उन्नीस वर्ष पुराने प्रकरण में न्यायालय ने आज एक उपनिरीक्षक को अर्थ दंड के साथ पांच वर्ष के कारावास की सजा सुनाई है। उपनिरीक्षक को हिरासत में लेकर जेल भेज दिया गया। जेल गया उपनिरीक्षक वर्तमान में जनपद अमरोहा में तैनात बताया जा रहा है।
घटना वर्ष 1996 की है। उस वक्त जिला बदायूं और वर्तमान में संभल जिले की कोतवाली गुन्नौर क्षेत्र की चौकी बबराला पर समर पाल सिंह नाम का हेडकांस्टेबिल तैनात था। उस वक्त बदायूं व वर्तमान में संभल जिले के रजपुरा थाना क्षेत्र में स्थित गाँव पाठकपुर निवासी बादाम सिंह ने आरोप लगाया कि 9 सितंबर 1996 को वह कुछ लोगों के साथ आ रहा था, तभी बबराला स्टैंड पर उसे आरोपी समर पाल सिंह ने पकड़ लिया और कहा कि उसकी शिकायत है, चौकी तक चलना पड़ेगा एवं तलाशी ली, उसके तीस हजार रूपये निकाल लिए। विरोध करने पर गालियाँ देते हुए थप्पड़ भी मारे। बाद में उसका शान्ति भंग करने की आशंका में चालान कर दिया एवं उसके बेटे बिजेंद्र को नौ हजार बाइस रूपये इस चेतावनी के साथ वापस कर दिए कि किसी से चर्चा की, तो उसका भी चालान कर दिया जायेगा।
उक्त प्रकरण में पीड़ित बादाम सिंह ने 2 जनवरी 1997 को न्यायिक मजिस्ट्रेट- सहसवान के न्यायालय में वाद दायर किया, जिस पर सुनवाई के बाद मजिस्ट्रेट ने 15 मई 1998 को आदेश दिया कि सक्षम न्यायालय में वाद दायर करें, इसके बाद पीड़ित ने अपर स्तर न्यायाधीश (दस्यु प्रभावित) के न्यायालय में वाद दायर किया, जिस पर आज न्यायाधीश पंकज कुमार अग्रवाल ने गवाह, सुबूत, साक्ष्य व बहस के बाद आदेश सुनाया।
न्यायालय ने आरोपी उपनिरीक्षक समर पाल सिंह को दोषी मानते हुए पांच वर्ष के कारावास व बीस हजार रूपये जुर्माने की सजा सुनाई। जुर्माने की रकम से दस हजार रूपये वादी को दिए जायेंगे। जुर्माना न देने पर जेल की अवधि बढ़ा दी जायेगी। आदेश के बाद आरोपी समर पाल सिंह को जेल भेज दिया गया।