उत्तर प्रदेश के मुख्य सचिव आलोक रंजन ने वरिष्ठ पत्रकार व अध्यक्ष हेमंत तिवारी और लोकप्रिय सचिव सिद्धार्थ कलहंस के नेतृत्व में आज उत्तर प्रदेश मान्यता प्राप्त संवावददाता समिति के नव-निर्वाचित कार्यकारिणी के सदस्यों से मुलाकात की। मुख्य सचिव ने कार्यकारिणी को बधाई देते हुए कहा कि समिति और सरकार के बीच समन्वय बना रहेगा। समिति की मांग पर उन्होंने मीडिया सेंटर को वाई-फाई जोन बनाने की घोषणा की। समिति ने मुख्य सचिव को एक ज्ञापन सौंपा, जिसके बाद मुख्य सचिव आलोक रंजन ने कहा कि इस ज्ञापन में ऐसी कोई बात नहीं है, जिस पर सम्यक विचार के बाद सकारात्मक निर्णय न लिया जा सके। शासन जल्द ही इस ज्ञापन के बिन्दुओं पर निर्णय लेगा।
मुख्य सचिव से मिलने गए उत्तर प्रदेश मान्यता प्राप्त संवावददाता समिति की नव-निर्वाचित कार्यकारिणी ने अपने ज्ञापन में मांग की थी कि संजय गांधी पीजीआई में मुख्यालय पर मान्यता प्राप्त पत्रकारों को नि:शुल्क इलाज की सुविधा पूर्व की समिति की मांग पर शुरु कर दी गयी है। उक्त सुविधा के दायरे में मान्यता प्राप्त पत्रकारों के आश्रित शामिल नहीं हैं। समिति मांग करती है कि नि:शुल्क इलाज की सुविधा मान्यता प्राप्त पत्रकारों के आश्रितों को भी दी जाए। पूर्व की समिति सात माह पूर्व इस आशय का मौखिक व लिखित अनुरोध कर चुकी है।
समिति की यह भी मांग है कि राज्य मान्यता प्राप्त पत्रकारों को अन्य राज्यों की तरह पेंशन, सामूहिक दुर्घटना बीमा, समूह बीमा व मेडीक्लेम की सुविधा दी जाए। पूर्व की समिति ने इस संदर्भ में जिन सात राज्यों में पत्रकारों को यह सुविधा जी रही है, उससे संबंधित दस्तावेज भी शासन को उपलब्ध कराए हैं।
ज्ञापन में समिति ने कहा है कि बीते दो दशक से राजधानी में पत्रकारों के लिए किसी तरह की नयी आवासीय योजना नहीं लायी गयी है। इस दौरान बड़ी तादाद में नए मान्यता प्राप्त पत्रकार बढ़े हैं। इन पत्रकारों को आवास की परेशानी से जूझना पड़ता है। पूर्व की समिति ने इस संदर्भ में एक मांग पत्र भी दे रखा है। हमारी मांग है कि मान्यता प्राप्त पत्रकारों के लिए नए आवासीय परिसर का निर्माण किया जाए और पूर्व की शर्तों के अनुसार मान्यता प्राप्त पत्रकारों को आवास आवंटित किए जायें।
पत्रकारों की सुरक्षा के बारे में समिति ने कहा है कि विगत दिनों में यह देखने में आया है कि पत्रकारों पर हमले की घटनाएं बढ़ी हैं। असामाजिक तत्वों के हमले का शिकार पत्रकार बन रहे हैं। कार्यस्थल पर भी पत्रकारों को इस तरह की चुनौतियों का सामना करना पड़ता है। हमारी मांग है कि इस तरह के हमलों को रोकने के लिए सरकार एक पत्रकार सुरक्षा कानून बनाए और इस तरह की घटनाओं को रोकने के लिए सख्ती से कदम उठाए।
नए बन रहे मुख्यमंत्री कार्यालय में पत्रकारों के लिए मीडिया सेंटर का निर्माण किया जाए। इसके साथ ही वहां 800 लोगों के बैठने की सुविधा से युक्त एक कांफ्रेंस हाल का निर्माण किया जाए। वर्तमान में मान्यता प्राप्त पत्रकारों की संख्या 600 से अधिक हो चुकी है। नए मीडिया सेंटर में पत्रकारों के जलपान-भोजन के लिए उत्तर प्रदेश खान-पान निगम की ओर से एक कैंटीन खोली जाए, साथ ही वहां पत्रकारों के काम-काज की सुविधा के लिए 40 कंप्यूटर लगाकर इंटरनेट की सुविधा दी जाए।
एनेक्सी मीडिया सेंटर को वाई-फाई जोन बनाया जाए, जिससे पत्रकारों का काम-काज सुगमता से हो सके। समिति के अध्यक्ष हेमंत तिवारी ने बताया कि राज्य संपत्ति विभाग के मकानों में रहने वाले पत्रकारों के बड़े किराये पर भी वार्ता की गयी है और जल्द ही निर्णय हो जायेगा।
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