बदायूं के नेहरू मैमोरियल शिवनारायण दास महाविद्यालय की नियम विरुद्ध भू-माफिया को जमीन बेचने के प्रकरण में क्षेत्रीय उच्च शिक्षा अधिकारी द्वारा प्रबंध तंत्र को भंग करने एवं बैनामा मान्य न करने की संस्तुति कर दी गई है, लेकिन माफिया के दबाव में अग्रिम कार्रवाई नहीं की जा रही है, साथ ही राजनैतिक संरक्षण प्राप्त माफिया संबंधित भूमि पर निर्माण भी करा रहा है, जिससे शासन-प्रशासन की फजीहत हो रही है।
उल्लेखनीय है कि नेहरू मैमोरियल शिवनारायण दास महाविद्यालय के अध्यक्ष ज्ञान प्रकाश वैश्य ने शराब कारोबारी के रूप में कुख्यात ज्योति मेंदीरत्ता को पांच करोड़ से भी ज्यादा कीमत की जमीन मात्र एक करोड़ पैंतीस लाख रूपये में बेच दी थी। कृष्णा पार्क के गेट के अंदर स्थित इस जमीन पर मकान बना कर बेचे गए, तो इस जमीन से करोड़ों रुपयों का मुनाफा लिया जा सकता है, जिससे इस जमीन पर माफिया की गिद्ध दृष्टि जमी हुई थी। बैनामे में महाविद्यालय के प्राचार्य वीके शर्मा को गवाह दर्शाया गया है। आश्चर्य की बात यह है कि खुलासा होने पर अध्यक्ष ज्ञान प्रकाश वैश्य और प्राचार्य वीके शर्मा अनभिज्ञता जता रहे थे, लेकिन इस प्रकरण की शिकायत की गई, तो जांच में यह लोग दोषी पाये गये।
सहायक आयुक्त एवं सहायक निबंधक सहकारिता द्वारा की गई जाँच पर क्षेत्रीय शिक्षा अधिकारी डॉ. अलबेले सिंह ने उच्च शिक्षा निदेशक को भ्रष्ट प्रबंध तंत्र भंग करने की संस्तुति की है, लेकिन तीन महीने बाद भी प्रबंध तंत्र को भंग नहीं किया गया है, साथ ही डॉ. अलबेले सिंह ने सहायक आयुक्त एवं सहायक निबंधक सहकारिता को पत्र लिख कर कहा है कि बैनामे को अमान्य करने एवं भूमि महाविद्यालय को वापस कराने की कार्रवाई करें, पर इस पत्र पर भी कोई कार्रवाई नहीं की गई।
उधर भू-माफिया संबंधित भूमि पर लगातार निर्माण कार्य करा रहा है। सूत्र बताते हैं कि भू-माफिया ने एक स्थानीय नेता को साझीदार बना लिया है, जिससे भू-माफिया को राजनैतिक संरक्षण मिल गया है, इसीलिए प्रशासन माफिया और महाविद्यालय के भ्रष्ट प्रबंध तंत्र के विरुद्द कार्रवाई नहीं कर रहा है, लेकिन इससे प्रशासन के साथ शासन की भी फजीहत हो रही है। माफियाराज कायम होने से सरकार की छवि भी खराब हो रही है। अधिकाँश लोगों की इच्छा है कि माफिया के विरुद्ध कड़ी कार्रवाई की जाये और महाविद्यालय को जमीन वापस दिलाई जाये।
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