शाहजहाँपुर में अब तक यह सवाल चर्चा का विषय बना हुआ था कि पूर्व गृह राज्यमंत्री और कुख्यात कथित संत चिन्मयानंद ब्लैकमेलर भी है क्या?, इस सवाल के बाद अब आशंका व्यक्त की जा रही है कि कथित संत चिन्मयानंद ने के. आर. पेपर मिल के मालिक माधोगोपाल से पचास लाख रूपये लिए होंगे, साथ ही यह भी आशंका जताई जा रही है कि अगले दो वर्षों में आश्रम में होने वाले समस्त कार्यक्रमों के खर्चों का भार माधोगोपाल द्वारा ही उठाया जायेगा, इस सबसे आंदोलन चलाने वाले बेहद आहत नजर आ रहे हैं।
बताते हैं कि पूर्व गृह राज्यमंत्री और कुख्यात कथित संत चिन्मयानंद ने सोशल साइट्स पर आश्रम द्वारा संचालित संस्थाओं के कर्मचारियों से एक ग्रुप बनवा रखा है। ग्रुप में मुमुक्षु आश्रम द्वारा संचालित संस्थाओं के शिक्षक और शहर के कुछ गणमान्य नागरिक भी हैं। बताते हैं कि चिन्मयानंद ने अपने कारिंदों से ग्रुप में शाहजहाँपुर के कुछ कारखानों के विरुद्ध प्रदूषण को लेकर आंदोलन करने का आह्वान कराया, इस षड्यंत्र को शहर के गणमान्य नागरिक समझ नहीं पाये। उत्साहित और प्रकृति प्रेमी गणमान्य नागरिकों ने एक प्रतिनिधि मंडल गठित किया और पिछले दिनों जिलाधिकारी को एक ज्ञापन दे आये।
शाहजहाँपुर के तेजतर्रार जिलाधिकारी ने प्रतिनिधि मंडल की समस्या को न सिर्फ गंभीरता से सुना, बल्कि तत्काल तीन सदस्यीय कमेटी गठित कर जाँच करने का आदेश भी दे दिया। बताते हैं कि जिलाधिकारी द्वारा जाँच का आदेश देते ही के. आर. पेपर मिल का मालिक माधोगोपाल कथित संत चिन्मयानंद से मिलने पहुंच गया, जिसके बाद चिन्मयानंद ने माधोगोपाल को कॉलेज की प्रबंध समिति में सचिव पद दे दिया, इसके बाद शाहजहाँपुर में यह सवाल आम चर्चा का विषय बन गया कि चिन्मयानंद ब्लैकमेलर भी है क्या?
बता दें कि चिन्मयानंद कागजों में हेराफेरी कर के प्राचीन और प्रतिष्ठित मुमुक्षु आश्रम का अध्यक्ष बना हुआ है, जिसके अधीन कई शैक्षिक संस्थायें संचालित होती हैं, इन संस्थाओं में घोटाले कर के और दान से मिलने वाली धनराशि से चिन्मयानंद अय्याशी करता रहा है, लेकिन समाज के सामने इसके चरित्र का खुलासा होने के बाद दान मिलना बंद हो गया, तो इसने ब्लैकमेलिंग शुरू कर दी।
कॉलेज के ही एक शिक्षक ने आशंका व्यक्त की है कि चिन्मयानंद ने माधोगोपाल से पचास लाख रूपये लिए होंगे, साथ ही कहा है कि माधोगोपाल अगले दो वर्षों में आश्रम में होने वाले कार्यक्रमों के खर्चों का भी भार उठायेगा। चूँकि माधोगोपाल के पेपर मिल के विरुद्ध कार्रवाई होना तय माना जा रहा था, लेकिन अब माधोगोपाल के सचिव बनने से आंदोलन ही समाप्त हो गया है, साथ ही चिन्मयानंद द्वारा शिक्षकों पर अब यह भी दबाव बनाया जा रहा है कि नये सचिव माधोगोपाल से मिल कर आयें। बताया जा रहा है कि कार्रवाई से बचने के लिए माधोगोपाल के लिए यह रकम बहुत छोटी है।
उल्लेखनीय है कि के. आर. पेपर मिल द्वारा फैलाए जा रहे प्रदूषण के कारण आसपास के लगभग सौ गांवों के अधिकाँश लोग अस्वस्थ हैं। हृदय और आँखों से संबंधित रोग अधिकतर लोगों को हो गया है, साथ ही मिल से निकलने वाले कैमिकलयुक्त पानी से भूमि बंजर हो रही है एवं कैमिकलयुक्त जल पीने से जानवर भी अस्वस्थ हो रहे हैं और वनस्पति समाप्त हो रही है, जो जल (प्रदूषण निवारण और नियंत्रण) अधिनियम- 1974 तथा 1977, वायु (प्रदूषण एवं नियंत्रण) अधिनियम- 1981, पर्यावरण (संरक्षण) अधिनियम- 1986, जैव-विविधता संरक्षण अधिनियम- 2002 और राष्ट्रीय पर्यावरण नीति- 2004 का खुला उल्लंघन है।
शहर के अधिकांश लोगों को अभी भी यह लगता है कि आंदोलन चलाने वाले भले ही शांत हो गये हों, लेकिन शाहजहाँपुर के तेजतर्रार जिलाधिकारी मानक के विरुद्ध संचालित किये जा रहे के. आर. पेपर मिल और उसके मालिक माधोगोपाल के विरुद्ध कार्रवाई अवश्य करेंगे। लोगों की आशा पर जिलाधिकारी कितना खरा उतर पाते हैं, इसका खुलासा अगले एक-दो सप्ताह में हो जायेगा।
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