बदायूं की पुलिस लाइन स्थित सभागार में जिस समय वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक अधीनस्थों के पेंच कस रहे थे, उसी समय महिला थाने में दलित किशोरी को अभियुक्तों के परिजन धमका रहे थे। दुस्साहसी परिजनों ने पीड़ित किशोरी पर अभियुक्तों के पक्ष में बयान देने का दबाव बनाया। हालांकि पुलिस मना कर रही है।
उल्लेखनीय है कि शनिवार को क्राइम मीटिंग में अपराधों की समीक्षा करते हुए एसएसपी लूट, हत्या, डकैती और अपहरण जैसी संगीन वारदातों में संलिप्त अभियुक्तों की तत्काल गिरफ्तारी करने के कड़े आदेश दे रहे थे एवं घटनाओं की रोकथाम करने के लिये अपने-अपने थाना क्षेत्र में प्रत्येक दिन कम से कम 90 मिनट पैदल गस्त करने को कह रहे थे, तभी कय्यूब और अय्यूब के परिजन और रिश्तेदार महिला थाने में दलित वर्ग की किशोरी को धमका रहे थे। बता दें कि कस्बा फैजगंज बेहटा से दलित किशोरी को घर से दो दिन पूर्व भगाया गया था, जिसमें नन्हे पुत्र युसूफ, अय्यूब और कय्यूब पुत्रगण निसार के विरुद्ध थाना फैजगंज बेहटा में मुकदमा संख्या- 124/17 धारा 452, 363 आईपीसी और 3/2 एससी/एसटी एक्ट पंजीकृत कराया गया था।
घटना को लेकर बवाल की आशंका बढ़ गई, तो एसएसपी द्वारा अभियुक्तों की गिरफ्तारी के लिए सीओ के नेतृत्व में टीम गठित कर दी गई। टीम ने किशोरी को बरामद करते हुए अय्यूब पुत्र निसार और नन्हे को गिरफ्तार लिया था। दलित किशोरी के परिजन अभियुक्तों के साथ नरमी बरतने और उनके साथ कड़ाई से पेश आने का आरोप लगा रहे हैं। किशोरी को मेडिकल परीक्षण और न्यायालय में पेश करने के उद्देश्य से मुख्यालय पर महिला थाने भेज दिया गया, जहां शनिवार को अय्यूब और कय्यूब के परिजन और रिश्तेदार महिला थाने तक न सिर्फ पहुंच गये, बल्कि दलित किशोरी पर उनके पक्ष में बयान देने का दबाव भी बनाते देखे गये। पीड़ित पक्ष द्वारा आपत्ति करने पर सब भाग गये, लेकिन पुलिस मना कर रही है और किशोरी को कड़ी सुरक्षा में रखने का दावा कर रही है।
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