बदायूं जिले के थाना इस्लामनगर क्षेत्र की पुलिस जमकर मनमानी करती नजर आ रही है। घायलों को थाने से दुत्कार कर भगा दिया जाता है एवं पीड़ित पक्ष को ही उल्टा फंसा दिया जाता है, ऐसे कई प्रकरण क्षेत्र में चर्चा का विषय बने हुए हैं।
पहला प्रकरण गाँव मौजुद्दीनगर ढकनगला का है, यहाँ के अजब सिंह से चार वर्ष पूर्व रीनू नाम की महिला की शादी हुई थी। अजब सिंह की सड़क हादसे में तीन वर्ष पूर्व मौत हो गई। विधवा रीनू के बच्चे नहीं हैं एवं पिता भी नहीं हैं, जिससे वह दुखों का पहाड़ सिर पर रख कर वह ससुराल में ही जीवनयापन कर रही थी, लेकिन पुत्र की मौत का कारण सास रीनू को मानती है और उससे घृणा करती है। 8 अक्टूबर की शाम लगभग 5 बजे के आस-पास सास ने रीनू को छत पर ले जाकर धक्का दे दिया। छत से धकेले जाने से रीनू की रीढ़ की हड्डी टूट गई एवं गंभीर रूप से घायल हो गई। किसी तरह सूचना मिलने पर मायके वाले आकर बेहोशी की हालत में रीनू को ले गये और उसका उपचार कराने लगे। रीनू को होश आया, तो उसने घटना के बारे में बताया, तो मायके वाले घायल रीनू को लेकर थाना इस्लामनगर आये, जहाँ पुलिस ने उसे भगा दिया। मुकदमा दर्ज कर पुलिस मेडिकल परीक्षण का पर्चा दे देती, तो रीनू का उपचार सरकारी खर्च पर हो जाता। पुलिस की मनमानी के चलते रीनू और बुरी हालत में पहुंच गई है।
इसी तरह गाँव किसैरा इबादुल्लानगर निवासी नौबत का आरोप है कि वह धनतेरस के दिन अपनी गाड़ियों को धो रहा था, तभी पहले से रंजिश मानने वाले सशस्त्र पड़ोसियों ने अचानक धावा बोल दिया। कई लोगों ने मिल कर पूरे परिवार को मारा, जिससे महिलायें भी घायल हुई हैं। पीड़ित ने किसी से लिखवा कर थाने में तहरीर दी, तो पुलिस ने तहरीर लेखक सहित पीड़ित पक्ष पर ही मुकदमा दर्ज कर दिया एवं पीड़ित की तहरीर बदल दी, जबकि पीड़ित हस्ताक्षर करता है। पीड़ित ने एसएसपी से न्याय दिलाने की गुहार लगाई है।
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