बदायूं के मोहल्ला नई सराय में दातागंज तिराहे के पास स्थित प्राचीन तालाब चंदोखर की दिनदहाड़े हत्या करने के मामले में जिले भर के लोगों को अब सिर्फ मुख्यमंत्री और ईश्वर से ही चमत्कार की उम्मीद है। भू-माफियाओं और प्रशासन की दहशत में लोग भले ही मौन नजर आ रहे हों, पर भू-माफियाओं और प्रशासन के विरुद्ध आग अधिकांश लोगों के सीने में धधकती महसूस की जा सकती है। व्यवहारिक, तकनीकी और कागजी प्रमाण तालाब की गवाही देने को काफी हैं, लेकिन जिला प्रशासन हर प्रमाण को ठुकरा रहा है। अब एक ऐसा वीडियो सामने आया है, जो न सिर्फ तालाब के होने, बल्कि उसके सौन्दर्य और लंबाई-चौड़ाई को भी दर्शा रहा है, पर जिला प्रशासन वीडियो को भी नकार देगा।
उल्लेखनीय है कि दातागंज तिराहे के पास कई एकड़ क्षेत्र में फैला विशाल प्राचीन तालाब था, इस तालाब को बेखौफ भू-माफियाओं द्वारा खुलेआम कब्जाया जा रहा है। मिटटी पड़ने के कारण पानी जाम हो गया, तो मोहल्ला नई सराय के लोगों के घरों में पानी उल्टा घुसने लगा। लोगों ने प्रशासनिक अफसरों से शिकायत की, लेकिन दबाव के चलते माफियाओं के विरुद्ध कोई अफसर शिकायत तक सुनने को तैयार नहीं हुआ, इसके बाद परेशान लोगों ने प्रशासन और माफियाओं के विरुद्ध आंदोलन चलाया, तो परेशान नागरिकों के विरुद्ध ही मुकदमा दर्ज करा दिया गया और पुलिस से पूरे इलाके में दहशत कायम करा दी गई, जिससे प्रशासन और दबंग भू-माफियाओं के विरुद्ध अब कोई बोलने तक को तैयार नहीं है।
उक्त प्रकरण गौतम संदेश ने प्रमुखता से उठाया, तो जिला प्रशासन ने जाँच की औपचारिकता पूरी करते हुए कह दिया कि यहाँ कभी कोई तालाब था ही नहीं, जबकि नक्शा और खसरा में तालाब दर्ज है, साथ ही उच्चतम न्यायालय का स्पष्ट आदेश है कि तालाब को किसी भी स्थिति में समतल नहीं किया जायेगा। पानी की कमी को दूर करने के लिए मुख्यमंत्री अखिलेश यादव पुराने तालाबों के संरक्षण को लेकर कड़े दिशा-निर्देश जारी कर चुके हैं, साथ ही नये तालाब बनाने को प्रेरित भी कर रहे हैं, ऐसे प्रकृति प्रेमी मुख्यमंत्री अखिलेश यादव की 23 मई को आयोजित होने वाली रैली जिला प्रशासन उसी स्थान पर करा रहा है, जहाँ दो महीने पहले तक सुंदर और भव्य तालाब था।
तालाब के प्रकरण में जिला प्रशासन जनता की पीड़ा सुनने तक को तैयार नहीं है, इसीलिए सीने में दर्द समेटे हुए लोगों को अब मुख्यमंत्री अखिलेश यादव और ईश्वर पर ही विश्वास बचा है। लोगों का मानना है कि कोई न कोई चमत्कार अवश्य होगा, जिससे तालाब भी बच जायेगा और भू-माफिया सलाखों के पीछे भी जायेंगे। अगर, मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने रैली के दौरान तालाब को कब्जा मुक्त कराने और भू-माफियाओं के विरुद्ध कार्रवाई करने का आदेश दे दिया, तो वे न सिर्फ बदायूं के लोगों के बीच हीरो बन जायेंगे, बल्कि उनकी सैद्धांतिक छवि वैश्विक पटल पर सबसे अलग उभर कर सामने आयेगी, जो अगला विधान सभा चुनाव फतेह करने के लिए काफी होगी। मुख्यमंत्री तालाब के प्रकरण में क्या निर्णय लेंगे, इसका खुलासा 23 मई को ही हो सकेगा।
खैर, तालाब से संबंधित एक वीडियो सामने आया है, जो 27 मई 2010 को बनाया गया था। बदायूं शहर के ही एक युवक ने कोल्हू पर गुड़ बनाने के लिए रस गर्म करने वाली कढ़ाई में इंजन लगा कर स्टीमर बना दिया था, जिसे पहली बार प्राचीन चंदोखर तालाब में ही चलाया गया था। यह खबर देश के कई बड़े टीवी चैनलों पर प्रसारित हुई थी, साथ ही फोटो सहित 28 सितंबर 2010 को अखबारों में भी खबर प्रकाशित हुई थी। वीडियो में तालाब की सुंदरता और विशालता स्पष्ट नजर आ रही है, साथ ही स्टीमर पांच-छः फुट गहरे पानी से कम पर चल नहीं सकता, जिससे यह अंदाज लगा पाना कठिन नहीं है कि तालाब में कितना पानी रहता होगा। वीडियो के अलावा तालाब खसरे में भी दर्ज है, लेकिन जिला प्रशासन तालाब बचाने को किसी कीमत पर तैयार नहीं है, इसके अलावा सवाल यह भी है कि तालाब में डाली गई हजारों डंपर रेत का खनन कहाँ से हुआ, पर जिला प्रशासन इस मुददे पर मौन धारण किये हुए है।
27 सितंबर 2010 को चंदोखर तालाब में चलते हुए स्टीमर का वीडियो देखने के लिए वीडियो पर क्लिक करें
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