राजस्थान की पुलिस और स्पेशल ऑपरेशन ग्रुप ने संयुक्त ऑपरेशन कर पांच लाख के इनामी बदमाश आनंद पाल सिंह को भले ही मौत के घाट उतार दिया हो, पर उसकी मौत पर आया भूचाल अभी थम नहीं पा रहा है। आनंद पाल का मारा जाना बड़े राजनैतिक परिवर्तन का कारण बन सकता है। आनंद पाल के एन्काउन्टर के बाद जातिगत आक्रोश चरम पर है। हालाँकि सब कुछ शांत होने की उम्मीद जताई जाने लगी थी, इस बीच आनंद पाल की बड़ी बेटी चरणजीत सिंह उर्फ चीनू के दुबई से आने पर गिरफ्तार करने की बात फैलने लगी, जिससे राजपूत समाज दो-दो हाथ करने की बात करने लगा है, ऐसे मैसेज सोशल साइट्स पर निरंतर वायरल हो रहे हैं।
आनंद पाल सिंह चौहान की पत्नी का नाम राजकंवर है, इन दोनों के एक बेटा और दो बेटियां हैं, जिनमें छोटी बेटी योगिता सिंह पुणे में रह कर पढ़ती है, वहीं बड़ी बेटी चरणजीत उर्फ चीनू दुबई में रह कर इंजीनियरिंग की पढ़ाई कर रही है। चीनू पर आरोप है कि उसने फरार होने में पिता की मदद की थी, इससे यह अफवाह फैल गई कि पैतृक गांव सांवराद आते ही पुलिस उसे गिरफ्तार कर सकती है। गिरफ्तारी की संभावना को लेकर ही राजपूत समाज सरकार और पुलिस से दो-दो हाथ करने की बात करने लगा है, ऐसे मैसेज सोशल साइट्स पर जमकर वायरल हो रहे हैं। हालाँकि हालातों को पुलिस और सरकार भी महसूस कर रही है, जिससे इन हालातों में चीनू की गिरफ्तारी कर पाना संभव नजर नहीं आ रहा है, साथ ही आनंद के परिजन, राजपूत समाज का एक बड़ा वर्ग सीबीआई जाँच की मांग कर रहे हैं। चीनू के नाम से एक ऑडियो भी वायरल हुआ है, जिसमें वह देशवासियों से मदद का आह्वान करते हुए सरकार से सीबीआई जाँच कराने की गुहार लगाती सुनाई दे रही है।
खैर, बात करते हैं आनंद पाल सिंह चौहान की, जो शुरुआत में पप्पू नाम से जाना जाता था, वह कथित राजपूत था, अर्थात रावणा राजपूत था। रावणा राजपूतों को राजपूत बराबरी का दर्जा नहीं देते, इसीलिए विवाह के दिन राजपूतों ने आनंद को घोड़ी चढ़ने से रोक दिया, उस दिन प्रभावशाली छात्र नेता जीवनराम गोदारा ने आनंद का सम्मान बचाया और आगे बढ़ कर आनंद की बारात घोड़ी पर बैठा कर चढ़वाई। आनंद कानूनी दृष्टि से पांच लाख का इनामी गैंगस्टर था, लेकिन वह एक बड़े वर्ग के लिए आनंद बाबू था, आनंद दादा था, मृदुभाषी और व्यवहार कुशल होने के चलते बहुत सारे लोगों का चहेता था, साथ ही आर्थिक मदद करने के कारण कई सारे गरीबों के लिए मसीहा बन गया था। राजस्थान में दहशत का पर्याय बन गया गैंगस्टर आनंद पाल सिंह नागौर जिले में स्थित लाडनूं तहसील क्षेत्र के गांव सांवराद में जन्मा था। समाज को शिक्षित करने के इरादे से आनंद ने बीएड की डिग्री हासिल की, लेकिन हालात ऐसे बन गये कि अपराध की शिक्षा देने को