बदायूं जिले में लगभग हर दिन हत्या, लूट और यौन उत्पीड़न की वारदातें हो रही हैं। इससे भी बड़े दुर्भाग्य की बात यह है कि पुलिस आरोपियों को बचाने में ही अपनी शक्ति लगाती नज़र आ रही है। कटरा सआदतगंज की घटना से सबक न लेने वाली बदायूं पुलिस दलित किशोरी के प्रकरण में भी किशोरी और उसके परिवार का ही उत्पीड़न कर रही है। यौन उत्पीड़न की शिकार किशोरी के पिता ने विधायक के दबाव में अपनी बेटी और परिवार का उत्पीड़न करने का पुलिस पर आरोप लगाया है, जिससे पुलिस उसे चुप कराने के प्रयास में जुट गई है, जबकि पीड़ित पिता अंतिम सांस तक न्याय के लिए लड़ने का दावा कर रहा है। पीड़ित दलित का कहना है कि न्याय नहीं मिला, तो वह सुप्रीम कोर्ट तक जायेगा और सम्मान के लिए घर-जमीन तक बेच देगा।
क्या है घटना?
जिला बदायूं स्थित इस्लामनगर थाना क्षेत्र के गाँव नूरपुर पिनौनी निवासी जाटव परिवार की एक नाबालिग लड़की को गांव में ही किराये पर रह रहा विदलेश यादव उर्फ प्रवेश यादव निवासी रामपुर खादर थाना रजपुरा जिला संभल अपने दो अन्य साथियों की मदद से किसी तरह 23 अप्रैल को ले गया था। तीन बच्चों के पिता प्रवेश यादव के बारे में बताया जाता है कि वह नाबालिग लड़कियों को बेचने का धंधा करता हैं। किशोरी के पीड़ित दलित माता-पिता ने भी अपनी बेटी के बारे में ऐसी ही आशंका जताते हुए लड़की को बरामद कराने की गुहार लगाई थी, पर इसलामनगर थाना पुलिस ने पीड़ित दंपत्ति की नहीं सुनी, लेकिन पीड़ित ने मुख्यालय पर धरना दिया था, तो पुलिस ने एक सप्ताह बाद 2 मई को मनमाने तरीके से मुकदमा दर्ज कर लिया, पर पुलिस ने कार्रवाई की गति तेज नहीं की, इस बीच कटरा सआदतगंज की घटना को लेकर बसपा सुप्रीमो मायावती आईं, तो पीड़ित दंपत्ति मायावती से मिला, जिसके बाद पुलिस हरकत में आई।
मामले में क्या हुआ?
इस्लामनगर थाना पुलिस ने उच्च स्तरीय दबाव बनने पर मुख्य आरोपी को गिरफ्तार कर लड़की को भी 5 जून को बरामद कर लिया। आरोपी को अगले दिन जेल भेज दिया, लेकिन किशोरी को बदायूं स्थित महिला थाने में लाकर बंद कर दिया। आरोप है कि महिला थाने की एसओ अनीता मिश्रा और कई अन्य महिला पुलिस कर्मी, एसओ इस्लामनगर सतीश यादव और कई अन्य पुलिस कर्मी किशोरी को लगातार तरह-तरह से प्रताड़ित करते रहे। इस बीच 10 जून को किशोरी ने महिला अस्पताल में मीडिया के समक्ष यह बता दिया कि उसके साथ गैंग रेप हुआ है और उसे गुन्नौर विधान सभा क्षेत्र के सपा विधायक राम खिलाड़ी यादव की बबराला स्थित कोठी में बंधक बना कर रखा गया था, यह खबर मीडिया में आते ही किशोरी और उसके परिवार की पुलिस ने दुर्गति करनी शुरू कर दी।
कैसे की पुलिस ने मनमानी?
पुलिस ने किशोरी 5 जून को बरामद कर ली थी, पर पुलिस ने किशोरी को न्यायालय में 12 जून को पेश किया, इस बीच किशोरी को हर तरह से प्रताड़ित करने का आरोप है। उसे माता-पिता को देखने तक नहीं दिया गया। पिता का आरोप है कि 12 जून को पुलिस ने उसकी पत्नी को थाने में बंद कर लिया और उसकी बेटी से कहा कि बयान उसके कहे अनुसार नहीं दिये, तो उसकी माँ को जेल भेज देंगे, साथ ही पिता और भाई को भी जेल भेजने की धमकी दी थी।
पुलिस ने कैसे किया विश्वासघात?
