बदायूं में बांटे गये लैपटॉप की चयन प्रक्रिया पर सवाल उठाये जा रहे हैं। जिला विद्यालय निरीक्षक और उनके स्टाफ पर आरोप लगाये जा रहे हैं, क्योंकि तमाम मेधावी बच्चे ऐसे हैं, जिन्हें लैपटॉप नहीं मिल सका है। नियमों को सार्वजनिक न करने के चलते तमाम छात्र-छात्रायें परेशान हैं, उन्हें कोई संतोषजनक जवाब भी नहीं दे पा रहा है।
बदायूं में सोमवार को सांसद धर्मेन्द्र यादव द्वारा 1 करोड़ 51 लाख 49 हजार 270 रूपये के 1123 लैपटॉप बांटे गये थे। कार्यक्रम के बाद कई छात्र-छात्राओं ने सांसद से शिकायत की, तो उन्होंने मौके पर मौजूद अफसरों से तत्काल कह दिया कि यह बच्चे पात्र हैं, तो इन्हें भी लैपटॉप दिलायें, लेकिन कई और भी ऐसे छात्र-छात्रायें हैं, जो मैरिट में शीर्ष पर हैं, पर उन्हें लैपटॉप के पात्रों की सूची में सम्मिलित नहीं किया गया।
बदायूं के डी पॉल स्कूल से इंटर करने वाले छात्र यश गौतम का नाम मैरिट में शीर्ष पर है, पर उसका नाम लैपटॉप मिलने वालों की सूची में नहीं है, जिससे वह वंचित रह गया, इसी तरह ब्लूमिंगडेल स्कूल का एक छात्र है शिवांस सक्सेना, इसका नाम भी मैरिट में शीर्ष पर है, पर इसे भी लैपटॉप नहीं मिल सका।
लैपटॉप से वंचित रहे मेधावी बच्चे जिला विद्यालय निरीक्षक के कार्यालय में गये, तो उन्हें संतोषजनक उत्तर नहीं दिया गया। जो मैरिट में शीर्ष पर है, उसे बता दिया गया कि नाम के अनुसार सूची बनी है, इसी तरह जिसका नाम अक्षर के अनुसार शीर्ष पर है, उसे बता दिया गया कि मैरिट के अनुसार सूची बनाई गई है। नियम सार्वजनिक न होने और उत्तर संतोषजनक न मिलने से लैपटॉप से वंचित रहे छात्र परेशान हैं। यश गौतम और शिवांस सक्सेना ने सांसद धर्मेन्द्र यादव से गुहार लगाई है कि वे पात्र हैं, तो उन्हें लैपटॉप दिलाया जाये। सूत्रों का कहना है कि कुछ नेताओं और प्रधानाचार्यों के दबाव और भ्रष्टाचार के चलते सूची में गड़बड़ी है, जिसकी गहनता से जाँच होनी चाहिए।