बदायूं में समाजवादी पार्टी की विकास रैली आयोजित होने से दो नेताओं के चरित्र का खुलासा हो गया, जो आम जनता और अफसरों के बीच हास्य का पात्र बने हुए हैं। एक कथित नेता कई दिनों से चर्चा में है, वहीं दूसरा आज चर्चा में आया।
बताते हैं कि रैली स्थल पर कई दिनों से तैयारियां चल रही थीं, जिसका जायजा लेने के लिए तमाम नेता और अफसर हर दिन पहुंच रहे थे। रैली स्थल पर तालाब कब्जाने वाला कथित नेता हर समय जमा रहता था। जैसे ही कोई नया नेता और अफसर पहुंचता, उससे सबसे पहले जाकर मिलता और परिचय देने के बाद यह भी कहना न भूलता कि यह पूरी जमीन मेरी ही है। घर लाकर चाय-नाश्ता कराने का भी प्रयास करता, तो कई लोग घर तक आ भी जाते। कोई बड़ा नेता और बड़ा अफसर आता, तो परिचितों से कहता कि इनसे मेरा भी परिचय कराओ। कथित नेता की यह हरकत पूरे दिन और रोज होती थी, सो शहर भर में और अधिकारियों के बीच चर्चा का विषय बन गया।
इसी तरह दूसरे नेता जी स्वयं को प्रांतीय स्तर का नेता दर्शाते हैं। पत्रकारों के सामने ऐसे बात करते हैं, जैसे मुख्यमंत्री उनके चेले हों। सांसद की छवि तो उन्होंने ऐसे बना रखी है कि वह जिस दिन नाराज हो गये, उस दिन सांसद जिले में नहीं रुकेंगे। अभिप्राय उनका यह रहता है कि जिले की जनशक्ति का केंद्र वह हैं, साथ ही प्रदेश भर में उनके समर्थक हैं, जिससे उनका पार्टी में बड़ा कद है, इसी हनक में कई बार उल्टी-सीधी हरकतें भी कर जाते हैं। चूँकि सांसद उदार और भले व्यक्ति हैं, सो दरकिनार कर जाते हैं, यही नेता आज रैली में पत्रकारों और जनता को यह दर्शाने का प्रयास कर रहा था कि उसका बड़ा कद है, सो राष्ट्रीय स्तर का भाषण देना शुरू कर दिया। एक मिनट के बाद महिला संचालक ने उन्हें बैठने का इशारा कर दिया, जिसका कोई फर्क नहीं पड़ा, इसके बाद मुख्यमंत्री और सांसद की ओर से ही इशारा आ गया कि बैठा दो, तो झेंप छुपाते हुए बैठ गये, यह सब पत्रकार और जनता देख ही रहे थे, सो पोल खुल गई कि अकेले में यूं ही फेंकते रहते हैं। खैर, रैली में गीत-संगीत का भी इंतजाम था और जोकर की भरपाई इन दोनों नेताओं से हो गई।
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