बदायूं जिले के कस्बा बिसौली में स्थित कोतवाली के हालात बदल नहीं पा रहे हैं। समाजवादी पार्टी की सरकार में बिसौली कोतवाली पुलिस निर्दोष लोगों पर पटे बरसाती थी, वैसे ही पटे भाजपा सरकार में बरसाती नजर आ रही है। खुलेआम गुंडई करने वाली पुलिस को न तब किसी ने दंडित किया और न ही अब मनमानी करने वाली पुलिस को दंडित होने का भय है।
जी हाँ, 16 महीने पहले प्रदेश में समाजवादी पार्टी की सरकार थी, तब बदायूं जिले की बिसौली कोतवाली पुलिस ने बिसौली से सटे गांव पिंदारा निवासी सुभाष यादव को रोडवेज बस स्टैंड के पास से बेवजह हिरासत में ले लिया था। सुभाष मानसिक रोगी था, वह एक दुकान पर बैठा चाय पी रहा था और चाय पीने के बाद कुल्हड़ की तरह उसने कप फेंक दिया था, इसी बात पर चाय विक्रेता ने न सिर्फ सुभाष को हड़काया, बल्कि पहचान के पुलिस वालों से उसे गिरफ्तार करा दिया था। मानसिक रोगी के रूप में पहचान होने के बावजूद पुलिस सुभाष को बिसौली कोतवाली ले गई थी और फिर उसकी अर्द्ध नग्न अवस्था में पटे से बेरहमी से मार लगाई थी, साथ ही उसे कई दिनों तक कोतवाली में बंधक बना कर रखा गया था और बारी-बारी से पीटा भी गया था, इस प्रकरण को गौतम संदेश ने प्रकाशित किया था, जिसके बाद एसएसपी सौमित्र यादव ने प्रकरण की जांच सीओ बिसौली राजवीर सिंह को सौंपी थी, लेकिन जाँच में कुछ नहीं हुआ।
उक्त प्रकरण जैसा ही भयावह दृश्य बिसौली कोतवाली में आज फिर दिखाई दिया। फर्जी शिकायत पर पुलिस ने बिसौली के ही आकिल नाम के युवक को न सिर्फ गिरफ्तार कर लिया, बल्कि कोतवाल राजेश कश्यप ने खड़े होकर विनीत नाम के सिपाही से पटे से उसकी पिटाई लगवाई। आकिल चीख-चीख कर बताता रहा कि वह बेकसूर है, उसने ऐसा कोई अपराध नहीं किया है, जिसके लिए इतनी बड़ी सजा मिले, पर कोतवाल उसे पिटवाते रहे।
बताते हैं कि आकिल की पड़ोसी से मारपीट हो गई थी, लेकिन पड़ोसी ने युवती के साथ छेड़छाड़ करने की आकिल के विरुद्ध फर्जी तहरीर दे दी। पुलिस ने जाँच किये बिना आकिल को तत्काल गिरफ्तार कर लिया और फिर बेरहमी से पिटाई लगानी शुरू कर दी। सूत्रों का कहना है कि पुलिस आकिल और उसके पिता पर रिश्वत देने का दबाव बना रही थी। पुलिस द्वारा चेतावनी दी गई कि रूपये नहीं दिए, तो आकिल को पीटा जायेगा और गंभीर धाराओं के तहत जेल भेजा जायेगा, लेकिन रूपये दे दिए, तो छोड़ दिया जायेगा। आकिल को पीटते समय आकिल के पिता और विपक्षी लोग भी कोतवाली में उपस्थित थे, जिससे आकिल के पिता टूट गये और फिर रिश्वत देते ही आकिल का धारा- 151 के अंतर्गत चालान कर दिया गया। हालाँकि पीड़ित पुलिस की दहशत के चलते रिश्वत देने की बात कैमरे के सामने बोलने को तैयार नहीं है। आकिल और दूसरे पक्ष के बीच लिखित में समझौता भी हो गया था, इसके बावजूद पुलिस ने खुलेआम मनमानी की।
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