उत्तर प्रदेश में उपचुनाव को लेकर राजनैतिक गतिविधियाँ चरम पर हैं। 12 विधान सभा क्षेत्रों के साथ एक लोकसभा क्षेत्र में चुनाव होने हैं। मैनपुरी लोकसभा क्षेत्र सपा सुप्रीमो मुलायम सिंह यादव के त्याग पत्र देने से रिक्त हुआ है, जहाँ से अब उन्हीं के एक और परिजन तेजपाल सिंह यादव “तेजू” समाजवादी पार्टी के टिकट पर संसद में जाने को उतावले नजर आ रहे हैं। बहुजन समाज पार्टी ने उपचुनाव से स्वयं को अलग रखा है, लेकिन भाजपा भिड़ी हुई है। हालांकि कांग्रेस ने भी प्रत्याशी नहीं उतारा है, लेकिन कांग्रेस का प्रत्याशी होता, तो भी चुनाव में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने की स्थिति में नहीं होता।
मैनपुरी लोकसभा क्षेत्र मुलायम परिवार के लिए उच्च स्तरीय राजनीति में जाने के लिए डिग्री कॉलेज सरीखा बनता जा रहा है। मुलायम सिंह यादव स्वयं यहाँ से सांसद रहे हैं। उनके भतीजे धर्मेन्द्र यादव भी यहाँ से सांसद रहे हैं और अब तेजपाल सिंह यादव “तेजू” परीक्षा उत्तीर्ण करने को जुटे हुए हैं। मुलायम परिवार के सदस्य राजनीति में एडमिशन सैफई के ब्लॉक प्रमुख पद से लेते हैं। धर्मेन्द्र यादव ब्लॉक प्रमुख रहे और फिलहाल तेजपाल सिंह “तेजू” सैफई के ब्लॉक प्रमुख हैं।
मैनपुरी लोकसभा क्षेत्र की बात करते हैं, तो इस क्षेत्र में कुल 16 लाख 47 हजार मतदाता हैं। जातिगत आंकड़ों की बात करें, तो सब से ज्यादा मतदाता 4 लाख 40 हजार के करीब यादव हैं। दूसरे नंबर पर 2 लाख 60 हजार के करीब शाक्य, तीसरे नंबर पर 1 लाख 97 हजार के करीब ठाकुर, चौथे नंबर पर 1 लाख 60 हजार के आसपास ब्राह्मण, पांचवे नंबर पर 1 लाख लोधे और 60 हजार के करीब मुस्लिम मतदाता हैं, इसी तरह 2 लाख 70 हजार के आसपास दलित मतदाता बताये जाते हैं, शेष बचे मतदाताओं में वैश्य व अन्य पिछड़े व सामान्य वर्ग की जातियां बच जाती हैं। पिछले चुनाव में सपा सुप्रीमो मुलायम सिंह यादव करीब 3 लाख 50 मतों के बड़े अंतर से विजयी हुए थे, लेकिन उनके सामने बसपा ने स्वामी प्रसाद मौर्य की बेटी संघमित्रा मौर्य को उतारा था, जिससे दलित और मौर्य मतदाताओं का समर्थन उनके साथ ही रहा। भाजपा ने पिछले चुनाव में शत्रुध्न सिंह चौहान को प्रत्याशी बनाया था, जो मजबूती के साथ लड़े।
मुलायम सिंह यादव बड़े नेता हैं, उनके सामने जातिगत बेड़ियाँ टूट जाती हैं, लेकिन इस उपचुनाव में ऐसा होता नजर नहीं आ रहा। हालांकि सपा नेता जीत निश्चित मान रहे हैं, लेकिन जातिगत आंकड़ों की बात करें, यादव और मुस्लिम मतदाताओं के पांच लाख मतों के अलावा उनके पास अन्य जातियों का एकतरफा समर्थन नजर नहीं आ रहा, इसीलिए भाजपा प्रत्याशी प्रेम सिंह शाक्य सहित भाजपा के अन्य नेता व समर्थक गदगद हैं। भाजपा नेताओं का दावा है कि समाजवादी पार्टी के प्रत्याशी के साथ मात्र पांच लाख मत हैं, जबकि उनके साथ अन्य सभी जातियां हैं। उनके दावे से हट कर मौके की स्थिति की बात करें, तो पिछले चुनाव में मुलायम सिंह यादव के साथ अधिकाँश ठाकुर मतदाता थे एवं ब्राह्मण भी रहे, लेकिन इस चुनाव में ठाकुर व ब्राह्मण पूरी तरह भाजपा के साथ खड़े नजर आ रहे हैं। सपा को भी भनक लग गई है, तभी प्रदेश भर के ठाकुर नेता क्षेत्र में जुटा रखे हैं, साथ ही पूरे चुनाव की कमान अरविन्द सिंह गोप को ही सौंप रखी है, यह सब मिल कर कितने ठाकुर तोड़ पाएंगे, यह तो भविष्य में ही तय हो सकेगा।
