संसद में मानसून सत्र का बुधवार को विधिवत शुभारंभ हुआ। सत्र 18 जुलाई से 10 अगस्त तक चलेगा। सत्र शुरू होते ही लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन ने सांसदों को वाई-फाई शुरू होने की जानकारी दी, जिसके बाद हंगामा शुरू हो गया। समाजवादी पार्टी और तेलुगुदेशम पार्टी के सांसद मॉब लिंचिंग और आंध्र प्रदेश को विशेष राज्य का दर्जा दिए जाने की मांग को लेकर वेल में भी पहुंच गये।
मानसून सत्र में पारित होने के लिए कई अहम बिल हैं। तीन तलाक, बच्चियों के रेप पर फांसी का संशोधित बिल, ओबीसी आयोग को संवैधानिक दर्जा बिल, सार्वजनिक परिसर अनधिकृत कब्जा निषेध संशोधन बिल, दंत चिकित्सक संशोधन बिल, जन प्रतिनिधि संशोधन बिल- 2017, नेगोशिएबल इंस्ट्रूमेंट संशोधन बिल, दिल्ली अंतर्राष्ट्रीय मध्यस्थता बिल, भगोड़ा आर्थिक अपराध बिल, मानवाधिकार सुरक्षा संशोधन बिल, सूचना का अधिकार संशोधन बिल, डीएनए प्रौद्योगिकी उपयोग नियामक बिल, बांध सुरक्षा बिल, मानव तस्करी रोकथाम बिल, सुरक्षा एवं पुनर्वास बिल प्रमुख हैं, सरकार को लोकसभा में 28 और राज्यसभा में 30 विधेयक पारित कराने हैं लेकिन, इन सब पर चर्चा नहीं हुई।
लोकसभा में कांग्रेस और टीडीपी ने अविश्वास प्रस्ताव पेश किया, जिसे लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन ने मंजूर कर लिया, इस पर संभवतः शुक्रवार को चर्चा होगी। संसदीय कार्य मंत्री अनंत कुमार ने कहा वह चर्चा के लिए तैयार हैं। हालाँकि एनडीए सरकार पर कोई अंतर नहीं पड़ने वाला है, क्योंकि एनडीए के पास लोकसभा में 311 सांसद हैं, जबकि बहुमत के लिए 272 सांसद चाहिए।
इसके अलावा समाजवादी पार्टी के सांसद धर्मेन्द्र यादव ने पिछड़ों, दलितों और अनुसूचित वर्ग के साथ हो रहे अन्याय का मुद्दा जोरदार तरीके से उठाया, उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालयों में नियम के अनुसार पिछड़ों, दलितों और अनुसूचित वर्ग को स्थान नहीं दिया जा रहा है, इस पर गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि उनका हक कोई नहीं छीन सकता। राज्यसभा में कार्रवाई 12 बजे तक के लिए स्थगित करना पड़ी। नव-निर्वाचित सदस्यों को आज शपथ भी दिलाई गई।
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