बदायूं में मांसाहारी मनुष्यों के साथ मांसाहारी कुत्तों की भी मुश्किलें बढ़ने लगी हैं। गली-मोहल्लों में होने वाले अवैध कटान पर रोक लगते ही मांस की किल्लत हो गई है। मांसाहारी मनुष्य तो मांस खरीदने के लिए गांवों की ओर दौड़ लगाने लगे हैं, लेकिन मांसाहारी कुत्ते बेहद परेशान नजर आ रहे हैं। मांस की चाहत में कुत्ते कूड़े को खंगालते नजर आ रहे हैं।
जी हाँ, बदायूं शहर के मांस कटने को बदनाम गली-मोहल्लों में आवारा कुत्तों का भी जमावड़ा रहता था। जानवरों को काटने के बाद कसाई इस्तेमाल न होने वाला हिस्सा फेंक देते थे, उसे कुत्तों का झुंड खा जाता था। सैकड़ों कुत्ते लंबे समय से कसाईयों द्वारा फेंका गया मांस खाकर ही पल-बढ़ रहे थे, जिससे कुत्तों को भी मांस की लत लग गई थी। जानवरों को अवैध तरीके से काटने पर रोक लगी, तो मांसाहारी मनुष्यों की तरह ही कुत्ते भी परेशान हो उठे।
मोहल्ले के लोगों का कहना है कि मांस न मिलने से कुत्तों की हरकतों में बदलाव आ गया है। कुत्ते चिढ़-चिढ़े हो गये हैं और मांस की खोज में धमा-चौकड़ी करते नजर आ रहे हैं। परेशान कुत्ते कूड़े तक को खंगालते देखे जा सकते हैं, जबकि कुत्ते ऐसा नहीं करते। जानकारों का तो यहाँ तक कहना है कि मांसाहारी कुत्तों को मांस नहीं मिला, तो इनमें से कुछ आदमखोर भी हो सकते हैं। अगर, ऐसा हुआ, तो हालात और भी ज्यादा भयावह हो सकते हैं।
उधर शहर में मांस की किल्लत होते ही समृद्ध लोग गांवों की ओर दौड़ पड़े हैं। बताया जा रहा है कि दस-बीस लोग मिल कर चुपके से कहीं गुप्त स्थान पर जानवर कटवा लेते हैं और चुपके से लाकर घर में पकवा लेते हैं। कुछेक गाँवों में अभी मांस खुलेआम बिक भी रहा है। कस्बा ककराला में अभी पुलिस ने सख्ती नहीं बरती है, जिससे वहां अभी भी बड़े स्तर पर जानवर काटे जा रहे हैं। सहसवान, वजीरगंज, बिसौली और उझानी में पुलिस पैनी नजर रखे हुए है।
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