मैनपुरी में सपा से शाक्य प्रत्याशी लंबे समय से मात खाता रहा है, इस बार भी भाजपा ने प्रेम सिंह शाक्य को मैदान में उतारा है, जिससे शाक्य और भी मजबूती के साथ जिताने को संघर्षरत नजर आ रहे हैं। शाक्य मतदाताओं के अलावा लोधे, ठाकुर और ब्राह्मणों का टूटना भी नामुमकिन नजर आ रहा है। अनुसूचित वर्ग के मतदाताओं ने अभी अपना रुख स्पष्ट नहीं किया है। बसपा ने प्रत्याशी तो नहीं उतारा है, लेकिन मायावती ने साथ में यह भी जोड़ दिया कि सपा और भाजपा प्रत्याशी को वोट न दें, जिससे असमंजस की स्थिति बनी हुई है, लेकिन इतना तो तय है कि अनुसूचित वर्ग के मत सपा प्रत्याशी के खाते में नहीं जाने वाले।
आंकड़े भाजपा प्रत्याशी के पक्ष में ही नजर आ रहे हैं। भाजपा नेता प्रदेश में सपा सरकार होने के कारण चुनाव प्रभावित करने की आशंका जता रहे हैं, लेकिन प्रशासन का दावा है कि चुनाव निष्पक्ष होगा। 21 कंपनी पैरामिलिट्री फोर्स चुनाव करायेगी। पैरामिलिट्री फोर्स के अलावा 4 कंपनी पीएसी भी रहेगी। 4 हजार पुलिसकर्मी व 33 सौ होमगार्ड भी लगाये जायेंगे। इसके अलावा 20 हजार लोगों को मुचलकों में पाबंद किया गया है और प्रशासन ने 6464 लाइसेंसी शस्त्र भी जमा करा दिए हैं, साथ ही जवान टुकड़ियों में भ्रमण कर क्षेत्र में भयमुक्त वातावरण लगातार बना रहे हैं।
आम आदमी के मन की बात करें, तो अधिकाँश लोग बिगड़ी कानून व्यवस्था से दुखी हैं। अफसर और कर्मचारी भी भयभीत हैं। विकास तो हुआ है, लेकिन अधिकाँश लोग विकास पर भी प्रश्नचिन्ह लगाते नजर आते हैं। जिले में जितने भी कॉलेज मंजूर किये गये हैं, वे सब सपा नेताओं के ही हैं, इसी तरह सड़कें भी सपा नेता ही बना रहे हैं।
डॉ. राममनोहर लोहिया के नाम पर राजनीति करने वाली सपा के गढ़ में लोहिया पार्क की ही दयनीय दशा है। निर्माण के बाद उद्यान विभाग को देखभाल के लिए सौंप दिया गया है, लेकिन चारों ओर फैली जंगली घास देखभाल की स्थिति खुद ही बयान कर देती है। इसी तरह विकास खंड जागीर क्षेत्र में गांव जगतपुर मौजा एलाऊ के ग्रामीणों ने काले झंडे व बैनर लगाकर मतदान का बहिष्कार करने का ऐलान किया है। गांव जगतपुर का मार्ग कच्चा है, जो बरसात के दिनों में दलदल का रूप धारण कर लेता है। इस गाँव में बिजली भी नहीं है, जिससे नाराज ग्रामीण चुनाव का बहिष्कार करने का मन बना चुके हैं।
खैर, उत्तर प्रदेश में सपा की सरकार है, तो सरकार के प्रति आक्रोश होना स्वाभाविक ही है, लेकिन सरकार होने के कुछ फायदे भी होते हैं। अब सपा को हानि अधिक होगी या लाभ, यह तो चुनाव बाद ही ज्ञात हो सकेगा। हाल-फिलहाल समाजवादी पार्टी ही नहीं, बल्कि सपा सुप्रीमो और उनके परिवार की इज्जत दांव पर लगी हुई है, क्योंकि उनका पैतृक गाँव सैफई मैनपुरी लोकसभा क्षेत्र का ही हिस्सा है।