बदायूं के विवादित राधिका स्वीट्स और रेस्टोरेंट के शातिर मालिक के विरुद्ध चूहा कांड में अभी सिर्फ जाँच चल रही है, लेकिन शातिर मालिक ने कई पत्रकारों को बर्खास्त करा दिया है एवं कई अन्य की नौकरी दांव पर लगी हुई है। खबर दबाने को लेकर शातिर मालिक ने पहले रूपये बांटे और फिर धोखे से वीडियो बना कर पत्रकारों को उल्टा ब्लैकमेल कर रहा है।
उल्लेखनीय है कि 10 अक्टूबर की रात लगभग नौ बजे नेकपुर निवासी विवेक गुप्ता अपने साथियों के संग इंद्रा चौक के पास स्थित राधिका स्वीट्स के रेस्टोरेंट पर भोजन कर रहा था, इस दौरान विवेक को सब्जी में तला हुआ चूहा दिखाई दिया। उक्त घटना का ग्राहक ने वीडियो बना लिया था, जिसे उसने सोशल साइट्स पर शेयर कर दिया था। गौतम संदेश ने ग्राहकों की जिंदगी से हो रहे खिलवाड़ की खबर प्रकाशित की थी, जिसके बाद खाद्य विभाग भी सक्रिय हो गया था। खाद्य विभाग की टीम ने 11 अक्टूबर को मौके पर जाकर जाँच की, तो तमाम गंभीर अनियमिततायें पाई गईं। खाद्य विभाग ने नोटिस जारी कर राधिका स्वीट्स के मालिक से स्पष्टीकरण मांगा था एवं मानक पूरे न होने तक रेस्टोरेंट बंद करने के निर्देश दिए थे। राधिका स्वीट्स के संचालक ने बाद में खाद्य विभाग के निर्देश के अनुसार समस्त मानक पूरे कर लिए, तो रेस्टोरेंट शुरू करने की अनुमति दे दी गई, जबकि खाद्य विभाग को शुरू में ही मुकदमा दर्ज कराना चाहिए था। खाद्य विभाग की कार्रवाई औपचारिता पूरी करने भर की थी।
उधर पीड़ित ग्राहक विवेक ने आरोप लगाया कि राधिका स्वीट्स का मालिक और उसका बेटा उसे धमका रहा है। वायरल किये गये वीडियो का खंडन न करने पर उसे और उसके परिवार को भयानक अंजाम भुगने की धमकी दी जा रही है, जिससे पीड़ित डरा-सहमा है। पीड़ित के प्रार्थना पत्र पर थाना सिविल लाइंस पुलिस ने मुकदमा दर्ज कर प्रकरण की जाँच शुरू कर दी, जो अभी जारी है, वहीं इस प्रकरण को दबाने के लिए शातिर मालिक ने कुछेक पत्रकारों को रूपये भी दे दिए थे और शातिर मालिक ने सभी पत्रकारों का रूपये देते हुए वीडियो भी बना लिया था।
रेस्टोरेंट के शातिर मालिक द्वारा बनाया गया वीडियो अमर उजाला के बड़े अफसरों के संज्ञान में पहुंचा, तो आनन-फानन में फोटोग्राफर सहित दो रिपोर्टरों को बर्खास्त कर दिया गया, उनमें से एक सुरजन सिंह यादव का कहना है कि दबाव बनाना और रूपये लेना तो बड़ी बात है, उसकी रुपयों से संबंधित रेस्टोरेंट के मालिक से कभी कोई बात तक नहीं हुई है। सुरजन ने कहा कि संस्थान के किसी बड़े व्यक्ति के पास रूपये और दीवाली के अवसर पर मिठाई आई थी, लेकिन स्वयं को ईमानदार दर्शाने और स्वयं को बचाने के लिए छोटे कर्मचारियों को बर्खास्त करा दिया गया। सुरजन ने प्रकरण संज्ञान में आने के बाद रेस्टोरेंट के मालिक से फोन पर बात की, जिसमें स्पष्ट है कि उसने रूपये नहीं लिए।
उक्त प्रकरण को लेकर यह भी बताया जा रहा है कि रेस्टोरेंट स्वामी ने टीवी और प्रिंट मीडिया से जुड़े लगभग एक दर्जन पत्रकारों को रूपये दिए थे और उन सभी का वीडियो भी बना लिया था। वीडियो के आधार पर पत्रकारों को नौकरी से निकलवाने और कानूनी कार्रवाई करने की चेतावनी दी जा रही है, जिससे सवाल उठता है कि रेस्टोरेंट स्वामी ने रूपये दिए क्यों? अगर, रूपये रिश्वत के रूप में दिए, तो रिश्वत देना भी गुनाह है। अगर, उस पर दबाव बनाया जा रहा था, उसने तत्काल पुलिस को सूचित क्यों नहीं किया? स्पष्ट है कि रेस्टोरेंट का स्वामी रूपये लेने वाले पत्रकारों से कम गुनहगार नहीं है। वीडियो पुलिस के पास पहुंचे, तो पुलिस को समान भाव से रेस्टोरेंट के संचालक के विरुद्ध भी कड़ी कार्रवाई करनी चाहिए, साथ ही उक्त मुकदमा में धारा- 273 आईपीसी भी लगानी चाहिए, ताकि भविष्य में ग्राहकों के जीवन से खिलवाड़ न कर सके।
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