बदायूं सदर क्षेत्र के आरोपी विधायक आबिद रजा और उनके प्रतिनिधि अजहर की मुश्किलें बढ़ सकती हैं। उच्च न्यायालय ने आरोपियों की गिरफ्तारी पर रोक लगाने से मना कर दिया है। आरोपियों के न्यायालय चले जाने से पुलिस भी असमंजस की स्थिति में थी।
बिनावर थाना क्षेत्र के गाँव कुतुबपुर थरा निवासी कृषक निहालुद्दीन पुत्र फखरुद्दीन की ओर से 7 अक्टूबर को सदर कोतवाली में मुकदमा संख्या- 813/16 धारा- 364 (ए), 323, 504, 506 आईपीसी के अंतर्गत दर्ज कराया गया था, जिसमें आरोप है कि उसके पुत्र पप्पू के विरुद्ध एक झूठा मुकदमा दर्ज करा दिया गया था। मुकदमे से बेटे को बचाने के लिए वह अपने बेटे व भतीजे के साथ विधायक आबिद रजा के घर पर गया और मदद करने की गुहार लगाई, इस पर आबिद रजा और उनके पीए अजहर ने उससे पच्चीस लाख रूपये यह कह कर मांगे कि पार्टी फंड में जमा कराने होंगे, जिसके बाद वह उसके बेटे को मुकदमे से बचवा देंगे।
आरोप है कि आबिद रजा और अजहर ने उसके बेटे पप्पू को कमरे में बंद कर दिया और कहा कि पच्चीस लाख रूपये लेकर आओ, वरना बेटे को जान से मार देंगे। पीड़ित का कहना है कि बेटियों की शादी के लिए उसने कुछ रूपये जमा कर रखे थे एवं कुछ कर्ज लिया और वह भतीजे इशहाक के साथ 28 नवंबर 2014 को रूपये लेकर आबिद रजा के घर पर पहुंच गया। आरोप है कि बीस लाख रूपये आबिद रजा ने लिए और पांच लाख रूपये उन्होंने अजहर को दिलवा दिए, रूपये लेने के बाद पप्पू को छोड़ते हुए कहा कि अब मुकदमे से इसका नाम निकल जायेगा।
आरोप है कि बेटे का नाम मुकदमे से नहीं निकला, साथ ही पुलिस गिरफ्तार करने का दबाव बनाने लगी, तो 11 दिसंबर 2014 को बेटे को न्यायालय में हाजिर करा दिया, जिसकी बाद में जमानत हो गई, इसके बाद वह अपने रूपये मांगने गया, तो आबिद रजा और अजहर टालते रहे। आरोप है कि 16 मई 2015 को वह पुनः रूपये मांगने गया, तो आबिद रजा और अजहर उसे गालियाँ देने लगे, विरोध किया, तो पीटने लगे एवं अजहर ने रिवाल्वर तान कर कहा कि इधर फिर आया, तो जान से मार देंगे, तब से पीड़ित दहशत में है। आबिद रजा और उनके पीए अजहर की दबंगई के चलते वह अब तक चुप रहा।
उक्त प्रकरण में आरोपी विधायक आबिद रजा और उनके प्रतिनिधि अजहर ने उच्च न्यायालय से गिरफ्तारी पर रोक लगाने की मांग की, उनके वकील बीपी श्रीवास्तव ने गिरफ्तारी पर रोक लगाने की कई दलीलें दीं, जिन्हें पप्पू के वकील रवि त्रिपाठी ने खारिज कर दिया। दोनों पक्षों की दलीलों को सुनने के बाद न्यायामूर्ति शमशेर बहादुर सिंह व न्यामूर्ति रमेश सिन्हा ने गुरुवार को आरोपियों की गिरफ्तारी पर रोक लगाने से मना कर दिया। हाईप्रोफाइल अपराधी न्यायालय के सहारे बचते रहे हैं, लेकिन इस प्रकरण में न्यायालय ने राहत न देकर सिद्ध कर दिया कि उसके सामने कोई वीवीआईपी नहीं है। पीड़ित पक्ष ने न्यायालय के आदेश पर हर्ष व्यक्त किया है।
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