नरेंद्र मोदी से जनता को बड़े परिवर्तन की आशा थी। देश के एक बड़े वर्ग को लगता था कि नरेंद्र मोदी ईमानदार व चरित्रवान लोगों को महत्व देते हुए उन्हें महत्वपूर्ण पदों पर आसीन करेंगे, जिससे व्यवस्था में सुधार होगा, लेकिन अब तक की कार्यप्रणाली को देख कर जनता को मायूसी ही मिली है। कॉंग्रेस की सरकार की तरह ही महत्वपूर्ण पदों पर चरित्रहीन व चापलूसों को बैठाया जा रहा है, जिससे न सिर्फ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की, बल्कि पूरी सरकार की ही फजीहत होने लगी है।
ताजा प्रकरण यह है कि पीलीभीत जिले में एक अखबार में नौकरी करने वाले चरित्रहीन व्यक्ति लोकेश प्रताप सिंह को चापलूसी के आधार पर हिंदी राजभाषा सलाहकार समिति में विशेष आमंत्रित सदस्य मनोनीत किया गया है। चौंकाने वाली बात यह है कि सदस्य मनोनीत करने से पहले लोकेश की एलआईयू जांच तक नहीं कराई गई। अगर, जांच कराई गई होती, तो सरकार को यह पता होता कि उसके द्वारा मनोनीत किया लोकेश सुबह चाय की जगह शराब पीता है और फिर देर रात तक ऐसी-ऐसी घटनाओं को अंजाम देता है कि किसी संभ्रांत व्यक्ति से भूल से भी वैसा हो जाये, तो महीनों तक परिचितों का सामना करने में संकोच करेगा।
हिंदी राजभाषा सलाहकार समिति में विशेष आमंत्रित सदस्य मनोनीत किये गये लोकेश के बारे में बताया जाता है कि यह अब तक उत्तर प्रदेश के बीस से अधिक जिलों में नौकरी कर चुका है। प्रत्येक जिले में एक वर्ष नहीं रुक पाता, क्योंकि शराब पीने के बाद ऐसी-ऐसी घटनाओं को अंजाम देता है कि जनता के साथ समूचा प्रशासन ही त्राहि-त्राहि कर उठता है। अति होने पर अखबार का प्रबंध तंत्र जिला बदल देता है। बदायूं में अति होने पर इसे पीलीभीत भेजा गया था, जहाँ अय्याशी के चलते पहुंचते ही कुख्यात हो गया था, लेकिन कहा जाता है कि किसी तरह मेनका गाँधी से निकटता बनाने में कामयाब हो गया और उनकी चापलूसी कर के समिति में सदस्य बन गया। चूँकि लोकेश प्रदेश भर में कुख्यात है, जिससे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ समूची सरकार की फजीहत हो रही है, जिसका दुष्प्रभाव भाजपा को आने विधान सभा चुनाव में झेलना पड़ सकता है।
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