बदमाशों की तरह गरीब के पीछे पड़े एसओ, मांग रहे रूपये, परिवार भूमिगत

बदमाशों की तरह गरीब के पीछे पड़े एसओ, मांग रहे रूपये, परिवार भूमिगत

बदायूं जिले के थाना बिनावर में तैनात थानाध्यक्ष ओमकार सिंह गुर्जर तालिबानी तरीके से कार्य कर रहे हैं। उन्होंने नियम-कानून को उठा कर ताक में रख दिया है, वे जीडी का प्रयोग अपनी निजी डायरी की तरह कर रहे हैं। तानाशाह ओमकार सिंह गुर्जर ने एक नाबालिग को बेरहमी से पीटने के बाद जेल भेज दिया, इस पर भी उनका गुस्सा शांत नहीं हुआ, तो नाबालिग के परिवार के पीछे पड़ गये, उसकी भाभी को भी बेरहमी से पीटा। दहशत के चलते बूढ़ी माँ सहित पूरा परिवार भूमिगत हो गया है।

दबंग पुलिस वाला किसी के पीछे पड़ जाता है और फिर उसे और उसके परिवार को बर्बाद कर देता है, ऐसा मुंबईया फिल्मों में ही देखने को मिलता है, पर कस्बा बिनावर में एक परिवार एसओ ओमकार सिंह गुर्जर की क्रूरता को झेल रहा है और वहां के लोग भयावह दृश्य स्वयं अपनी आँखों से देख रहे हैं। बताते हैं कि एसओ ओमकार सिंह गुर्जर ने कस्बा बिनावर में ही स्थित शिव मंदिर के पीछे रहने वाले गरीब परिवार के अनिल नाम के एक नाबालिग को अपनी सेवा के लिए रख लिया था, वह न सिर्फ खाना पकाता था, बल्कि उससे एसओ पैर दबवाते थे, तेल लगवा कर मालिश कराते थे, नहाने को पानी भरवाते थे, उनके अंडर गारमेंट्स तक अनिल धोता था, इस बीच ओमकार सिंह गुर्जर के कमरे से 2 लाख 65 हजार रूपये चोरी हो गये, जिसके बाद ओमकार सिंह गुर्जर रौद्र रूप में आ गये।

बताते हैं कि बिनावर से कई लड़के पुलिस ने हिरासत में लिए और फिर उन्हें बेरहमी से पीटा गया, जिनमें से कुछेक को राजनैतिक दबाव में और कुछेक को रिश्वत लेकर छोड़ दिया गया। अंत में एसओ ओमकार सिंह गुर्जर अपने ही सेवादार नाबालिग अनिल के पीछे पड़ गये, उसे हिरासत में लेकर बेरहमी से पीटा गया। हवालात में रख कर उसे कई दिनों तक प्रताड़ित किया गया, जिसके बाद अनिल को 19 जून को जेल भेज दिया गया। बात यहीं खत्म नहीं हुई। अनिल 60 वर्षीय बूढ़ी माँ मल्लो देवी के साथ ऐसे घर में रहता है, जिसमें न धूप से बचने की जगह है और न पानी से बचने की। सात भाईयों में अनिल सबसे छोटा है, उसके छः भाई दिल्ली में रह कर मजदूरी करते हैं, उसके तहेरे भाई की बेटी की शादी में शामिल होने के लिए तीन भाई पत्नी-बच्चों के साथ बिनावर आ गये, एक भाई के साली की शादी थी, इस बीच अनिल की मामी को गंभीर बीमारी हो गई, तो दिल्ली से आये परिजन उनके उपचार के कारण रुक गये। एसओ ओमकार सिंह गुर्जर ने अनिल के घर पर दबिश दी, तो अनिल की भाभी मंजू मौके पर मिली, जिसको हिरासत में ले लिया।

