बदायूं में केन्द्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने बेहद मार्मिक भाषण दिया, उन्होंने आज राजनीति पर कुछ नहीं, सिर्फ किसानों की बात। किसान महापंचायत में किसानों को सम्बोधित करते हुए उन्होंने कहा कि किसानों को हताश एवं निराश होने की आवश्यकता नहीं है। उन्होंने कहा कि पहले 50 प्रतिशत तक नुकसान वाली फसलों पर अनुदान राशि उपलब्ध कराई जाती थी, जो अब 33 प्रतिशत तक क्षति होने पर किसानों को कृषि निवेश अनुदान उपलब्ध कराया जा रहा है।
गुरूवार को लगभग 01: 30 बजे गृहमंत्री का हेलीकाॅप्टर एसके इंटर कॉलेज के मैदान में उतरा। तत्पश्चात गार्ड आफ आॅनर दिया गया, उसके बाद गृहमंत्री कार द्वारा तहसील बिल्सी के ग्राम सतेती चौराहे पर आयोजित जनसभा में पहुंचे, जहां उन्होंने क्षति का आंकलन किया और सभा को सम्बोधित करते हुए कहा कि किसानों की समस्याओं को प्राथमिकता के आधार पर लेते हुए समाधान के पूरे प्रयास किए जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि बेमौसम बारिश एवं अतिवृष्टि के कारण किसानों की जिन फसलों का नुकसान हुआ है, उसकी पूर्ण रूप से भरपाई तो नहीं की जा सकती, लेकिन राहत निरन्तर उपलब्ध कराई जा रही है। उन्होंने किसानों से अपील करते हुए कहा कि कोई भी कृषक भाई ऐसा कोई कदम न उठाएं, जिससे उसके परिवार को दूसरों पर आश्रित होना पड़े। उन्होंने कहा कि यदि कोई भी कृषक किसी परेशानी में है, तो पास-पड़ोस के किसान भाई उसकी सहायता अवश्य करें, जिससे वह कोई गलत कदम उठाने के लिए मजबूर न हो। उन्होंने कहा कि अतिवृष्टि के कारण गेहूं की गुणवत्ता में कमी आई है, इसलिए सरकारी एजेंसियों पर सभी प्रकार का गेहूं खरीदे जाने की व्यवस्था कराई जा रही है। उन्होंने कहा कि फसल बीमा योजना के स्थान पर कृषि आमदनी बीमा योजना से किसानों को अधिक लाभ मिलेगा और इस योजना को अमलीजामा पहनाने के लिए प्रक्रिया शुरू की गई है। उन्होंने फसलों की क्षति का भी आंकलन किया।
उधर अपनी उपेक्षा के चलते सीमा चौहान की आँखें भर आईं। उनकी नम आँखें बेबसी जाहिर कर ही थीं, साथ ही राजनाथ सिंह से बात कर उन्होंने बता भी दिया कि उनकी मेहनत का श्रेय और लोग लेने का प्रयास कर रहे हैं। भाजपा नेता उमेश राठोर भी रुष्ट नजर आये, उन्हें भी मंच पर स्थान नहीं दिया गया, जबकि किसान पंचायत को सफल बनाने में सीमा चौहान के साथ उमेश राठोर की भूमिका मुख्य रही। बता दें कि इस पंचायत का भाजपा किसान मोर्चा आयोजक था, लेकिन मंच पर स्थानीय किसान मोर्चा के नेताओं को स्थान नहीं दिया गया, साथ ही राजनाथ सिंह को जो नाम लिख कर दिए गये, उस पर्ची में भी किसान मोर्चा के नेताओं के नाम नहीं थे, तभी सीमा चौहान रो पड़ीं।