बदायूं लोकसभा क्षेत्र के सांसद धर्मेन्द्र यादव जिले भर में पूरी तरह छाये हुए हैं, वह सुनामी की तरह आये और भाजपाईयों के सपनों को मिटाते हुए चले गये। सांसद के कद को देखते हुए भाजपा के कई बड़े पदाधिकारी सक्रिय थे, लेकिन सांसद के सामने किसी की नहीं चली। भाजपाईयों ने जिला पंचायत सदस्यों की अलग बैठक आयोजित की, जिसमें बमुश्किल 22 सदस्य पहुंचे, जिससे भाजपा की जमकर फजीहत हो रही है।
उल्लेखनीय है कि भाजपा लंबे समय से जिला पंचायत अध्यक्ष के विरुद्ध अविश्वास प्रस्ताव लाने का प्रयास कर रही है, इस प्रक्रिया के बीच में ही 30 जून को अध्यक्ष ने बोर्ड की बैठक आयोजित की, जिसको लेकर भाजपाईयों ने दावा किया था कि जिला पंचायत बोर्ड की बैठक में निर्वाचित और पदेन सदस्य मिला कर कुल 34 सदस्य उपस्थित रहे, जिनमें निर्वाचित सदस्यों की संख्या मात्र 24 थी, इसीलिए बैठक अवैध है। शासन स्तर पर शिकायत हुई, जिसकी मंडलायुक्त ने जाँच कराई, तो भाजपाईयों का दावा सही पाया गया। बैठक की कार्रवाई अवैध घोषित कर दी गई और पुनः बैठक आयोजित करने के निर्देश दिए गये।
पूर्व में आयोजित की गई बैठक की कार्रवाई निरस्त होने की सूचना मिलते ही सांसद धर्मेन्द्र यादव ने मोर्चा संभाल लिया। उन्होंने व्यक्तिगत रूप से सदस्यों से बैठक में पहुंचने का आह्वान किया। सांसद के आह्वान पर इस बार 29 निर्वाचित सदस्यों सहित कुल 44 सदस्य बैठक में पहुंचे। अफसरों के अनुपस्थित रहने पर सदन में असंतोष व्यक्त किया गया एवं स्पष्टीकरण मांगने और संतोषजनक उत्तर न पाये जाने पर सभी अनुपस्थित 27 अफसरों का एक दिन का वेतन काटने का प्रस्ताव भी पास कराया गया।
उधर जिला पंचायत बोर्ड की बैठक को लेकर भाजपा नेता भी सक्रिय थे। सूत्रों का कहना है कि संगठन मंत्री भवानी सिंह और जिला प्रभारी महाराज सिंह की निगरानी में समस्त विधायक समाजवादी पार्टी की अध्यक्ष मधू चंद्रा द्वारा बुलाई गई बोर्ड की बैठक में कोरम पूरा न होने देने के प्रयास में जुटे हुए थे। भाजपा ने जिला पंचायत सदस्यों की बैठक भी बुलाई, जिसमें तमाम प्रयासों के बावजूद 22 सदस्य ही पहुंचे। हालाँकि भाजपा की दमयंती वर्मा किसी बैठक में शामिल नहीं हुईं, उन्हें न जोड़ा जाये, तो भाजपा के खेमे में मात्र 21 सदस्य ही बचते हैं, लेकिन भाजपाई इस सबसे मना कर रहे हैं। भाजपाईयों का कहना है कि शनिवार को भाजपा जिले भर में सामान्य ज्ञान प्रतियोगिता आयोजित करने जा रही है, जिसकी तैयारी को लेकर संगठन मंत्री भवानी सिंह और जिला प्रभारी महाराज सिंह आये हुए हैं, उनकी उपस्थिति का जिला पंचायत की राजनीति से कोई मतलब नहीं है।
खैर, जो भी हो। जिला पंचायत बोर्ड की बैठक की सफलता से यह एक बार फिर सिद्ध हो गया है कि जिले की राजनीति में धर्मेन्द्र यादव जैसी मजबूत पकड़ किसी की नहीं है। सांसद धर्मेन्द्र यादव के सामने भाजपाईयों का कोई दांव नहीं चल पा रहा है, तभी तमाम प्रयासों के बावजूद जिला पंचायत में घुसने के लिए भाजपाईयों को खिड़की भी नहीं मिल पा रही है। आम जनता का भी यही मानना है कि धर्मेन्द्र यादव सक्रिय नहीं होते, तो भाजपाई आसानी से अविश्वास प्रस्ताव पारित करा लेते।
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