उत्तर प्रदेश में आपराधिक वारदातों का ग्राफ लंबे समय से बढ़ा हुआ है। राजनैतिक दल, मुख्यमंत्री और डीजीपी बदलते रहते हैं लेकिन, आपराधिक वारदातें कम नहीं हो पा रही हैं, साथ ही पुलिस की छवि भी सुधरने की जगह और अधिक खराब होती जा रही है। लोकतांत्रिक प्रणाली में आम जनता से पुलिस का व्यवहार गुलामों सा रहता है, इसीलिए आम जनता को लोकतंत्र की अक्षरशः अनुभूति नहीं हो पा रही है।
आपराधिक वारदातों के बढ़ने के पीछे सबसे बड़ा कारण भ्रष्टाचार ही है। दल और मुख्यमंत्री बदलते रहते हैं लेकिन, थाने बिकना बंद नहीं हो पाते। मुख्यमंत्री आदित्यनाथ योगी ने आम जनता की सहूलियत के लिए सर्व प्रथम पुलिस-प्रशासन को स्वतंत्र किया, उन्होंने अफसरों को किसी भी तरह के दबाव में कार्य न करने की स्वतंत्रता दे दी, इससे सुधार होने की जगह और उल्टा असर होता नजर आ रहा है। पहले विधायक की सिफारिश पर थानाध्यक्ष बनते थे तो, थानाध्यक्ष विधायक के प्रति भी जवाबदेह रहता था और एसएसपी को भी संतुष्ट रखता था लेकिन, अब उसे सिर्फ एसएसपी को ही संतुष्ट रखना है, सो इससे निरंकुशता बढ़ी है।
उत्तर प्रदेश के अधिकांश जिलों में थाने बेचे जा रहे हैं। जो ज्यादा बड़ी रकम देता है, उसे थानाध्यक्ष बनाया जा रहा है, इसीलिए हालात खराब होते जा रहे हैं, क्योंकि रूपये लेकर थानाध्यक्ष बनाने वाले एसएसपी थानाध्यक्ष के विरुद्ध कुछ नहीं सुनते। पुलिस का आम जनता से सीधा संपर्क रहता है, इसलिए सर्व प्रथम पुलिस की छवि सुधारने की दिशा में ही कार्य होना चाहिए। प्रभाकर चौधरी जैसे तेजतर्रार और ईमानदार आईपीएस एसएसपी तैनात किये जाने चाहिए। तैनाती के बाद शासन स्तर से एसएसपी की गोपनीय जाँच निरंतर होती रहनी चाहिए तभी, लोकतंत्र की स्थापना हो सकेगी।
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