मजबूर हो गया। बताते हैं कि पढ़ाई पूरी करने के बाद आनंद ने पैतृक जमीन पर खेती शुरू कर दी एवं लगभग 80 गाय-भैंस की डेयरी खोली, साथ ही सीमेंट की एजेंसी भी ली, इस सबसे वह परिवार के साथ खुशहाल जीवन गुजार था, इस बीच पंचायत चुनाव आ गये, जिसमें मित्रों ने चुनाव लड़ा दिया। पहले से राजनीति में स्थापित लोगों से उसकी व्यक्तिगत दुश्मनी हो गई, जिसके चलते प्रभावशाली विपक्षियों ने उस पर कई मुकदमा दर्ज करा दिए और फिर यहीं से आनंद का जीवन बदल गया।
राजनैतिक दबाव और रंजिश में मुकदमा दर्ज होने के बाद आनंद ने अपराध जगत को ही अपना लिया और फिर अपराध की दुनिया में उसका नाम निरंतर ऊपर बढ़ने लगा। लूट, डकैती, गैंगवार, हत्या, जमीन कब्जाने और फिरौती के मुकदमा दर्ज होते चले गये, इस दौरान उसने राजनैतिक संबंध प्रगाढ़ करने के साथ सैकड़ों करोड़ की संपत्ति भी अर्जित कर ली, उसकी संपत्तियों के बारे में बताया जाता है कि जयपुर के पॉश इलाके में दो फ्लैट, जिनकी कीमत डेढ़ करोड़ से ऊपर है। लगभग 370 बीघा जमीन है। कुचामन, हनुमानगढ़, सीकर और चुरू में भी उसकी जमीन है, साथ ही मकराना के बिजोलिया में मार्बल की माइंस है, इस सबको पुलिस ने कुर्क कर लिया है, इसके अतिरिक्त कई जगह उसकी बेनामी संपतियां भी बताई जाती हैं। आनंद का बेटा और दोनों बेटियां महंगे स्कूलों में पढ़ रहे हैं। धन बढ़ने पर आनंद और बड़े अपराधियों के संपर्क में पहुंच गया, जिससे अपराध करने का तरीका और हथियार भी बदल गये, वह बुलेट प्रूफ जैकेट पहनता था और एके- 47, ऑटोमैटिक मशीन गन एवं बम इस्तेमाल करता था, इस बीच वह गिरफ्तार भी हुआ, इस दौरान उस पर जेल में हमला हुआ, हमलावर मार दिए गये, इसके बाद उसे अजमेर की जेल में भेज दिया गया, जहाँ से पेशी पर लाते समय 3 सितंबर, 2015 को वह भाग गया, जिसके बाद उसका खौफ और बढ़ गया।
आनंद अचानक यहाँ तक नहीं पहुंचा था। बलबीर बानूड़ा और राजू ठेहट नाम के दो मित्र थे, जो शराब का धंधा करते थे। वर्ष- 2005 में ठेके पर सेल्समैन विजयपाल और राजू ठेहट के बीच नोंक-झोंक हो गई, जिसमें राजू ने अपने साथियों के साथ मिलकर विजयपाल की हत्या कर दी। मृतक विजयपाल रिश्ते में बलबीर का साला था, जिससे बलबीर और राजू अलग हो गये। बलवीर ने उभरते हुए अपराधी आनंद से संपर्क किया और फिर आनंद के हौसले से अपनी रंजिश पूरी करता रहा। गोपाल फोगावट को आनंद ने बलवीर के लिए ही मौत के घाट उतारा था, जिसमें कई लोग नामजद किये गये, इसी तरह एक मदन राठौर नाम के फौजी की बेरहमी से हत्या की गई थी, जिसका आरोप उसी जीवनराम गोदारा पर लगा, जिसने आनंद को शादी के दिन घोड़ी पर बैठाया था, पर उस अहसान को दरकिनार कर आनंद ने राजपूतों का नायक बनने के लिए वर्ष- 2006 में राजस्थान के डीडवाना में जीवनराम गोदारा को गोलियों से भून दिया। 