निजी अस्पतालों की लापरवाही, मनमानी और लूट को सरकारें अब गंभीरता से लेने लगी हैं। हरियाणा सरकार की तरह ही दिल्ली सरकार ने भी मैक्स अस्पताल पर शिकंजा कस दिया है। निजी अस्पतालों द्वारा सताये गये लोग सरकार की कार्रवाई से खुश नजर आ रहे हैं।
दिल्ली सरकार ने चिकित्सकीय लापरवाही को गंभीरता से लेते हुए मैक्स अस्पताल शालीमार बाग का लाइसेंस तत्काल प्रभाव से रदद् कर दिया है। मैक्स ने जुड़वां बच्चों को मृत घोषित कर दिया था और उनके शव को प्लास्टिक बैग में रखकर परिजनों को सौंप दिया था, जबकि उनमें एक बच्चा जिंदा था, जो बाद में इलाज के दौरान मर गया था। राज्य सरकार के स्वास्थ्य सेवाओं के महानिदेशक (डीजीएचएस) ने अस्पताल को आदेश दिया है कि वह किसी भी नए मरीज को भर्ती न करे और सभी आउटडोर स्वास्थ्य सेवाओं को तत्काल प्रभाव से बंद कर दे।
उक्त प्रकरण में गठित की गई तीन सदस्यीय जांच समिति ने शुक्रवार को राज्य के स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैन को अपनी रिपोर्ट सौंप दी है। सतेन्द्र जैन ने कहा कि यह घटना अस्वीकार्य है। मैक्स कानून का उल्लंघन करने का आदी हो गया है, इससे पहले आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के मरीजों के लिए तय कोटे के तहत उनका इलाज से मना करने और डेंगू मरीजों के लिए बेड की व्यवस्था नहीं कर पाने का दोषी पाया गया था।
यह भी बता दें कि गुड़गांव के फोर्टिस अस्पताल में सात वर्षीय आद्या सिंह की मौत के प्रकरण में हरियाणा सरकार ने जाँच कराई, तो पाया गया कि फोर्टिस ने बच्ची के पिता से ज्यादा पैसे वसूले और लापरवाही बरती, इस रिपोर्ट में खुलासा हुआ कि अस्पताल ने बच्ची के पिता को 700 प्रतिशत ज्यादा का बिल दिया था। आद्या को 31 सितंबर को अस्पताल में भर्ती कराया गया था और 14 सितंबर को उसकी मौत हो गई थी। सरकार की 41 पन्नों की जांच रिपोर्ट में अस्पताल को लापरवाही, अनैतिक और गैरकानूनी कृत्यों का दोषी पाया है, जिसकी देश भर निंदा की जा रही है।
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