कासगंज में तिरंगा यात्रा को लेकर हुई हिंसा और जनहानि की रिपोर्टिंग करते हुए पक्षपात किया जा रहा है। कुछेक पत्रकार सटीक रिपोर्टिंग भी कर रहे हैं, लेकिन सच्ची रिपोर्टिंग भी झूठे पक्ष को गलत लगती है, इसीलिए कासगंज प्रकरण में झूठी रिपोर्टिंग करने वालों के साथ सही रिपोर्टिंग करने वालों को भी गालियाँ मिल रही हैं।
पंकज झा देश के बेहतरीन पत्रकारों में से एक हैं, उन्हें न सिर्फ जान से मारने की, बल्कि बेटी का अपहरण कर लेने की भी धमकी दी गई है, इसका खुलासा उन्होंने स्वयं किया है। पंकज झा ने ट्वीटर पर वे नंबर भी शेयर किये हैं, जिनसे उन्हें कॉल की गई है। पंकज झा ने ट्वीटर पर यह भी बताया है कि उन्होंने नाम और नंबर पुलिस को दे दिए हैं। पंकज झा को धमकी मिलने की तमाम लोग आलोचना और निंदा कर रहे हैं। बड़ी संख्या में लोग पंकज झा के साथ खड़े दिख रहे हैं और उनकी रिपोर्टिंग की प्रशंसा करते नजर आ रहे हैं।
पंकज झा को धमकी इसलिए दी जा रही हैं कि उन्होंने कासगंज के डीएम के हवाले से खबर में और ट्वीटर पर यह कह दिया कि तिरंगा यात्रा बिना अनुमति लिए निकाली जा रही थी, इसी पर कुछ लोग उन्हें गालियाँ देते हुए धमका रहे हैं। लोग तर्क-कुतर्क भी कर रहे हैं कि तिरंगा यात्रा की अनुमति नहीं थी, इस गोली मार दी जायेगी? यह भी सवाल उठाया जा रहा है कि गोली मारने की अनुमति थी क्या?
खैर, सवाल पत्रकार से नहीं, बल्कि व्यवस्थापकों से होने चाहिए। हालाँकि गलत रिपोर्टिंग करने वालों से सवाल करना आम जनता का अधिकार भी है। अभिसार नाम के पत्रकार का एक वीडियो वायरल हुआ है, जिसमें वह यह सिद्ध करने का प्रयास कर रहा है कि तिरंगा यात्रा कम, भगवा यात्रा ज्यादा थी, साथ ही यह भी सिद्ध करने का प्रयास कर रहा है कि मुस्लिम भी गणतंत्र दिवस पर ध्वजारोहण करने वाले थे।
असलियत में तिरंगा यात्रा एबीवीपी और वीएचपी ने आयोजित की थी, उसमें उनका एक-दो प्रतीक ध्वज भी था। हर संगठन अपना ध्वज रखता है, जो सही भी है। कई सारे तिरंगों के बीच में एक भगवा ध्वज होने पर कई सारे तिरंगों से अभिसार ध्यान भटकाने का काम कर रहा है। रही मुस्लिमों के गणतंत्र दिवस मनाने की बात, तो बीच चौराहे पर आयोजन तिरंगा यात्रा को वापस करने के लिए ही किया गया था, क्योंकि ध्वजारोहण का समय सुबह होता है, दोपहर तक लोग वहां बिना किसी सांस्कृतिक कार्यक्रम के जमा थे, इससे स्पष्ट है कि तिरंगा यात्रा को रोकने का इरादा पहले से बन चुका था। शेष पुलिस और उच्च स्तरीय अफसरों की जांच रिपोर्ट आने के बाद स्पष्ट हो ही जायेगा। हाल-फिलहाल अभिसार के झूठ फैलाने पर बहुत बड़ा वर्ग निंदा करता नजर आ रहा है।
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