29 जून 2011 को आनंद ने सुजानगढ़ में भोजलाई चौराहे पर गोलियां चलाकर तीन लोगों को घायल कर दिया, इस सबके बाद आनंद का नाम राजस्थान की विधान सभा में गूंजने लगा। सरकार और पुलिस पर निरंतर दबाव बढ़ने लगा, तो सरकार ने 21 आईपीएस और 3000 से ज्यादा पुलिस वाले आनंद को पकड़ने में जुटा दिए, जिन्हें विशेष ट्रेनिंग भी दी गई। पुलिस के स्पेशल जवान राजस्थान के अलावा मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश और दिल्ली तक नजरें गढ़ाये हुए थे। आनंद को पकड़ने के लिए पुलिस ने 700 से ज्यादा लोगों को पकड़ा। ऑपरेशन पर लगभग साढ़े आठ करोड़ रूपये बहाने के बाद चूरू जिले के मालेसर में 25 जून को आनंद का अंत हो गया, पर उसके शव की अंत्येष्टि अभी तक नहीं हुई है।
आनंद के अंत से एक बड़ा वर्ग खुश है, लेकिन गमगीन लोगों की भी कमी नहीं है, उसके फेसबुक पर पेज ग्रुप हैं, जहाँ उसके हजारों फॉलोअर हैं, वह फेसबुक जेल से भी अपडेट करता रहा है। बताते हैं कि अपराध की दुनिया में आने के बाद भी आनंद का अंदाज गंवई था, पर उसके संपर्क में अनुराधा चौधरी नाम की एक महिला आ गई, जिसके बाद वह स्टालिश हो गया। उच्च शिक्षित अनुराधा ने आनंद को अंग्रेजी में निपुण कर दिया, जिसके बाद वह ब्रांडेड कपड़े पहनने लगा और कसरत कर शरीर को मॉडल सरीखा बना लिया। अनुराधा उर्फ अनुराग सीकर में रानी सती रोड की मूल निवासी है, इसकी शादी सीकर के ही दीपक मिंज नाम के व्यक्ति के साथ हुई थी, लेकिन शेयर बाजार में बर्बाद होने के बाद आनंद के संपर्क में आ गई थी, जो फिलहाल जेल में है।
उक्त कहानी लगती फिल्मी है, पर है शब्दशः सच, लेकिन आनंद के परिजन और उसके समर्थक एनकाउंटर को फर्जी बता रहे हैं, उसके पीछे चर्चित आईपीएस अफसर दिनेश एमएन का हवाला दिया जा रहा है। दिनेश एमएन सोहराबुद्दीन एनकाउंटर के प्रकरण में जेल जा चुके हैं, जिन्हें अदालत ने सात वर्ष बाद जमानत पर रिहा किया है, उन्हें सरकार ने भ्रष्टाचार निवारण ब्यूरो का आईजी बना दिया, तो उन्होंने एडिशनल डायरेक्टर माइनिंग को रिश्वत लेते हुए गिरफ्तार करा लिया, जिसके बाद वे पुनः चर्चा में आ गये, इसके बाद सरकार ने उन्हें एसीबी से हटा कर एसओजी में तैनात कर दिया, तो वे आनंद का खात्मा करने में जुट गये और वे सफल भी रहे। हालाँकि इस बार वे ऑपरेशन करने जमीन पर नहीं उतरे। आनंद के परिजन और उसके समर्थक दिनेश एमएन की कार्य प्रणाली को भी सीबीआई जाँच कराने का आधार बना रहे हैं।
(गौतम संदेश की खबरों से अपडेट रहने के लिए एंड्राइड एप अपने मोबाईल में इन्स्टॉल कर सकते हैं एवं गौतम संदेश को फेसबुक और ट्वीटर पर भी फ़ॉलो कर सकते हैं)