बदायूं का एक अवसरवादी नेता समाजवादी पार्टी में तवज्जो न मिलने पर कांग्रेस की ओर मुड़ गया है। हारने का रिकॉर्ड कायम कर चुका यह अवसरवादी नेता चुनाव सिर्फ रूपये कमाने के लिए ही लड़ता है, लेकिन सपा का कांग्रेस से गठबंधन हुआ, तो इस अवसरवादी नेता की मौज भी आ सकती है।
अधिकांश लोगों के लिए राजनीति सेवा का क्षेत्र नहीं है, वे राजनीति में सिर्फ मलाई खाने के लिए आ रहे हैं, ऐसे लोगों का कोई धर्म-ईमान भी नहीं है, जब और जहाँ मलाई मिलने की संभावना हो, उधर कूच कर जाते हैं। बदायूं विधान सभा क्षेत्र में पिछले दिनों समीकरण बदले, तो विधायक आबिद रजा से ईर्ष्या रखने वाले कई ऐसे लोगों ने भी समाजवादी झंडा उठा लिया, जो सिर्फ अवसरवादी रहे हैं, उन्हें बदले समीकरणों का तात्कालिक लाभ भी मिला। कई अवसरवादियों ने लाखों रूपये पैदा कर लिए, इनमें कुछेक ऐसे भी थे, जो करोड़ों में भी संतुष्ट नहीं होते, उन्होंने प्रत्याशी बनने की इच्छा जाहिर कर दी।
इस बीच शीर्ष नेतृत्व में भी विघटन हो गया, तो समीकरण एक बार फिर गड़बड़ा गये। सपा से टिकट होने के बाद एक अवसरवादी का टिकट कट गया। एक दिन सपा में ही पुनः टिकट पाने के प्रयास किये, लेकिन जब अहसास हो गया कि सपा में दाल नहीं गलने वाली, तो पुनः कांग्रेस के नेताओं को फोन मिलाने शुरू कर दिए। सूत्रों का कहना है कि पुराने संबंधों के आधार पर यह अवसरवादी कांग्रेस मुख्यालय में जाकर बड़े नेताओं की परिक्रमा कर आया है। सपा का कांग्रेस से गठबंधन हुआ, तो इस अवसरवादी नेता की मौज आ सकती है, क्योंकि उच्चपदस्थ सूत्रों का कहना है कि सपा बदायूं विधान सभा क्षेत्र कांग्रेस को छोड़ने को तैयार है।
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