बदायूं के जिलाधिकारी ने न्यायालय में याचिका विचाराधीन होने के बावजूद एक निलंबित कर्मचारी को वेतन सहित बहाल कर दिया। बहाली के बाद सेवाकाल संतोषजनक मानते हुए विवादित कर्मचारी को प्रोन्नतीय वेतनमान भी दे दिया गया। शासन स्तर से जांच बैठी, तो इस प्रकरण में जिलाधिकारी सहित अन्य कई अफसर व कर्मचारी कार्रवाई से बच नहीं पायेंगे।
उल्लेखनीय है कि उच्च न्यायालय- इलाहबाद में विचाराधीन रिट याचिका संख्या- 6726/1993, सैय्यद रजी अहमद रिजवी बनाम जिलाधिकारी/अपर जिलाधिकारी (विकास) बदायूं व अन्य में दिनांक 15 फरवरी 2011 को उच्च न्यायालय ने सैय्यद रजी अहमद रिजवी की नियुक्ति आदि के संबंध में जाँच के आदेश दिए थे, जिसके क्रम में तत्कालीन जिलाधिकारी अमित गुप्ता ने गहनता से जाँच कराई। जांच में जिला विकास अधिकारी के कार्यालय में आशुलिपिक पद पर तैनात सैय्यद रजी अहमद रिजवी की नियुक्ति अवैध पाई गई। सैय्यद रजी अहमद रिजवी के विरुद्ध थाना सिविल लाइन में मुकदमा दर्ज कराते हुए निलंबन की कार्रवाई की गई। साक्ष्य सहित जांच आख्या उच्च न्यायालय को प्रेषित कर दी गई, जिस पर निर्णय आना शेष है, उससे पूर्व सैय्यद रजी अहमद रिजवी को जिलाधिकारी शंभूनाथ द्वारा बहाल कर दिया गया है एवं निलंबन अवधि का भी पूर्ण वेतन दे दिया गया है, साथ ही सैय्यद रजी अहमद रिजवी के सेवाकाल को संतोषजनक मानते हुए प्रभारी जिला विकास अधिकारी रामरक्षपाल द्वारा अतिरिक्त एवं प्रोन्नतीय वेतनमानों की संस्तुतियां कर दी गई हैं, जो कि पूर्णतयः नियमों के विरुद्ध है। यहाँ यह भी बता दें कि वर्तमान जिलाधिकारी शंभूनाथ से पहले निवर्तमान जिलाधिकारी चन्द्रप्रकाश सैय्यद रजी अहमद रिजवी को अनन्तिम रूप से बहाल कर गये थे, जिससे चन्द्रप्रकाश भी जांच के दायरे में रहेंगे।
उच्च न्यायालय में रिट याचिका संख्या- 6726/1993 विचाराधीन होने के बावजूद सैय्यद रजी अहमद रिजवी ने एक और याचिका संख्या- 23477/2011 योजित की, जिसमें न्यायालय ने तीन महीने में प्रकरण को निस्तारित करने का आदेश दिया, इस आदेश के क्रम में जिलाधिकारी को न्यायालय को अवगत कराना चाहिए था कि उच्च न्यायालय में रिट याचिका संख्या- 6726/1993 विचाराधीन होने के कारण उनके द्वारा प्रकरण का निराकरण नहीं किया जा सकता, साथ ही जिलाधिकारी को यह भी अगवत कराना चाहिए था कि सैय्यद रजी अहमद रिजवी ने उच्च न्यायालय में रिट याचिका संख्या- 6726/1993 विचाराधीन होने की बात छुपाई है, लेकिन जिलाधिकारी द्वारा ऐसा नहीं किया गया। न्यायालय द्वारा प्रकरण को निस्तारित कराने का आदेश दिया गया था। न्यायालय ने नियमों के विरुद्ध जाकर सैय्यद रजी अहमद रिजवी को बहाल कराने का आदेश नहीं दिया था, साथ ही उच्च न्यायालय के आदेश 15 फरवरी 2011 के क्रम में गहनता से जाँच करा ली गई थी, जिसमें सैय्यद रजी अहमद रिजवी की नियुक्ति को अवैध माना गया, वह जाँच आख्या न्यायालय को प्रेषित भी की जा चुकी है, ऐसे में सैय्यद रजी अहमद रिजवी के प्रकरण में जिलाधिकारी को निर्णय लेने का कोई अधिकार ही नहीं है, इसलिए जिलाधिकारी शंभूनाथ के साथ निवर्तमान जिलाधिकारी चन्द्रप्रकाश, वर्तमान प्रभारी डीडीओ रामरक्षपाल, निवर्तमान डीडीओ प्रदीप कुमार सोम, जिलाधिकारी कार्यालय में तैनात कमलेश बाबू, संतोष कुमार सहित कई अन्य के विरुद्ध कड़ी कार्रवाई हो सकती है।