उत्तर प्रदेश के समाजवादी पार्टी के सिरफिरे नेता हों, या सिरफिरे नेताओं का संरक्षण प्राप्त करने वाले पुलिस वाले, सबके बात करने का अंदाज़ इस कदर बदल गया है कि अब आम आदमी को उनसे बात तक करने में डर लगने लगा है। हालात इतने भयावह हो चले हैं, लेकिन सिरफिरे नेताओं और अफसरों को सबक सिखाने के लिए मुख्यमंत्री अभी तक सामने नहीं आ रहे हैं।
ताज़ा प्रकरण जिला हरदोई के थाना हरियावां का हैं, जहां के दबंग थानाध्यक्ष राकेश गुप्ता ने अपने ही गिरोह के एक कथित पत्रकार को जमकर हड़का दिया। थानाध्यक्ष राकेश गुप्ता ने विनय सिंह नाम के एक कथित पत्रकार के मामले में हरियावां में थाना स्तर के हिंदुस्तान अखबार के संवाददाता सुशील मिश्रा को फोन किया और गालियाँ देते हुए कहा कि जब खुद भी अवैध खनन कर रहा है, तो विनय ने एसडीएम को फोन क्यूं किया? दबंग एसओ ने सुशील से खुल कर कहा कि तुम्हारी जेसीबी चल रही है, लेकिन सुशील ने एसओ की बात का खंडन नहीं किया, साथ ही विनय को लेकर सुशील एसओ का ही साथ देता प्रतीत हो रहा है, जिससे स्पष्ट है कि पुलिस के संरक्षण में न सिर्फ माफिया, बल्कि पत्रकार भी अवैध खनन करा रहे हैं, पर अभी न एसओ राकेश गुप्ता के विरुद्ध कार्रवाई हुई है और न ही हिंदुस्तान प्रबंधन ने सुशील को हटाया है।
दबंग थानेदार राकेश गुप्ता का एक और प्रकरण है। यौन उत्पीड़न की शिकार महिला से इस अंदाज़ में बात कर रहा है, जैसे थानेदार की जगह गुंडा हो। घटना 22 मई की रात है। कपूरपुरा निवासी एक महिला को मोहल्ले के दो लोगों ने छत पर सोते समय दबोच लिया और उसका यौन शोषण किया, इस घटना की एसओ ने रिपोर्ट दर्ज नहीं की। पीड़ित अफसरों से मिली, तो जांच के बाद कार्रवाई करने के निर्देश दे दिए गये, इसी को लेकर पीड़ित ने फोन किया कि वो किस समय थाने आये?, इस पर एसओ राकेश गुप्ता ने उसे उल्टा बेइज्जत किया। इस बातचीत का भी ऑडियो वायरल हो गया है, लेकिन एसओ के विरुद्ध कोई कार्रवाई नहीं हुई।
उल्लेखनीय है कि एसओ राकेश गुप्ता इससे पहले भाजपा सांसद अंशुल वर्मा का भी अपमान कर चुका है। घटना 30 अगस्त की है। सांसद रोड से गुजर रहे थे, तभी किसी व्यक्ति ने अपनी पुलिस से संबंधित समस्या बताई, इस पर सांसद ने गनर को भेजा कि एसओ को बुला लाये, लेकिन एसओ थाने के गेट पर नहीं आया और कह दिया कि सांसद को यहीं भेजो। बाद में सांसद स्वयं थाने में अंदर चले गये, तो एसओ कुर्सी से उठ कर खड़ा नहीं हुआ, इस पर सांसद थाने के सामने ही धरने पर बैठ गये। बाद में कई सांसदों ने मिल कर एसओ राकेश गुप्ता की राज्यपाल से भी लिखित शिकायत की, लेकिन राकेश गुप्ता के विरुद्ध कोई कार्रवाई नहीं हुई। बता दें कि सांसद अंशुल वर्मा उच्चतम न्यायालय में अधिवक्ता भी हैं, लेकिन एसओ ने उन्हें आम आदमी जैसा भी सम्मान नहीं दिया, इसके पीछे बताया जाता है कि राकेश गुप्ता के सिर पर सपा के शक्तिशाली नेता व राज्यमंत्री नितिन अग्रवाल का हाथ है, जिससे वह उनके अलावा और किसी को कुछ नहीं समझता। आश्चर्य की बात तो यह है कि इतना सब होने के बावजूद विवादित एसओ राकेश गुप्ता के विरुद्ध न डीजीपी ने कोई कार्रवाई की है और न ही मुख्यमंत्री ने, जिससे पुलिस के साथ समूची सरकार की फजीहत हो रही है। यह भी बता दें कि इससे पहले मंत्री विनोद सिंह उर्फ़ पंडित सिंह एवं सपा सांसद चन्द्रपाल सिंह यादव के अभद्र भाषा से संबंधित ऑडियो वायरल हो चुके हैं, जिससे स्पष्ट है कि जिस प्रदेश के नेता ऐसे हों, उस प्रदेश की पुलिस से शालीन व्यवहार की अपेक्षा भी कैसे की जा सकती है?
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