उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री आदित्यनाथ नाथ योगी के लिए बड़ी समस्या उत्पन्न होने जा रही है। 47 आईएएस अफसर ट्रेनिंग पर जाने वाले हैं, जिनमें 31 अफसर जिलाधिकारी हैं। आईएएस अफसरों के जाने से काम में तमाम तरह की बाधायें आ सकती हैं। कानून व्यवस्था पर पकड़ कमजोर पड़ सकती है। विकास कार्य भी प्रभावित हो सकते हैं, क्योंकि प्रमोटिड अफसर आईएएस अफसरों जैसा परिणाम नहीं दे सकते।
आईएएस अफसर बनने के सात वर्ष बाद प्रत्येक आईएएस को ट्रेनिंग पर जाना होता है। ट्रेनिंग पर जाने का अवसर तीन बार दिया जाता है। उत्तर प्रदेश के भगेलू राम शास्त्री, सत्येन्द्र कुमार सिंह, वीरेंद्र कुमार सिंह, शमीम अहमद खान, नरेंद्र शंकर पाण्डे, दिग्विजय सिंह, अजय शंकर पाण्डेय, रोशन जैकब, राज शेखर, जितेन्द्र बहादुर सिंह, योगेश्वर राम मिश्रा, योगेश कुमार शुक्ला, दिनेश कुमार सिंह, जुहेर बिन सगीर, कौशल राज शर्मा, प्रांजल यादव, ऋषिकेश बी. यशोद, नवीन कुमार जी.एस., प्रभु नारायण सिंह, सुहास एल.वाई., अभय, आदर्श सिंह, सरोज कुमार, किंजल सिंह, के. विजयेन्द्र पांडियन, कुमार रविकान्त सिंह, पवन कुमार, अमृत त्रिपाठी, राजेश कुमार, बी. चन्द्रकला, अनिल ढींगरा, बाल कृष्ण त्रिपाठी, सुभ्रा सक्सेना, सूर्यपाल गंगवार, अदिति सिंह, विजय किरन आनन्द, भानु चन्द्र गोस्वामी, अनुज कुमार झा, माला श्रीवास्तव, नितिन बंसल, रुपेश कुमार, मासूम अली सरवर, विवेक, भूपेन्द्र एस. चौधरी, प्रकाश बिन्दु, एस. राजालिंगम और वैभव श्रीवास्तव को 9 अप्रैल से ट्रेनिंग पर रवाना होना है, जो वर्तमान में महत्वपूर्ण दायित्वों का निर्वहन कर रहे हैं, इनमें 31 अफसर जिलाधिकारी हैं, जो सरकार के लिए चिंता का बड़ा कारण हो सकता है।
सरकार ने सभी अफसरों को रिलीव कर दिया, तो आईएएस अफसरों की कमी हो जायेगी, जिसका दुष्परिणाम जनता और प्रदेश को झेलना पड़ सकता है, क्योंकि प्रमोटिड अफसर आईएएस अफसरों जैसा परिणाम नहीं दे पाते। आईएएस अफसरों के जाने से कानून व्यवस्था पर पकड़ कमजोर पड़ सकती है, विकास कार्यों की गति धीमी हो सकती है, साथ ही लापरवाही और भ्रष्टाचार बढ़ सकता है, यही सब मुख्यमंत्री आदित्यनाथ योगी के लिए चुनौती माना जा रहा है।