राजस्थान में जोधपुर स्थित न्यायालय के जज मधुसूदन शर्मा ने कड़ी सुरक्षा व्यवस्था के बीच यौन शोषण के आरोपी स्वयं-भू संत आसाराम को उम्र कैद की सजा सुनाई है, वहीं बाकी दो दोषियों शिल्पी उर्फ संचिता गुप्ता (सेविका) एवं शरदचंद्र उर्फ शरतचंद्र को 20-20 साल की सजा सुनाई है, इससे पहले न्यायालय ने शिवा उर्फ सेवाराम (आसाराम का प्रमुख सेवादार) व प्रकाश द्विवेदी (आश्रम का रसोइया) को बरी कर दिया था। स्वयं-भू संत आसाराम को 31 अगस्त 2013 को जोधपुर पुलिस ने गिरफ्तार किया था। आसाराम जेल ही बंद है।
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आसाराम को कुकर्म की सजा मिल गई है। आसाराम का असली नाम असुमल थाउमल हरपलानी है, यह मूल रूप से पाकिस्तान के सिंध प्रांत से ताल्लुक रखता है। बंटवारे के समय इसका परिवार गुजरात में आकर बस गया था, इसके पिता लकड़ी और कोयले का धंधा करते थे। तीसरी कक्षा तक पढ़े आसाराम ने चाय बेच कर और तांगा चला कर जीवन यापन किया था, इस बीच 1973 में ट्रस्ट बना कर अहमदाबाद के मोटेरा गांव में अपना पहला आश्रम खोल लिया। आसाराम का धर्म का धंधा तेजी से बढ़ता गया, इसके बाद अन्य राज्यों में भी इसकी जड़ें फैल गईं, साथ ही राजनैतिक दलों में भी हावी हो गया।
इसकी ताकत का ही असर था कि इसके विरुद्ध 20 अगस्त 2013 को दर्ज कराया गया मुकदमा दिल्ली के कमला मार्केट में स्थित थाने में दर्ज कराया गया था, जिसे बाद में विवेचना हेतु जोधपुर भेज दिया गया था, इस प्रकरण में 23 मई 2014 को अमरुत प्रजापति की राजकोट में गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। 10 जुलाई 2014 को गवाह कृपाल सिंह को शाहजहांपुर में गोली मार दी गई थी। 11 जनवरी 2015 को अखिल गुप्ता की मुजफ्फरनगर में गोली मार कर हत्या कर दी गई थी। 13 फरवरी 2015 को राहुल सचान पर जोधपुर में न्यायालय के बाहर हमला किया गया था।
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