नरेंद्र मोदी सरकार ने देश के आंतरिक प्रकरणों में बोलने पर मलेशिया के संबंध में बड़ा और गंभीर निर्णय लिया है। बुधवार को मलेशिया से रिफाइंड पॉम ऑयल के आयात पर प्रतिबंध लगा दिया। सरकार की नई नीति से नागरिकों के स्वास्थ्य पर भी सकारात्मक असर दिखेगा। पॉम ऑयल की गुणवत्ता में और अधिक सुधार होने की संभावना जताई जा रही है।
विदेश व्यापार महानिदेशालय (डीजीएफटी) की अधिसूचना के अनुसार आयात नीति को संशोधित करते हुए रिफाइंड ब्लीच्ड डियोडोराइज्ड पॉम ऑयल और रिफाइंड ब्लीच्ड डियोडोराइज्ड पॉमोलीन के आयात को मुक्त श्रेणी से हटाकर प्रतिबंधित श्रेणी में रखा गया है। रिफाइंड ब्लीच्ड डियोडोराइज्ड पॉम ऑयल और रिफाइंड ब्लीच्ड डियोडोराइज्ड पॉमोलीन को प्रतिबंधित श्रेणी में रखने का आशय है कि आयातक को अब आयात करने के लिए सरकार से लाइसेंस लेना होगा, जबकि अब तक अनुमति लेने की आवश्यकता नहीं थी।
भारत दुनिया भर में सबसे ज्यादा खाद्य तेल का आयात करता है। सालाना 1.5 करोड़ टन तेल खरीदता है, इसमें 90 लाख टन पॉम ऑयल, 60 लाख टन सोयाबीन और सूरजमुखी ऑयल है। इंडोनेशिया और मलेशिया पॉम ऑयल के आयातक देश हैं। मलेशिया एक साल में 1.9 करोड़ टन पॉम ऑयल का उत्पादन करता है, वहीं इंडोनेशिया 4.3 करोड़ टन पॉम ऑयल का उत्पादन करता है।
नागरिकता संशोधन अधिनियम और कश्मीर के मुद्दे पर मलेशिया ने टिप्पणी की थी, इसलिए मलेशिया से आने वाले पॉम ऑयल पर प्रतिबंध लगा दिया गया है। अब भारत द्वारा इंडोनेशिया से अधिक पॉम ऑयल खरीदने की संभावना है। बता दें कि सरकार अब पॉम ऑयल की गुणवत्ता पर भी विशेष नजर रखेगी, जिसका नागरिकों के स्वास्थ्य पर सकारात्मक असर होगा, वहीं कूटनीतिक दृष्टि से मोदी सरकार का अन्य देशों के लिए सबक भी कहा जा रहा है।
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