बदायूं जिले के थाना सिविल लाइन में तैनात बदनाम एसओ अशोक कुमार ने न्यायालय के आदेश की धज्जियां उड़ा दी हैं। बरामद रकम डीएम के बेटे को देनी थी, लेकिन एसओ ने डीएम को ही दे दी। प्रकरण न्यायालय, अथवा बड़े अफसरों के संज्ञान में पहुंचा, तो अशोक कुमार के विरुद्ध कार्रवाई भी हो सकती है।
उल्लेखनीय है कि वर्ष- 2013 में वर्तमान जिलाधिकारी चन्द्र प्रकाश त्रिपाठी ही थे, तब उन्होंने शक्ति का दुरूपयोग करते हुए अपने बेटे अनंत प्रकाश त्रिपाठी को जिला अस्पताल से ही इन्टर्नशिप करा दी थी। उस समय उनके बेटे को एक-दो बार जिला अस्पताल आना पड़ा, तभी किसी ने अनंत की जेब से रूपये निकाल लिए, जिसका मुकदमा दर्ज कराया गया।
सूत्रों का कहना है कि पुलिस ने अप्रत्याशित अंदाज में न सिर्फ जेब कतरे को पकड़ लिया, बल्कि उससे रकम भी बरामद कर ली। बीस हजार रूपये बताये जा रहे हैं, जिसे न्यायालय ने अनंत को देने का आदेश पारित कर दिया। सूत्रों का कहना है कि अनंत विदेश में है, जिससे वह रकम लेने नहीं आ सकते, पर एसओ सिविल लाइन अशोक कुमार का कहना है कि रूपये अनंत को ही दिए गये हैं, जबकि सूत्रों का कहना है कि एसओ ने रूपये अनंत के पिता जिलाधिकारी चन्द्र प्रकाश त्रिपाठी को दिए हैं। जो भी हो, पर यह जांच के बाद ही स्पष्ट हो सकेगा कि रूपये किसे दिए गये हैं? प्रकरण न्यायालय, अथवा विभाग के शीर्ष अफसरों के संज्ञान में पहुंचा, तो अशोक कुमार के विरुद्ध कार्रवाई होना तय माना जा रहा है।
यहाँ यह भी बता दें कि अशोक कुमार बदनाम एसओ हैं, जिले में लंबे अर्से से तैनात हैं। अति की समस्त सीमाएं लांघने के बाद ही इन्हें हटाया जाता है। पिछली बार सहसवान में खुल कर गोकशी कराने को बदनाम होने के बाद ही हटाये गये थे। निवर्तमान एसओ अजय कुमार यादव ने अनैतिक कार्य कराने का दबाव बनाने पर एक नेता के विरुद्ध मोर्चा खोल दिया था, जिससे उनका आनन-फानन में बरेली तबादला करा दिया गया, इसी जल्दबाजी में अशोक कुमार को सिविल लाइन का कार्यभार संयोग से मिल गया, इस बीच एसएसपी बदल गये। नये तेजतर्रार कप्तान सुनील कुमार सक्सेना को अशोक कुमार के कारनामों की जानकारी नहीं है, इसीलिए वे अब तक एसओ बने हुए हैं।
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