बदायूं से लखनऊ के लिए जोर-शोर के साथ शुरू की गई रोडवेज की बस सेवा ने ढाई महीने के अंदर ही दम तोड़ दिया। बस सेवा बंद हुए लंबा समय बीत चुका है, लेकिन अभी तक किसी जनप्रतिनिधि ने विभागीय अफसरों से स्पष्टीकरण नहीं मांगा है और न ही बस सेवा पुनः प्रारंभ करने के लिए कोई पहल की है, जबकि लखनऊ के लिए बस सेवा शुरू होने पर लोगों ने हर्ष व्यक्त किया था।
उल्लेखनीय है कि 14 जनवरी 2016 को प्रदेश के ग्राम्य विकास राज्यमंत्री ओमकार सिंह यादव तथा दर्जा राज्यमंत्री बनवारी सिंह यादव ने कलेक्ट्रेट परिसर के बाहर रोड पर हरी झण्डी दिखाकर लखनऊ के लिए रोडवेज बस का शुभारंभ किया था। इस दौरान राजमंत्री ने कहा था कि बदायूं से लखनऊ के लिए रोडवेज सेवा न होने से विभिन्न कार्यों हेतु प्रदेश की राजधानी जाने वाले लोगों को अत्यन्त असुविधा होती थी, जो अब नहीं हुआ करेगी। यह भी बता दें कि बदायूं-लखनऊ बस सेवा का शुभारंभ सांसद धर्मेन्द्र यादव को ही करना था, लेकिन उस दिन जिला पंचायत अध्यक्षों को शपथ दिलाई गई थी, जिससे वे इटावा और मैनपुरी स्थित शपथ ग्रहण समारोह में सम्मलित होने के चलते उपस्थित नहीं रह सके थे।
उक्त बस सेवा के शुरू होने से आम जनता के साथ अधिकारी व कर्मचारी भी बेहद खुश थे, साथ ही उम्मीद जता रहे थे कि शीघ्र ही सुबह और शाम को दो बसें चलने लगेंगी, लेकिन ढाई महीने के अंदर ही रोडवेज ने लखनऊ बस सेवा बंद कर दी, इस पर एआरएम का कहना है कि जितना डीजल फुंकता था, उतने रूपये भी नहीं आते थे, जिससे बस सेवा बंद करनी पड़ी।
एआरएम का तर्क निरर्थक लग रहा है, क्योंकि बदायूं से शाहजहाँपुर के लिए बड़ी संख्या में लोग जाते हैं, वहां से हरदोई और फिर लखनऊ के लिए टुकड़ों में भी यात्री बैठाये जाते, तो भी घाटा होने का सवाल ही नहीं उठता। असलियत में लखनऊ के लिए चालक-परिचालक जाने से कतराते थे, जिससे बस सेवा बंद कर दी गई, लेकिन जनप्रतिनिधि सक्रिय रहते, तो बस सेवा बंद नहीं होती। लोगों की मांग है कि 23 मई को मुख्यमंत्री बदायूं जिले के लिए लखनऊ बस सेवा का सुबह-शाम में तोहफा दे दें।
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