मंजू का कहना है कि उसे बेरहमी से पीटा गया, उसके कान में लगातार दर्द हो रहा है। मंजू ने बताया कि पूजा नाम की सिपाही ने उसे सबसे ज्यादा पीटा, साथ ही उससे कहा गया कि चोरी किये रूपये दे दो, वरना भैंस और सूअर का मांस खिलायेंगे, शराब पिलायेंगे। एसओ ओमकार सिंह गुर्जर ने और भी भयानक कृत्य करने की धमकी दी। मंजू को कई घंटे तक थाने में रख कर प्रताड़ित किया गया। मंजू को शीघ्र रूपये देने की शर्त पर छोड़ दिया, तो फिर बूढ़ी माँ सहित पूरा परिवार भूमिगत हो गया। एसओ ओमकार सिंह गुर्जर के कहर से बचने को परिवार जंगल में भटक रहा है। रिश्तेदार के यहाँ पहुंच जाते हैं, तो रिश्तेदार भी पुलिस की दहशत में मुंह चुराने लगते हैं। गरीब और अनपढ़ होने के चलते किसी में इतनी भी समझ नहीं है कि एसओ की तानाशाही की किसी से शिकायत कर दें।

गौतम संदेश ने उनसे बात की, तो दहशत के चलते कोई भी अपना सही पता बताने को तैयार नहीं हुआ। मिलने के लिए कहा गया, तो उन्होंने कहा कि एक गाँव के बाहर आकर खड़े हो जाना, वहां स्वयं आकर मिल लेंगे, उन्हें लग रहा था कि पुलिस के मुखबिर हो सकते हैं और साथ में पुलिस भी हो सकती है, उन्हें अहसास हो गया कि पुलिस नहीं है, तो आकर मिले और फिर अपनी पूरी बात बताई। उक्त प्रकरण को लेकर थाने में कोई भी कुछ भी बताने को तैयार नहीं है, लेकिन सूत्रों से ज्ञात हुआ कि आताफ़ नाम के सिपाही ने चोरी का मुकदमा दर्ज कराया है, जिसमें अनिल के साथ उसके भाई संजीव को भी नामजद किया गया है। मुकदमे में कहा गया है कि आताफ़ का भाई आया हुआ था, जिसके बीस हजार रूपये अनिल और संजीव ने चुरा लिए। गिरफ्तारी के बाद अनिल से पांच हजार रूपये बरामद भी दिखाये गये हैं।

उक्त घटनाक्रम दिल दहला देने वाला इसलिए है कि पुलिस विभाग में आज भी थानाध्यक्ष बहुत शक्तिशाली है, वह कानून का प्रयोग किसी भी तरह करने को स्वतंत्र है, वह जीडी में कुछ भी लिख सकता है, वह थाने पर मौजूद सिपाहियों से कुछ भी करा सकता है। ओमकार सिंह गुर्जर के अंदर जिला मुख्यालय पर बैठे अफसरों का जरा भी डर होता, तो वे मनमानी नहीं कर पाते। थाना बिनावर में तैनात एक भी सिपाही और सब-इंस्पेक्टर में नैतिकता होती, तो घटना के संबंध में शीर्ष असफरों को अवश्य बताते। घटना सही भी हो, तो इसलिए बताना जरूरी था कि पुलिस स्वयं वादी है। मनमानी कर रहे एसओ ओमकार सिंह गुर्जर ने नियम और कानून के अनुसार अपनी ओर से कोई कसर नहीं छोड़ी होगी, वरना शनिवार को ही एसएसपी चन्द्रप्रकाश थाना बिनावर का निरीक्षण करते समय ही पकड़ लेते।

पुलिस की बेरहमी की कहानी सुनाती पीड़ित मंजू।

खैर, मुख्यमंत्री आदित्यनाथ योगी पुलिस से न्याय पूर्ण कार्य प्रणाली की उम्मीद जता रहे हैं, वे राजनैतिक दबाव समाप्त कर पुलिस को स्वतंत्र करने में जुटे हैं, लेकिन ओमकार सिंह गुर्जर जैसे एसओ समूची सरकार की साख पर ही दाग लगा रहे हैं। ओमकार सिंह गुर्जर जीडी का प्रयोग अपनी निजी डायरी की तरह कर रहे हैं और अनिल की बूढ़ी माँ और उसके पूरे परिवार को कटरी के बदमाशों की तरह दौड़ा रहे हैं, लेकिन गौतम संदेश पीड़ित परिवार की ओर से सवाल पूछता है कि उनके पास 2 लाख 65 हजार नकद रूपये क्यों थे और कहाँ से आये थे, साथ ही वे नाबालिग से अपनी सेवा क्यों करा रहे थे एवं उसे किशोर न्यायालय में पेश क्यों नहीं किया गया?

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