बदायूं जिले में अभी तक एंटी भू-माफिया टास्क फोर्स का असर कहीं नहीं दिख रहा है। नगर पालिका, वक्फ और ग्राम समाज की अरबों रूपये कीमत की जमीन माफिया कब्जाये हुए हैं। कुछेक माफियाओं ने स्वयं कब्जा कर लिया है, तो कुछेक ने मोटे दामों पर जमीनें बेच दी हैं, ऐसे स्थानों को प्रशासनिक टीम देखने तक नहीं जा रही है, जिससे माफियाओं के हौसले बुलंद नजर आ रहे हैं।
जिला मुख्यालय के ही हालात भयावह हैं। शहर के चारों ओर माफियाओं का ही राज है। सोत नदी का अस्तित्व पूरी तरह समाप्त कर ही दिया गया है। वक्फ की अधिकांश भूमि पर माफिया काबिज हैं। शहर के कई कब्रिस्तानों पर कब्जा हो चुका है। पालिका की जमीन पर माफिया काबिज हैं। शहर से सटे गाँव नगला शर्की के तालाब और ग्राम समाज की अधिकाँश भूमि पर माफिया ही काबिज हैं। दातागंज तिराहे पर प्राचीन तालाब चंदोखर का अस्तित्व पूरी तरह समाप्त कर दिया गया है। गाँव आरिफपुर नबादा की ग्राम समाज की जमीन का बड़ा भाग माफियाओं ने कब्जा लिया है। माफियाओं ने बड़े स्तर पर जमीनों को बेच दिया है एवं अपने व्यवसायिक प्रतिष्ठान बना लिए हैं।
आरिफपुर नबादा के रकवे में हाल ही में बना होटल कंट्री इन भी चर्चा का विषय बना हुआ है। सूत्रों का कहना है कि कब्रिस्तान के गाटा संख्या- 611 का बड़ा हिस्सा कब्जा कर होटल कंट्री इन बनाया गया है, लेकिन प्रशासन ने न बनते समय रोकने का प्रयास किया और न ही एंटी भू-माफिया टास्क फोर्स ने अभी तक मुआयना किया है। लोगों को लगता था कि सत्ता परिवर्तन के बाद भू-माफियाओं पर कड़ी कार्रवाई होगी, लेकिन भाजपा सरकार आने के बाद भी होटल कंट्री इन बन गया, जिससे लोगों का माफियाओं के विरुद्ध कार्रवाई होने का विश्वास टूट चुका है। अभी तक जिले में एंटी भू-माफिया टास्क फोर्स निष्क्रिय ही नजर आ रहा है। मुख्यालय की सरकारी जमीनों पर काबिज बड़े माफियाओं पर कड़ी कार्रवाई हो जाये, तो ग्रामीण क्षेत्रों के हालात स्वतः सुधर जायेंगे।
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