राजस्थान के जयपुर में स्थित बिरला सभागार में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सर-कार्यवाह दत्तात्रेय होसबोले ने कहा कि संघ न तो दक्षिणपंथी है और न ही वामपंथी है, वो राष्ट्रवादी है। कल, आज और कल नाम के कार्यक्रम में उन्होंने कहा कि भारत में रहने वाले सभी हिंदू हैं, क्योंकि उनके पूर्वज हिन्दू थे, उनकी पूजा पद्धति अलग हो सकती है लेकिन, उन सभी का डीएनए एक है।
उन्होंने कहा कि सभी के सामूहिक प्रयास से ही भारत विश्व गुरु बनकर दुनिया का नेतृत्व करेगा। संघ भारत के सभी मतों और संप्रदायों को एक मानता है, संघ न तो दक्षिणपंथी है और न ही वामपंथी है बल्कि, वो राष्ट्रवादी है। उन्होंने कहा कि लोग अपने मत और संप्रदाय का पालन करते हुए संघ के कार्य कर सकते हैं। संघ कठोर नहीं है बल्कि, लचीला है। उन्होंने कहा कि संघ को समझने के लिए दिमाग नहीं दिल चाहिए। उन्होंने अगली पीढ़ी के कल्याण के लिए पर्यावरण की रक्षा करने पर बल दिया। होसबाले ने कहा कि देश में लोकतंत्र की स्थापना में आरएसएस की अहम भूमिका रही है।
उन्होंने कहा कि संघ को समझने के लिए दिमाग नहीं दिल की जरुरत है। आरएसएस को लोग अपना दुश्मन मानते होंगे लेकिन, आरएसएस का कोई दुश्मन नहीं है। उन्होंने पुरानी घटना का उल्लेख करते हुए कहा कि जब महात्मा गांधी की हत्या के लगे झूठे आरोपों के बाद आरएसएस पर बैन लगाया गया था, उस दौरान आरएसएस के लोगों ने अपने आप को अकेला पाया था। उन्होंने कहा कि वर्षों तक संघ के लोग अपने आप को अकेला महसूस करते रहे। लोग मिलना तक नहीं चाहते थे लेकिन, संघ के लोगों ने अपने काम को रोका नहीं, न झुके, न रुके। दूसरी बार आपातकाल के बाद आरएसएस पर बैन लगा तब संघ के पास अकेला पन नहीं था। संघ के नेतृत्व को लोगों ने सराहा। उन्होंने कहा कि दुनिया के लोगों ने संघ के काम को खूब सराहा। अब अगले साल संघ अपने स्थापना का 100वां साल मनाने वाला है।
राष्ट्रपति भवन के मुगल गार्डन का नाम बदलने पर होसबोले ने कहा कि यह बस नाम नहीं है बल्कि, विचार-विमर्श का समय है, स्वतंत्रता क्या है? गोरे लोगों को यहां से हटाकर सांवले लोगों को कुर्सी पर बैठा देना ही स्वतंत्रता नहीं है, स्वतंत्रता मतलब अपना तंत्र चाहिए। उन्होंने पूर्व मुख्य न्यायाधीश एनवी रमना की बात का उदाहरण देते हुए बताया कि जब सीजेआई ने कहा था कि न्यायपालिका भारत के मिट्टी के अनुरूप नहीं है, इसलिए अब एक विमर्श शुरू हुआ है, जो अब चलता रहेगा। देश के हिसाब से काम होना चाहिए, नाम बदलना कोई छोटी प्रक्रिया नहीं है, यह चलता रहेगा, अब विचार-विमर्श का समय है, इसकी शुरुआत हो गई है, सब भारत के लोगों और यहां की मिटटी के हिसाब से होना जरूरी है।
सर-कार्यवाह दत्तात्रेय होसबोले ने कहा एक समय था जब लोग बुलाने पर भी आरएसएस के कार्यक्रम में नहीं आते थे, अब सोशल मीडिया से लेकर मीडिया में प्रमुख रूप से आरएसएस के पदाधिकारियों की चर्चा होती रहती है। पहले हमारी बात को लोग सुनना तक नहीं चाहते थे लेकिन, अब हर जगह संघ की चर्चा होती है। उन्होंने कहा आरएसएस के बारे में लोगों को पहले गलत बातें बताई जाती थी, अब ऐसा नहीं है, सभी आरएसएस से जुड़ रहे हैं। घर वापसी भी बड़ी संख्या में कराई जा रही है। उन्होंंने कहा कि गौ हत्या करने वाले हिंदुओं की भी घर वापसी कराई जा सकती है, किसी ने मजबूरी में गौ मांस ही क्यों ना खाया हो लेकिन, किसी कारण से वो गये तो, दरवाजा बंद नहीं कर सकते हैं और आज भी उनकी घर वापसी हो सकती है। संघ की उपयोगिता बहुत बढ़ी है। हम देश की मजबूती के लिए हमेशा से काम करते रहे हैं। आपदा काल में संघ द्वारा किये कार्यों की खूब चर्चा रहती है।
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