किशोरी के पिता का कहना है कि उसकी बेटी गाँव के ही स्कूल में पाँचवीं कक्षा तक पढ़ी है। उसने गाँव के स्कूल से जन्मतिथि का प्रमाण पत्र लिया और वो पुलिस को दिखा दिया, तो पुलिस ने उसका कागज बदल दिया। आरोप है कि बदले में उसे नकली कागज दे दिया। किशोरी का पिता निरक्षर है, इसलिए उसने वकील के माध्यम से वह कागज कोर्ट में दाखिल कर दिया। कोर्ट ने उस कागज की जांच कराई, तो वह कागज फर्जी सिद्ध हो गया एवं विधायक के दबाव में सीएमओ ने उसकी नाबालिग लड़की को बालिग करार दे दिया, इस सबका खुलासा बाद में हुआ। पिता का कहना है कि वह अब अपहरण करने वालों, रेप करने वालों और विधायक सहित पुलिस को भी नहीं छोड़ेगा और अंतिम सांस तक कोर्ट में न्याय के लिए लड़ेगा।
कब से कर रही है पुलिस उत्पीड़न?
किशोरी के पिता ने बताया कि विदलेश की न जाने उसकी बेटी पर कब नज़र पड़ गई। वह और उसकी पत्नी जंगल में होते, तो वह उसके घर में घुस आता। लड़की जंगल में होती, तो उसे वहाँ अपने कब्जे में ले लेता और तमंचे से डरा कर उसका यौन उत्पीड़न करता, साथ में भाई और पिता को मारने की धमकी दे देता, तो दहशत में लड़की अकेली झेलती रही। इस बीच दो माह का गर्भ ठहर गया, तो डरी-सहमी लड़की ने माँ को सब कुछ बता दिया, उसने चौकी पुलिस को घटना की उसी समय जानकारी दी और विदलेश से कहा कि वह उसकी लड़की से दूर रहे, तो उसके बेटे को जेल भेज दिया।
किशोरी के भाई को किस मुकदमे में भेजा जेल?
अज्ञात मांस तस्कर रात में सार्वजनिक गायों को काट कर मांस भर ले गए थे, इस प्रकरण में बीस दिसंबर को पुलिस व जनता के बीच भिड़ंत हुई थी, जिसका मुकदमा लिखा गया। इस मुकदमे में लगभग 27 व्यक्ति नामजद हैं और करीब ढाई सौ अज्ञात आरोपी हैं। इसी प्रकरण में किशोरी के भाई को पुलिस जेल भेज चुकी है, जबकि बाकी नामजद और अज्ञात आज तक पुलिस ने नहीं पकड़े हैं।
क्या होगा शिशु का?
किशोरी के तीन-चार महीने का गर्भ बताया जा रहा है, ऐसे में सवाल यह उठता है कि बिन ब्याही किशोरी माँ बनेगी, क्योंकि गर्भपात कराने की अनुमति कानून नहीं देता, लेकिन नाबालिग होने के कारण किशोरी की जान को खतरा भी बना हुआ है।
खैर, पुलिस और प्रशासन के स्तर पर किशोरी और उसके परिवार को मदद मिलने की जगह उल्टा उत्पीड़न ही हुआ है, ऐसे में दलित परिवार का सहारा एक मात्र न्यायालय ही है, ऐसे में देखने की खास बात यही रहेगी कि दलित परिवार अपने साथ हुये उत्पीड़न को न्यायालय में सिद्ध कर पायेगा या नहीं?
न्यायालय में जो भी हो, पर किशोरी और उसके परिवार की जान पर खतरा मंडरा रहा है, ऐसे में सवाल यह भी उठ रहा है कि दलित परिवार का उत्पीड़न करने वाली पुलिस किशोरी और उसके परिजनों को सुरक्षा देगी या नहीं?
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