बदायूं जिले के कस्बा सहसवान का एक छुटभैया नेता लंबे समय से समाजवादी पार्टी के साथ नूरा कुश्ती कर रहा था। समाजवादी पार्टी का झंडा गाड़ी और घर पर लगा रहा था, साथ ही राज्यमंत्री व क्षेत्रीय विधायक ओमकार सिंह यादव की कड़ी आलोचना करते हुए स्वयं को निर्दलीय भी घोषित कर रहा था।
समाजवादी पार्टी के मंचों पर सबसे पहले आकर बैठ जाता था, लेकिन मंच से उतरते ही सपा को गाली देता था। कभी कहता कि उसका विधायक और सपा से कोई संबंध नहीं है, लेकिन सांसद धर्मेन्द्र यादव उसे अपना खास मानते हैं, इसलिए उनके कहने पर सपा के कार्यक्रमों में आ जाता है, इस सब से इस बढ़बोले छुटभैये की तो फजीहत हो ही रही थी, साथ में लोग सांसद के बारे में भी चर्चा करने लगे थे कि न जाने क्यों वे इस सड़क छाप आदमी को झेल रहे हैं।
शायद, सांसद उचित समय का इंतजार कर रहे थे और जब उचित समय आया, तो उन्होंने एक ही दांव में छुटभैये का राजनैतिक जीवन समाप्त कर दिया। असलियत में बसों के चालक-परिचालक इसकी वाह-वाही करते रहते हैं एवं सांसद का स्वभाव है कि वे कई बार लोगों को उसकी औकात से ज्यादा सम्मान दे देते हैं, जिसे पाकर यह छुटभैया स्वयं को बड़ा नेता समझने लगा था और बड़े नेताओं की आलोचना करने लगा था। सांसद को पूरी तरह जब यह अहसास हो गया कि यह नहीं सुधरने वाला, तो उन्होंने सहसवान के प्रतिष्ठित परिवार के बाबर मियां को समाजवादी पार्टी में ले लिया। बाबर के सपा में आते ही छुटभैया बौखला गया है। यहाँ बता दें कि बाबर सहसवान के पुराने राजनैतिक परिवार से संबंध रखते हैं, इस परिवार को सहसवान व क्षेत्र की जनता विशेष सम्मान देती रही है। बाबर के सपा में आने से उनके चाहने वाले भी खुश नजर आ रहे हैं, क्योंकि अब छुटभैये नेता का आतंक समाप्त हो जायेगा।
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