मुरादाबाद के भाजपा सांसद कुँवर सर्वेश कुमार सिंह हाल-फिलहाल चर्चा में हैं। पुलिस के अनुसार वे कांठ थाना क्षेत्र के गाँव अकबरपुर चैदरी में हुये बवाल के सूत्रधार भी माने जा रहे हैं, ऐसे में अधिकांश लोग उनके बारे में जानने के लिए उत्सुक हैं।
मुरादाबाद जिले में थाना ठाकुरद्वारा क्षेत्र के गाँव रतुपुर निवासी कुँवर सर्वेश कुमार सिंह के पिता रामपाल सिंह कांग्रेसी थे और वे जीवन पर्यंत कांग्रेसी ही रहे। वह ठाकुरद्वारा विधानसभा क्षेत्र से विधायक और मुरादाबाद लोकसभा क्षेत्र से सांसद भी रहे थे। उनके दो पत्नियाँ थीं। कुँवर सर्वेश कुमार सिंह पहली पत्नी की संतान हैं। दूसरी पत्नी ब्राह्मण थीं, जिससे योगेश प्रताप सिंह नाम का पुत्र है, जो नारकोटिक्स एक्ट के तहत जेल में बताया जा रहा है। सूत्र बताते हैं कि योगेश प्रताप सिंह षड्यंत्र के तहत ही जेल भेजे गये थे। इन दोनों के बीच संबंध अच्छे नहीं बताये जाते हैं। जमीन व अन्य संपत्ति रामपाल सिंह के जीवन काल में ही योगेश प्रताप सिंह को जितनी मिल गई थी, उनके पास वही है। रामपाल सिंह के निधन के बाद संपूर्ण संपत्ति कुँवर सर्वेश कुमार सिंह के ही कब्जे में है। जाति से बिजनौरिया ठाकुर हैं, जो वैवाहिक संबंध आपस में ही रखते हैं, क्योंकि बाकी क्षत्रिय अपनी कन्याओं का आदान-प्रदान बिजनौरिया क्षत्रियों में नहीं करते।
इस सब के अलावा कुँवर सर्वेश कुमार सिंह की छवि दबंग और भू-माफिया वाली है, लेकिन पुलिस रिकॉर्ड गुंडा और अपराधी दर्शाने को काफी है। वर्ष 1981 में ठाकुरद्वारा थाने में उनके विरुद्ध मुकदमा संख्या- 4881 लिखा गया, जिसमें उन पर बलात्कार, मारपीट आदि के गंभीर आरोप लगाये गये थे, इसके बाद 1985 में सरकारी काम में बाधा डालने और बवाल करने, 1987 में गजरौला में ह्त्या का प्रयास करने, 1991 में ठाकुरद्वारा में जान से मारने की धमकी देने, 1995 में ठाकुरद्वारा थाने में घुस कर बवाल करने, 1995 में बिजनौर जिले के थाना अफजलगढ़ में जान से मारने की धमकी देने, 1995 में इसी थाने में पुनः जान से मारने की धमकी देने, 1998 में जिला ऊधमपुर सिंह नगर के काशीपुर में बिजली कर्मियों को पीटने, बलवा करने और महिलाओं को छेड़ने की धाराओं में मुकदमा लिखा गया। इसके साथ ही वर्ष 2000 में भोजपुर किसान सहकारी चीनी मिल के प्रबन्धक वीके यदुवंशी को पीटने, बलवा करने और लूट आदि की धाराओं में मुकदमा दर्ज हुआ। अन्य तमाम स्थानों पर और भी कई गंभीर आरोपों के मामले दर्ज हैं। पशुपति नाथ कंपनी के गेस्ट हाउस पर कब्जा करने जैसे तो अनगिनत मामले हैं, जिन पर कोई गौर तक नहीं करता।
कुँवर सर्वेश कुमार सिंह जमीन हड़पने को लेकर कुख्यात हैं। अरबों की जमीन पर कब्जा है। सरकारी रिपोर्ट प्रदेश का सबसे बड़ा भू-माफिया कहती है। किसनपुर, फरीदपुर दास, मुस्तफापुर, मोइद्दीनपुर, करना वाला आदि गावों में छः सौ बीघे से भी ज्यादा जमीन पर कब्जा है। मायावती सरकार में शिकंजा कसा गया था और सर्वेश कुमार सिंह को जेल भी जाना पड़ा था।
सर्वेश कुमार सिंह ठाकुरद्वारा से विधायक रहे हैं और वर्तमान में मुरादाबाद से भाजपा सांसद हैं, लेकिन संगठन के स्थानीय पदाधिकारियों से बहुत अधिक मधुर संबंध नहीं हैं। रामपुर से मुख्तार अब्बास नक़वी चुनाव लड़े, तो सर्वेश कुमार सिंह ने उन्हें नहीं लड़ाया था, साथ ही ठा. अमर सिंह से नजदीकी संबंध होने के कारण जयप्रदा को खुल कर समर्थन दिया था। पिछले विधान सभा चुनाव में सर्वेश कुमार सिंह स्वयं भाजपा के टिकिट पर ठाकुरद्वारा क्षेत्र से चुनाव लड़े, वहीं बड़ापुर विधान सभा क्षेत्र से पत्नी साधना सिंह को महान दल से चुनाव लड़ा दिया, जिससे भाजपा प्रत्याशी इन्द्र देव सिंह तोमर चुनाव हार गए थे। असलियत में भाजपा में राजनाथ सिंह से नजदीकी संबंध हैं, वहीं सपा के सभी शीर्ष नेता कुँवर सर्वेश कुमार सिंह के यहाँ आते रहे हैं। कुल मिला कर कहा जा सकता है कि राजनीति ही नहीं, बल्कि हर क्षेत्र के शीर्ष पर बैठे लोगों से संबंध स्थापित करने में कुँवर सर्वेश कुमार सिंह को महारत हासिल है।
खैर, जो भी हो, फिलहाल सांसद कुँवर सर्वेश कुमार सिंह पूरी सनक और हनक में हैं। एक ही नंबर सीरीज और एक ही कलर की गाड़ियों के काफिले के साथ जब वे सड़क पर निकलते हैं, तो लोग काफिले को तब तक देखते हैं, जब तक काफिला आँखों से ओझल न हो जाये। स्थानीय स्तर पर उनकी हनक-सनक में कोई कमी नहीं है, इसलिए उनकी नजर अब प्रदेश और राष्ट्रीय स्तर पर छा जाने की है और उसी महत्वाकांक्षा में वे अकबरपुर चैदरी के मुददे को ठंडा न होने देने के प्रयास में जुटे नजर आ रहे है, पर शायद, वे यह भूल रहे हैं कि इंसानियत को मार कर कोई बड़ा नेता नहीं बन सकता और नेता बन भी जाये, तो इतिहास ऐसी जगह रखता है, जहां लोग झाँकने तक नहीं जाते।
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