बदायूं जिले की पुलिस अच्छाई में कोई रिकॉर्ड भले ही न बना पाये, पर बुराई में नित नये रिकॉर्ड कायम करती रहती है। भारत सरकार की नारकोटिक्स विभाग की टीम पर आज बदायूं की पुलिस भारी पड़ गई। एक आरोपी को पकड़ने पर कई घंटे हाई-प्रोफाइल नाटक हुआ, तीखी नोंक-झोंक भी हुई, लेकिन पुलिस ने नारकोटिक्स विभाग की टीम को बैरंग लौटा दिया। स्थानीय पुलिस तस्करों के विरुद्ध खुद तो कड़ी कार्रवाई करती नहीं है, साथ ही नारकोटिक्स विभाग की टीम को भी कार्रवाई नहीं करने दी, जिससे शहर भर के लोग स्तब्ध हैं।
घटना बदायूं शहर में स्थित सदर कोतवाली क्षेत्र के मोहल्ला खांडसारी की है। बताते हैं कि दोपहर नारकोटिक्स विभाग के बरेली शाखा की टीम ने एक दुकान पर छापा मारा, जहां उन्हें आरोपी मिल गया और उसे टीम ने पकड़ भी लिया। टीम आरोपी को गाड़ी में बैठा कर ले जा पाती, उससे पहले सदर कोतवाली पुलिस मौके पर पहुंच गई और आरोपी को छोड़ने का दबाव बनाने लगी।
सदर कोतवाल संत कुमार उपाध्याय का स्पष्ट कहना था कि वह अपने क्षेत्र से किसी को भी गिरफ्तार नहीं करने देंगे, जबकि टीम का कहना था कि उन्होंने एक बड़े तस्कर को पकड़ा है, जिसने पूछताछ में और भी कई तस्करों के नाम बताये हैं। पूछताछ के लिए ही वह उन सभी लोगों को हिरासत में ले रहे हैं। टीम की इस दलील को सदर कोतवाल ने निरस्त कर दिया और आरोपी को तत्काल मुक्त करने को कहा। टीम ने अपना रिकॉर्ड भी दिखाया और विधिवत कार्रवाई करने का भरोसा दिलाया, लेकिन सदर कोतवाल ने यहाँ तक कह दिया कि वे यहाँ से चले जायेंगे, तो भीड़ स्वयं ही आरोपी को छुड़ा लेगी और आप सभी को भी पीट देगी। बात जब यहाँ तक पहुंच गई, तो टीम को झुकना पड़ा और आरोपी को छोड़ कर टीम बरेली के लिए बैरंग लौट गई।
उक्त घटना जिले के शीर्ष अफसरों के संज्ञान में भी पहुंची, पर किसी ने भी नारकोटिक्स विभाग की टीम का साथ नहीं दिया, क्योंकि नारकोटिक्स विभाग की टीम खुलासा करती, तो जिले की पुलिस की भी नाक कटती कि यहाँ अंतर्राज्जीय स्तर के तस्कर हैं, उस फजीहत से बचने के लिए बदायूं जिले की पुलिस खुल कर तस्कर के साथ खड़ी हो गई। यहाँ यह भी बता दें कि पश्चिमी उत्तर प्रदेश का चरस का सबसे बड़ा अड्डा इस्लामनगर थाना क्षेत्र के कस्बा रुदायन में है, इसी माफिया का एक अड्डा चंदौसी में है, इन दोनों स्थानों से पश्चिमी उत्तर प्रदेश के जिलों में चरस के रूप में जहर की सप्लाई की जाती है, लेकिन स्थानीय पुलिस वहां कभी देखने तक नहीं जाती, ऐसे में कभी नारकोटिक्स विभाग की ही टीम ने छापा मारा, तो पुलिस वहां भी कार्रवाई नहीं करने देगी? इस तरह की घटनायें लोग फिल्मों में ही देखते रहे हैं कि स्थानीय माफिया को बचाने के लिए पुलिस नारकोटिक्स विभाग पर हमला कर देती है, लेकिन आज बदायूं के लोगों ने पुलिस की भूमिका को सच में देख लिया, जिससे अधिकाँश लोग स्तब्ध हैं। यह भी बता दें कि घटना के बाद नारकोटिक्स विभाग द्वारा छोड़े गये तस्कर ने मीडियाकर्मियों से संपर्क कर खबर न छापने के लिए रूपये भी बांटे हैं, जिसका असर खबरों में कल दिखाई देगा।
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