जिसको जो माध्यम मिल रहा है, उसके जरिये हर कोई आम आदमी को लूटने में लगा है। किसी तरह हाथ आये अवसर को कोई गुजारना नहीं चाहता। फिलहाल टोल टैक्स की बात करें, तो आम आदमी को यह पता ही नहीं है कि उसे कब, कहां, कितने और क्यूं रूपये देने चाहिए। दबंग ठेकेदारों के सशस्त्र गुर्गे वसूली शुरू कर देते हैं, तो आम आदमी नतमस्तक हो जाता है, लेकिन शासन-प्रशासन में बैठे लोग या तो उनसे मिले रहते हैं, अथवा राजनैतिक दबाव में उस ओर से ध्यान हटा लेते हैं।
बरेली-मुरादाबाद हाईवे पर चौड़ीकरण और सौंदर्यकरण का कार्य चल रहा है। भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई) अभी तक संपूर्ण मार्ग नहीं बना पाया है। फ्लाईओवर अधूरे हैं। डिवाईडर नहीं बने हैं। पटरियां नहीं बनी हैं। रिफलेक्टर भी पूरी तरह नहीं लगाये गये हैं। कार्य लगातार चल रहा है और कहीं-कहीं रुका भी हुआ है, जिससे जगह-जगह जाम लगा रहता है। कभी-कभी तो घंटों लगने वाला जाम असहनीय भी हो जाता है, इन सब समस्याओं से छुटकारा मिलता, उससे पहले जनता से टोल टैक्स की भी वसूली शुरू हो चुकी है।
बरेली-मुरादाबाद हाईवे पर फतेहगंज पश्चिमी के पास टोल प्लाजा शुरू हो गया है, जहां कंप्यूटर से स्लिप निकाल कर दी जा रही है। इस संबंध में विभागीय व प्रशासनिक अफसर कुछ भी बोलने को तैयार नहीं हैं। एक अफसर ने बताया कि अस्सी प्रतिशत कार्य पूर्ण होने पर टोल टैक्स वसूला जा सकता है, वहीं एक अन्य अफसर ने बताया कि वर्ष- 2013 में कैबिनेट ने यह निर्णय लिया था कि निर्धारित अवधि के अंदर कार्य पूर्ण न होने पर टोल टैक्स कार्य पूर्ण न होने तक नहीं वसूला जा सकता है। जो भी हो, यह निर्णय तो शासन स्तर से ही होना संभव है कि टोल टैक्स नियम विरुद्ध वसूला जा रहा है या नियमानुसार। जनता की अपेक्षा है कि इस संबंध में स्थिति स्पष्ट की जाये, वहीं कुछ जानकारों का कहना है कि टोल टैक्स नीति ही गलत है, क्योंकि वाहन स्वामी से जब रोड टैक्स वसूला जा रहा है, तो उससे पुनः टोल टैक्स कैसे वसूला जा सकता है?