शिक्षा को लेकर अब समाज जाग गया है। अब आर्थिक स्थिति बहुत अच्छी न हो, तो भी अभिवावक अपने बच्चों को पढ़ाना चाहते हैं। बच्चों को पढ़ाने के लिए रात-दिन मेहनत ही नहीं करते हैं, बल्कि कर्ज भी लेते हैं। पढ़ने-लिखने और डिग्री से ज्ञान तो मिलता ही है, पर वर्तमान में शिक्षा व्यवसाय और रोजगार से जुड़ गई है। डिग्री और डिप्लोमा से नौकरी मिलती है, इसलिए हर कोई अपने बच्चों की पढ़ाई को लेकर जागरूक नज़र आ रहा है।
समाज की सोच और मजबूरी को माफियाओं ने महसूस किया और शिक्षा क्षेत्र में उन्होंने इन्वेस्टमेंट कर दिया। मेट्रो शहर की तो बात ही छोड़िये, अब माफियाओं की पहुँच कस्बों और गाँव तक हो गई है। राजनैतिक संबंध और दबंगई के चलते फीस के नाम पर खुलेआम लूट रहे हैं और असहाय अभिवावक कराह तक नहीं पा रहे। लुटने के बावजूद अभिवावक यह सोच कर खुश थे कि बच्चे पढ़ रहे हैं, लेकिन अब पढ़ाई का स्तर भी बेहद घटिया होता जा रहा है, जिससे बच्चे हर अनैतिक कार्य स्कूल में ही सीख जाते हैं।
फिलहाल बात बदायूं के प्रतिष्ठित डिग्री कॉलेज एन. एम. एन. दास की करते हैं। इस कॉलेज के पढ़े छात्र विभिन्न क्षेत्रों में भारत में ही नहीं, बल्कि विश्व के तमाम देशों में बदायूं जिले का नाम रोशन कर रहे हैं, ऐसे प्रसिद्ध कॉलेज पर भी माफियाओं की नज़र पढ़ गई है। कॉलेज अध्यक्ष और प्राचार्य ने मिल कर कॉलेज की बेशकीमती जमीन भू-माफिया को कौड़ी के दामों में बेच दी है। कॉलेज अध्यक्ष ज्ञान प्रकाश वैश्य ने शराब कारोबारी के रूप में चर्चित ज्योति मेंदीरत्ता को पांच करोड़ से भी ज्यादा कीमत की जमीन मात्र एक करोड़ पैंतीस लाख रूपये में बेच दी। कृष्णा पार्क के गेट के अंदर स्थित इस जमीन पर मकान बना कर बेचे गए, तो इस जमीन से और भी मोटी रकम पैदा की जा सकती है। बैनामे में कॉलेज के प्राचार्य वीके शर्मा को गवाह दर्शाया गया है, लेकिन खुलासा होने पर अब अध्यक्ष ज्ञान प्रकाश वैश्य और प्राचार्य वीके शर्मा अनभिज्ञता जता रहे हैं और कह रहे हैं कि ऐसा कुछ नहीं हुआ है, जबकि रजिस्ट्रार न्यायालय के कागजों में सच स्पष्ट देखा जा सकता है। हालांकि जिलाधिकारी ने जांच के आदेश दे दिए हैं, लेकिन उच्च स्तरीय राजनैतिक संबंध और माफिया की संलिप्तता के चलते कार्रवाई की उम्मीद लोग कम ही कर रहे हैं।