बदायूं जिले में निजी स्कूल संचालकों ने अभिवावकों की कमर तोड़ दी है। अधिकांश स्कूल मानकों के विपरीत चल रहे हैं, इसके बावजूद खुलेआम विभिन्न तरीकों से अभिवावकों से रूपये ऐंठ रहे हैं। खुलेआम हो रही अनियमितता की जानकारी विभागीय और प्रशासनिक अफसरों को है एवं त्रस्त अभिवावक लिखित शिकायतें भी करते रहते हैं, पर ऊंची राजनैतिक पहुंच के चलते किसी के भी विरुद्ध कार्रवाई नहीं हो पा रही है।
स्कूल संचालक प्रति वर्ष एडमिशन फीस, बिल्डिंग फीस, गार्डन फीस और ग्राउंड फीस वसूल रहे हैं। ट्यूशन फीस का मतलब अभिवावक आज तक नहीं समझ पाये हैं। कन्वेंस फीस भी ऐसे वसूली जा रही है, जैसे यह स्कूल के वाहन नहीं, बल्कि डग्गामार वाहन हों, इसके अलावा ड्रेस और किताबों में भी खुल कर कमीशनखोरी कर रहे हैं। प्रत्येक स्कूल ने अपनी दुकानें निर्धारित कर रखी हैं, उनके स्कूल की ड्रेस और किताबें उन्हें कमीशन देने वाली दुकान पर ही मिलेगी, जिससे मजबूरी में अभिवावकों को कमीशन देनी पड़ रही है।
ड्रेस के लिए कई दुकानें कुख्यात हैं, लेकिन हाल-फिलहाल विवेक पुस्तक भंडार और श्री जी ट्रेडर्स से शहर के लोग बेहद त्रस्त हैं। हालात इतने खराब हैं कि दो रूपये खुले न हों, तो यह लोग अभिवावक को बेइज्जत कर दुकान से बाहर निकाल देते हैं। कॉपी-किताबों के साथ कई निरर्थक चीजें भी जबरन देते हैं और अभिवावक द्वारा मांगने पर पक्का बिल नहीं देते। अनुमान के अनुसार विवेक पुस्तक भंडार और श्री जी ट्रेडर्स वाले प्रति वर्ष लाखों रूपये की कर चोरी कर लेते हैं। निजी स्कूल संचालकों के साथ त्रस्त अभिवावकों ने ड्रेस और पुस्तक विक्रेताओं की मनमानी पर अंकुश लगाने की मांग की है।
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