेकिन इस वाही-वाही के पीछे जिस व्यक्ति का दिमाग है, उस व्यक्ति की चर्चा कम हो रही है। जी हाँ, सूचना विभाग को अपडेट करने के पीछे मूल व्यक्ति वरिष्ठ आईएएस और प्रमुख सचिव सूचना नवनीत सहगल हैं।
उत्तर प्रदेश की आईएएस लॉबी में सर्वाधिक चर्चित नामों में से एक नाम है नवनीत सहगल। उत्तर प्रदेश ही नहीं, बल्कि देश में भी आईएएस के रूप में बेहद चर्चित हैं नवनीत सहगल। उनकी लोकप्रियता का अंदाजा इस बात से लग सकता है कि अफसरों और नेताओं की तो बात ही छोड़िये, उत्तर प्रदेश की आम जनता भी उन्हें जानती है। कुछ लोग उन्हें विवादित आईएएस कहते हैं, तो कुछ लोग आरोप लगाते हैं कि उनकी आदत सत्ता के करीब रहने की है। आरोप सही माने जायें, तो जाहिर है कि हद से ज्यादा कार्य करने वाला व्यक्ति विवादों में ही रहेगा और यह भी सही है कि जो कार्य करेगा, वो स्वतः सत्ता का करीबी हो जायेगा। कोई कार्य न करता हो, कार्य करना आता भी न हो, लेकिन चापलूसी में माहिर हो, तो ऐसे किसी व्यक्ति को कोई सत्ताधीश करीब नहीं आने देगा। नवनीत सहगल सत्ताधीशों की चापलूसी नहीं करते, बल्कि वे अपने कार्य की गुणवत्ता से सत्ताधीशों को अपना मुरीद बना लेते हैं, जिससे उन्हें कार्य करने की आज़ादी और अच्छी पोस्टिंग मिलती है।
प्रमुख सचिव सूचना का दायित्व विशेष चर्चा में रहने वाला नहीं है। जिन अफसरों को यह दायित्व मिलता रहा है, वे जैसे-तैसे कुर्सी पर बैठे ही रहे हैं, लेकिन नवनीत सहगल ने इस पद को संभालने के बाद वो कर दिखाया, जो हाल-फिलहाल होने की संभावना तक नहीं थी। सरकार का प्रचार-प्रसार करना हो, या विभाग को मीडिया और जनता के और करीब लाना हो, उन्होंने हर क्षेत्र में सूचना विभाग को अपडेट कर दिया है और निरंतर ऐसे कार्य रहे हैं, जो सामने आते ही मुंह से सिर्फ “वाह” शब्द ही निकलता है। मुख्यमंत्री कार्यालय और सूचना विभाग में कई बेवसाईट बन चुकी हैं। जिला मुख्यालय ऑन लाइन कर दिए गये हैं। जिला मुख्यालयों पर प्रेस क्लब बनवाने का प्रस्ताव रख दिया गया है। मान्यता समिति की बैठक नियमानुसार हो रही हैं। नवनीत सहगल जैसा अफसर उत्तर प्रदेश के सूचना विभाग को पहले मिल गया होता, तो विभाग के साथ पत्रकारों के भी दुर्दिन दूर हो गये होते। कुल मिला कर नाम के अनुरूप हर क्षण कुछ नया करने को आतुर रहने वाले नवनीत सहगल से यही अपेक्षा है कि वे आने वाले दिनों में भी सूचना विभाग और मीडिया के हित में सराहनीय कार्य करते रहेंगे।