उत्तर प्रदेश में पत्रकारों के हालात सुधर नहीं पा रहे हैं। शासन के निर्देशों का अफसर अक्षरशः पालन नहीं कर रहे हैं, जिससे हालात बद्तर होते जा रहे हैं। मुख्य सचिव आलोक रंजन ने प्रमुख सचिव गृह को एक बार फिर निर्देश दिये हैं कि प्रेस प्रतिनिधियों को अराजक/आपराधिक तत्वों द्वारा परेशान किये जाने अथवा उनसे मारपीट किये जाने सम्बन्धित शिकायतों पर तत्काल उचित धाराओं में मुकदमा पंजीकृत कर आरोपियों के विरुद्ध कठोरतम वैधानिक कार्यवाही सुनिश्चित की जाये। उन्होंने कहा कि ऐसे मामलों में पुलिस द्वारा की जाने वाली कार्यवाही का निकट पर्यवेक्षण जनपदीय पुलिस प्रभारी स्वयं अपने निर्देशन में संपादित करायें। उन्होंने कहा कि यदि किसी प्रकरण में यह पाया जायेगा कि पुलिस द्वारा नियमानुसार समुचित कार्यवाही नहीं की गयी, तो सम्बन्धित पुलिस अधिकारियों के विरुद्ध प्रतिकूल दृष्टिकोण अपनाते हुये अनुशासनात्मक कार्यवाही की जाये।
श्री रंजन ने यह भी निर्देश दिये कि पत्रकारों और जिला प्रशासन के मध्य सम्बन्धों को और सौहार्दपूर्ण बनाने के लिये जिलाधिकारी की अध्यक्षता में गठित जिला स्तरीय स्थायी समिति की बैठकें नियमित रूप से आयोजित कराये जाने हेतु पूर्व में निर्गत आदेशों का अनुपालन कड़ाई से सुनिश्चित कराया जाये।
मुख्य सचिव के निर्देशों के अनुपालन में प्रमुख सचिव गृह देबाशीष पाण्डा ने समस्त जिलाधिकारियों एवं वरिष्ठ पुलिस अधीक्षकों/पुलिस अधीक्षकों को पत्र निर्गत कर निर्देश दिये हैं कि मुख्य सचिव के आदेशों का अनुपालन प्रत्येक दशा में सुनिश्चित कराया जाये। उन्होंने निर्गत निर्देशों में कहा है कि पत्रकारिता लोकतंत्र का चतुर्थ स्तम्भ है तथा एक स्वस्थ लोकतंत्र में पत्रकारों की अहम भूमिका है। उन्होंने कहा कि ऐसी घटनाओं से न केवल पीडि़त पक्ष में शासन-प्रशासन के प्रति रोष उत्पन्न होता है, अपितु आम नागरिक भी अपने को असुरक्षित महसूस करता है। समाज पर ऐसी घटनाओं का नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। उन्होंने कहा कि इस प्रकार की घटनायें अत्यंत गंभीर हैं और शासन द्वारा इन्हें अत्यंत गंभीरता से लिया जा रहा है।