समाजवादी पार्टी की चर्चित नेत्री पंखुरी पाठक एक बार फिर चर्चाओं में हैं। सड़क पर नमाज पढ़ने पर उन्होंने सवाल उठा दिया, जिसको लेकर कट्टरपंथी उनके पीछे पड़ गये हैं। पवित्र माह रमजान में भी कट्टरपंथी ऐसी भाषा का प्रयोग कर रहे हैं, जिसे दोहराया भी नहीं जा सकता।
समाजवादी पार्टी की नेत्री पंखुरी पाठक ने अपनी फेसबुक वॉल पर शुक्रवार को लिखा कि “मैं अपने एग्ज़ाम के दिन 30 मिनट से ज़ख़ीरा में जाम में फँसी हुई हूँ क्यूँकि सड़क पर नमाज़ चल रही है। धर्म के नाम पर जनता को इस तरह असुविधा देना सही नहीं हो सकता। इतनी गरमी में लोग टू और थ्री व्हीलर में घंटों से जाम में फ़सें हैं। उनमें छोटे बच्चे भी हैं। आज एग्ज़ाम शायद छूट ही जाएगा। क्या ये मेरे अधिकारों का हनन नहीं है?”
उक्त पोस्ट को कट्टरपंथियों ने अलग ही अंदाज में लिया और फिर अधिकाँश लोग पंखुरी के पीछे पड़ गये। रमजान के महीने में लोग इस तरह के कमेन्ट कर रहे हैं, जिन्हें दोहराया भी नहीं जा सकता। बात बिगड़ने पर पंखुरी ने एक और पोस्ट शेयर की, जिसमें नमाज के साथ कांवड़, जागरण और भंडारा को भी जोड़ दिया लेकिन, कट्टरपंथी अभी भी उनके पीछे पड़े हैं। पंखुरी ने अगली पोस्ट में लिखा कि “मैंने कोशिश करी कि सब को जवाब दे सकूँ लेकिन यह सम्भव नहीं हो पा रहा इसलिए सबके सवालों का जवाब एक साथ दे देती हूँ- 1- नमाज़, कांवड़, भंडारा या किसी भी अन्य कारण के लिए सड़क को पूरी तरह बंद नहीं किया जाना चाहिए। इससे ना ही सिर्फ़ जनता को असुविधा होती है बल्कि किसी की जान भी जा सकती है। 2- चलती सड़क पर और पार्क/ मैदान में नमाज़ पढ़ने में बहुत अंतर है। जहाँ किसी को असुविधा ना हो वहाँ नमाज़ पढ़ने पर कोई प्रतिबंध नहीं होना चाहिए। ये हमारे मुस्लिम भाईयों का संवैधानिक अधिकार है। उसी तरह जागरण आदि भी सड़क पर नहीं पार्क या मैदान में होने चाहिए। 3- इस समस्या के लिए सरकारें और प्रशासन सभी ज़िम्मेदार हैं जो इतने सालों में ना तो पर्याप्त मस्जिद बना सके और ना ही अभी कोई और इंतज़ाम कर रहे हैं। 4- मैंने ये पोस्ट इस लिए लिखी है ताकि इस मुद्दे पर जागरूकता हो और मुस्लिम भाई भी इस बारे में सोच कर इस समस्या का समाधान निकालने की कोशिश करें। और जो लोग मेरे भाजपा में जाने की बात कर रहे हैं उनके लिए- ये ख़्वाहिश आपकी कभी पूरी नहीं होगी। ना वो पाकिस्तान भेज सकते हैं ना आप भाजपा में भेज सकते हो। हम जीवनभर यहीं रह कर व्यवस्था सुधारने की कोशिश करेंगे। मुझे लगता है कि अब सारी बात स्पष्ट हो चुकी है। मैं आशा करती हूँ की आने वाले समय में हम इन समस्याओं का मिल जुल कर समाधान निकालने में सफल होंगे। जो अभी भी बहस कर रहे हैं उनके लिए- हिंदू मुसलमान से पहले इंसान बनो। जय हिंद। जय समाजवाद।”, इसके बाद पंखुरी ने एक पोस्ट शेयर की है, जिसमें लिखा है कि “जो लोग कह रहे हैं घर से ट्रैफ़िक चार्ट देख कर निकलना चाहिए था.. सच में? ऐसा भी होता है? कभी सुना नहीं पहले नहीं तो देख लेती.. वैसे ये लगता कहाँ है?”
पंखुरी ने शनिवार को लिखा है कि “जब तक हम सामाजिक समस्याओं को समाज की नहीं अपनी अपनी नज़र से देखते रहेंगे देश आगे नहीं बढ़ेगा। और इसी तरह धर्म जाति के नाम पर हम लड़ते रह जाएँगे। जय समाजवाद। जय हिंद।” कट्टरपंथी भाजपा की एजेंट बताते हुए भाजपा में जाने की बात फैला रहे हैं, इस पर अखिलेश यादव और डिंपल यादव के साथ फोटो शेयर करते हुए पंखुरी ने लिखा है कि “कुछ लोग मेरे समाजवादी पार्टी छोड़ने की झूठी ख़बर उड़ा रहे हैं और कुछ लोग उस पर ख़ुशी मना रहे हैं । माफ़ करिए लेकिन आपकी ख़ुशी में दख़ल डालना पड़ेगा। इस दुनिया में कोई ऐसी ताक़त नहीं है जो मुझे समाजवादी विचारधारा और मेरे नेता माननीय अखिलेश यादव जी से अलग कर सके। जय समाजवाद। जय हिंद।”
बता दें कि समाजवादी पार्टी का पक्ष लेने के चलते पंखुरी को रेप करने की धमकी मिल चुकी है, जिस पर बड़ा हंगामा हुआ था, साथ ही पंखुरी एक बार सपा छोड़ भी चुकी हैं। अब सड़क पर नमाज पढ़ने का मुद्दा उठा कर उन्होंने कट्टरपंथियों से दुश्मनी ठान ली है। देश के हालात वर्तमान में अलग तरह के हैं, देश और समाज के हित में बात करने वाले को आरएसएस और भाजपा का एजेंट बताया जाने लगा है, जिसे एक पक्ष गाली की जगह भी इस्तेमाल करता है, उक्त प्रकरण में भी ऐसा ही किया जा रहा है।
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