बदायूं में राजकीय मेडिकल कॉलेज का निर्माण करने वाली संस्था ने सपा सुप्रीमो मुलायम सिंह यादव की संभावना पर पानी फेर दिया है। संस्था मुख्यमंत्री अखिलेश यादव की प्राथमिकता वाले कार्य को गंभीरता से नहीं ले रही है, साथ ही सांसद धर्मेन्द्र यादव के ड्रीम प्रोजेक्ट को बर्बाद कर सकती है। जी हाँ, संस्था की लापरवाही के चलते राजकीय मेडिकल कॉलेज का भवन जमीन में अंदर धंसने लगा है, जिससे सितंबर माह में ओपीडी शुरू करने के सरकारी दावों पर पानी फिर सकता है।
उल्लेखनीय है कि 20 दिसंबर 2013 को मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के साथ राजकीय मेडिकल कॉलेज की नींव रखने आये सपा सुप्रीमो मुलायम सिंह यादव ने कार्यदायी संस्था को निर्देश देते हुए कहा था कि आज ही के दिन कॉलेज का उद्घाटन होना चाहिए, उसी दिन से बदायूं का मेडिकल कॉलेज मुख्यमंत्री की प्रमुख प्राथमिकता वाले कार्यों में शीर्ष पर सम्मलित हो गया, इसके अलावा सांसद धर्मेन्द्र यादव का कॉलेज ड्रीम प्रोजेक्ट है, वे स्वयं हर पल नजर रखे हुए हैं, साथ ही मुख्य सचिव आलोक रंजन लगातार समीक्षा करते रहते हैं और उन्होंने स्पष्ट निर्देश जारी कर रखे हैं कि सितंबर माह में ओपीडी का शुभारंभ हो जाना चाहिए। मंडलायुक्त बरेली और जिलाधिकारी बदायूं कड़ी निगरानी कर ही रहे हैं। प्रदेश के चिकित्सा शिक्षा एवं प्रशिक्षण विभाग के महानिदेशक प्रो. बी.एन. त्रिपाठी 8 अगस्त को आये थे और निर्माणाधीन कॉलेज का निरीक्षण करने के बाद उन्होंने पत्रकार वार्ता में कहा था कि सब कुछ सही है व सितंबर माह में ओपीडी का शुभारंभ करा दिया जायेगा, जिससे जनता बेसब्री से इंतजार करने लगी है। यह भी चर्चायें आम हो चली हैं कि सितंबर माह में मुख्यमंत्री और सपा सुप्रीमो आकर उद्घाटन करेंगे, लेकिन कार्यदाई संस्था की लापरवाही के चलते सभी के दावों, वादों और सपनों पर पानी फिरता नजर आ रहा है।
निर्माणाधीन कॉलेज का बन चुका ओपीडी ब्लॉक जमीन के अंदर धंसने लगा है, जिससे संस्था के इंजीनियर्स में हड़कंप मच गया है। संस्था द्वारा ब्लॉक के धंसने की बात छुपा ली गई है। शासन-प्रशासन को जानकारी नहीं दी जा रही है और फर्स वगैरह तोड़ने का कार्य शुरू कर दिया गया है। फर्स तोड़ कर ऊपर से और मिट्टी डाल कर पुनः फर्स बना दिया जायेगा, जबकि ऐसा करना नियम विरुद्ध है। तकनीकी जानकारों का कहना है कि मिट्टी डालने के बाद मिट्टी को दबाने के लिए मानक के अनुरूप दबाव दिया जाता है, उसके बाद निर्माण कार्य किया जाना चाहिए, लेकिन संस्था ने मिट्टी पर दबाव दिए बिना ही निर्माण कर दिया, जिससे ब्लॉक धंसने लगा है।
सूत्रों का कहना है कि फर्स तोड़ने के बाद मिट्टी डालने और पुनः निर्माण करने के लिए कम से कम चार से पांच महीने का समय लगेगा, ऐसे में सितंबर माह में ओपीडी का शुभारंभ हो पाना मुश्किल ही है। सूत्रों का यह भी कहना है कि संस्था सिर्फ फर्स का पुनः निर्माण कर रही है, जबकि नींव और दीवारें भी जमीन में धंसी होंगी, जिसे संस्था नजर अंदाज कर रही है, ऐसे में भवन निर्धारित अवधि तक नहीं टिक पायेगा। खैर, अब ध्यान देने की विशेष बात यह है कि इस सनसनीखेज खुलासे के बाद शासन-प्रशासन क्या निर्णय लेगा?
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