पीलीभीत लोकसभा क्षेत्र से सांसद और केंद्र सरकार में मंत्री मेनका संजय गांधी भारतीय जनता पार्टी में सत्ता सुख भोगने के लिए ही हैं शायद। भारतीय जनता पार्टी के सिद्धांतों के आसपास भी उनकी सोच होती, तो उनकी गौशाला में गायों की ऐसी दुर्गति नहीं होती, जिसे देख कर कसाई की भी ऑंखें नम हो जायें। चौंकाने वाली बात तो यह है कि गाय के सबसे बड़े संरक्षक के रूप में सामने आये आदित्यनाथ योगी के मुख्यमंत्रित्व काल में भी मेनका संजय गांधी की गौशाला में गायें भूख और प्यास से तड़पते हुए दम तोड़ रही हैं, साथ ही मृत्यु के बाद शव गौशाला में ही पड़े नजर आ रहे हैं, जिन्हें देखने वालों का कलेजा मुंह को आने लगता है, पर जीव-जंतुओं को लेकर आंदोलन चलाने वाली मेनका संजय गाँधी के न दिल पर कोई असर हो रहा है और न ही दिमाग पर।
वन्य-जीव प्रेम के लिए मेनका संजय गांधी ने अंतर्राष्ट्रीय स्तर की ख्याति प्राप्त की है, वे कभी तांगे में जुते घोड़े को लेकर भिड़ जाती हैं, कभी डनलप में जुते बैल छुड़वा देती हैं, तो कभी सड़क किनारे तमाशा दिखाने वालों पर मुकदमा दर्ज करवा देती हैं, यह सब करने पर उनकी जमकर वाह-वाह होती है, उन्हें कई बड़े पुरस्कार भी मिल चुके हैं, उन्हें वन्य-जीव विषय पर बोलने के लिए विशेष कार्यक्रमों में आमंत्रित किया जाता है, इसलिए आम जनता भी उनके वन्य-जीव प्रेम को लेकर उन्हें विशिष्ट सम्मान देती रही है, इसके उलट उनके द्वारा स्थापित गौशाला की बात की जाये, तो उसकी भयावह स्थिति देख कर न सिर्फ कसाई, बल्कि स्वयं यमराज भी मुंह फेर लेंगे।
प्रत्यक्षदर्शियों का कहना है कि चारे, पानी, दवा और देख-भाल के अभाव में गौशाला के अंदर गाय तड़पते हुए देखी जा सकती हैं, जो भयानक दर्द सहते हुए दम तोड़ देती हैं। दुनिया भर में मांस की खपत बड़ी संख्या में होती है, जिसकी भरपाई के लिए बड़ी संख्या में जानवर काटे जाते हैं, पर काटते समय जानवर को कम दर्द हो, इसलिए नये-नये आविष्कार किये जा रहे हैं। अत्याधुनिक मशीनें लगाई जा रही हैं, ताकि पल भर में जानवर को मार दिया जाये। जानवरों के दर्द की परवाह मांसाहारियों को भी है, लेकिन वन्य-जीव प्रेम के लिए अंतर्राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त भाजपा सरकार की केन्द्रीय मंत्री मेनका संजय गांधी को कोई परवाह नहीं है।
प्रत्यक्षदर्शियों का तो यहाँ तक दावा है कि गौशाला में मृत गायों के अंग इधर-उधर फैले पड़े हैं, जिन्हें शाकाहारी होते हुए जीवित भूखी गाय खाती हुई दिखाई देती हैं, यह दृश्य देखने वाले अवसाद ग्रस्त हैं। सनातनी व्यवस्था में पालतू कुत्ता, बिल्ली और खरगोश के मरने पर भी शव का विधि पूर्वक दाह संस्कार करते हैं, लेकिन मेनका की गौशाला की गाय के शव भी नहीं दफनाये जाते हैं, यह सब देखने वालों का कहना है कि मेनका की गौशाला की जगह गाय सड़कों पर ही घूम रही होतीं, तो गाय ज्यादा अच्छी अवस्था में होतीं। सूत्रों का कहना है कि गौशाला को सरकारी और गैर-सरकारी धन भी मिलता रहा है, इसके बावजूद गाय भूख, प्यास, दवा और देख-भाल के अभाव में दम तोड़ रही हैं। मेनका गांधी केंद्र सरकार में मंत्री हैं, इसलिए कार्रवाई होना तो बहुत बड़ी बात है, उनके विरुद्ध कोई अफसर जाँच तक नहीं कर सकता, इसलिए मुख्यमंत्री आदित्यनाथ योगी और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को ही अपने स्तर से कार्रवाई करानी होगी, साथ ही मेनका की गौशाला में बेमौत मर रही गायों को भी मुक्त कराना होगा।
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